दोषसिद्धि की तिथि पर सजा में छूट देने की जो नीति प्रचलित थी, वही सजा माफ करने के उद्देश्य के लिए लागू होगी: गुजरात हाईकोर्ट

Shahadat

26 Dec 2022 7:36 AM GMT

  • दोषसिद्धि की तिथि पर सजा में छूट देने की जो नीति प्रचलित थी, वही सजा माफ करने के उद्देश्य के लिए लागू होगी: गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि सजा में छूट देने के लिए दोषी के मामले पर विचार करते समय सजा की तिथि पर प्रचलित राज्य की सजा माफी नीति को छूट देने के एल आवेदन पर निर्णय लेने में लागू किया जाएगा।

    जस्टिस वैभवी डी. नानावती की पीठ ने राज्य सरकार को हत्या के दोषी (रफीक आलमभाई परमार) से संबंधित क्षमा आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश देते हुए यह देखा कि 2001 में 4 सप्ताह के भीतर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जो उसकी सजा के समय प्रचलित छूट देने की नीति के अनुसार थी।

    मामला संक्षेप में

    याचिकाकर्ता/हत्या के दोषी ने सीआरपीसी की धारा 432 और/या 433-ए के तहत सजा में पूर्ण छूट के लिए अपने मामले पर विचार करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। उसका मामला यह है कि उसने 31 जुलाई, 2017 को 16 साल, 7 महीने और 8 दिन की सजा पूरी कर ली और उसकी सजा की तारीख पर प्रचलित छूट नीति के अनुसार, वह सजा में छूट का पूर्ण पात्र है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता की सजा में छूट के लिए समिति की बैठक 20.05.2017 को हुई और रिपोर्ट 13.07.2017 को राज्य सरकार को भेजी गई। हालांकि, वर्तमान याचिका दायर करने तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।

    इसके अलावा, उसके वकील ने 23 अक्टूबर, 1992 के सरकारी प्रस्ताव (सजा में छूट नीति) का भी हवाला दिया, जिसमें शर्त रखी गई कि दोषी को छूट देने के उद्देश्य से 14 साल की कैद पूरी करनी होगी। अंत में उसने प्रस्तुत किया कि इस शर्त को पूरा करने के बावजूद, राज्य सरकार याचिकाकर्ता की सजा में छूट पर कोई निर्णय लेने में विफल रही।

    दूसरी ओर, राज्य के वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता-दोषी का मामला सलाहकार बोर्ड समिति के समक्ष विचाराधीन है और उसके मामले पर सलाहकार बोर्ड समिति की अगली बैठक में विचार किया जाएगा।

    हालांकि, यह भी तर्क दिया गया कि वर्ष 1992 की छूट नीति को सरकार द्वारा जनवरी 2014 में बदल दिया गया, जिसके अनुसार याचिकाकर्ता छूट के लिए पात्र नहीं है।

    हाईकोर्ट का आदेश

    राज्य के तर्क को खारिज करते हुए न्यायालय ने शुरुआत में हरिशंकर गयाप्रसाद जायसवाल बनाम गुजरात राज्य 2018 (0) एआईजेईएल-एचसी 239908 के मामले में गुजरात एचसी के फैसले का हवाला दिया कि छूट के मामले पर विचार करते समय सजा की तारीख पर सजा में छूट देने की प्रचलित नीति लागू की जाएगी।

    अदालत ने आदेश दिया,

    "याचिकाकर्ता को 23.10.2001 को दोषी ठहराया गया और याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करते हुए दिनांक 23.10.2001 को प्रचलित (छूट) नीति के अनुसार, प्रतिवादी प्राधिकरण उसी पर विचार करेगा।"

    अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य इस मामले में 4 सप्ताह के भीतर फैसला करे।

    इसके साथ ही अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली।

    केस टाइटल- रफीक आलम परमार बनाम गुजरात राज्य और 3 अन्य [विशेष आपराधिक आवेदन नंबर 7483/2017]

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