गुजरात हाईकोर्ट ने निदेशकों के पर्सनल अंडरटेकिंग के अधीन ताइवान कंपनी की सहायक कंपनी की कुर्की से बैंक अकाउंट रिलीज करने का निर्देश जारी किया
Shahadat
13 Dec 2022 12:38 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट ने विभाग को निदेशकों के पर्सनल अंडरटेकिंग के अधीन ताइवान कंपनी की सहायक कंपनी की कुर्की से बैंक अकाउंट रिलीज करने का निर्देश दिया।
जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस मौना एम. भट्ट की खंडपीठ ने राजस्व हित को सुरक्षित करने के क्रम में विभाग को निर्देश दिया कि वह डीबीएस में. 2.65 करोड़ रुपए की एफडी का अटैचमेंट जारी रखे।
याचिकाकर्ता/निर्धारिती इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन के निर्माण के व्यवसाय में है। यह फू चिन शिन (FCS) मशीनरी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो ताइवान के कानूनों के तहत और उसके तहत निगमित कंपनी है।
याचिकाकर्ता ने 1961 के आयकर अधिनियम की धारा 132(9बी) के तहत 18 नवंबर, 2021 तक डीबीएस बैंक में खोले गए अपने बैंक अकाउंट की कुर्की को चुनौती दी। याचिकाकर्ता ने डीबीएस बैंक में 2,65,04,306 रुपये की राशि की एफडी के अटैचमेंट को भी चुनौती दी।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह मामला डीबीएस बैंक और एचएसबीसी बैंक में अपने दो अकाउंट के अटैचमेंट के कारण उत्पन्न हुआ है और उसने मौजूदा बैंक अकाउंट को अटैच करने का अनुरोध किया। हालांकि, 2 दिसंबर, 2021 के पत्र में बीडीएस बैंक के शाखा प्रबंधक को बैंक खाते को फ्रीज करना जारी रखने का निर्देश दिया गया।
याचिकाकर्ता ने आग्रह किया कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 (9सी), आदेश की तारीख से छह महीने की अवधि समाप्त होने के बाद किसी भी अनंतिम कुर्की को जारी रखने की अनुमति नहीं देती है। 18.11.2021 को आदेश पारित होने के लिए आया और इसलिए 18.05.2022 के बाद यह काम करना बंद कर देगा। याचिकाकर्ता ने बिना कारण दर्ज किए अनंतिम कुर्की की शक्तियों के प्रयोग के बाद भी जारी रहने पर सवाल उठाया।
विभाग ने तर्क दिया कि तलाशी के दौरान, यह पाया गया कि संस्थाएं कर चोरी के विभिन्न तरीकों में शामिल हैं, जैसे कि बेहिसाब नकद बिक्री, शेल कंपनियों के माध्यम से खरीद,आदि। तलाशी एवं जब्ती की कार्रवाई के तहत याचिकाकर्ता के परिसर को भी कवर किया गया।
विभाग धारा 281 (बी) पर निर्भर है, जो किसी भी आय के आकलन के लिए या किसी भी आय के मूल्यांकन या पुनर्मूल्यांकन के लिए किसी कार्यवाही की लंबित अवधि के दौरान राजस्व के हित की रक्षा के लिए अनंतिम कुर्की से संबंधित है।
विभाग का आरोप है कि जिन दो कंपनियों को शेल कंपनियां बताया जा रहा है, उनके संबंध में कमीशन और ताइवान की मुख्य कंपनी को जोड़कर आदेश पारित किया गया, जिससे फायदा होना बताया जा रहा है। यह भी आरोप लगाया गया कि मुनाफे को चीनी कंपनी में स्थानांतरित करने के लिए तौर-तरीकों को अपनाया गया।
अदालत ने निर्धारित किया कि प्रतिवादी की डीबीएस बैंक में 2,65,04,306 रुपये की एफडी राशि फिलहाल राजस्व के हित की रक्षा के लिए पर्याप्त है।
अदालत ने देखा कि ताइवान के निदेशकों के साथ-साथ भारतीय निदेशक को भी यह अंडरटैकिंग देना आवश्यक है कि मूल्यांकन उस राशि से अधिक होने की स्थिति में जिसे अनंतिम रूप से अटैच करने की अनुमति दी गई है, वे अपने व्यक्तिगत धन से स्वयं के दायित्वों को भी पूरा करेंगे।
केस टाइटल: एफसीएस मैन्युफैक्चरिंग (इंडिया) प्रा. लिमिटेड बनाम आयकर के उप निदेशक
साइटेशन: आर/विशेष नागरिक आवेदन नंबर 15485/2022
दिनांक: 29.11.2022
याचिकाकर्ता के वकील: धिनल शाह के साथ एडवोकेट सौरभ सोपारकर
प्रतिवादी के वकील: वरुण के पटेल
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