गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज की अहमदाबाद नगर निगम के 'नो वैक्सीन-नो एंट्री' सर्कुलर के खिलाफ दायर जनहित याचिका

LiveLaw News Network

17 Dec 2021 10:59 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज की अहमदाबाद नगर निगम के नो वैक्सीन-नो एंट्री सर्कुलर के खिलाफ दायर जनहित याचिका

    गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद नगर निगम के एक सर्कुलर के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। सर्कुलर में ऐसे लोगों को कुछ सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया था, जिन्होंने COVID वैक्सीन की दोनों खुराक नहीं ली है।

    ज‌स्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस नीरल आर मेहता की खंडपीठ ने कहा, "हम अहमदाबाद नगर निगम के निर्णय/ सर्कुलर की सराहना करते हैं। यह निर्णय जनहित में लिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि COVID आगे न फैले। गुजरात राज्य सतर्क है। हम कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।"



    उल्‍लेखनीय है क‌ि अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि निगम ने एक भव्य टीकाकरण अभियान शुरू किया है, और कुछ सार्वजनिक स्थानों (क्षेत्रीय कार्यालयों, चिड़ियाघरों, एएमटीसी, बीआरटीएस, साबरमती रिवरफ्रंट, स्विमिंग पूल, पुस्तकालय, खेल परिसर में आदि) में प्रवेश COVID टीकाकरण की जाँच के बाद दिया जाएगा।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ओम कोतवाल की दलील थी कि जब टीकाकरण स्वैच्छिक है और भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह प्रस्तुत भी कर चुकी है तो एएमसी का यह निर्णय जबरदस्ती टीकाकरण के बराबर है।

    उन्होंने आगे की दलील दी कि एएमसी के पास ऐसा सर्कुलर जारी करने की शक्ति नहीं है (जो लोगों को टीकाकरण के लिए मजबूर करता है)। मेघालय हाईकोर्ट ने माना है कि अनिवार्य या जबरदस्ती टीकाकरण कानून में कोई बल नहीं पाता है।

    कोर्ट ने कहा,

    "हर बार ताकत की खोज नहीं करनी चा‌हिए। क्या आपके पास (वकील) ओमिक्रॉन के खिलाफ लड़ने की शक्ति है? इसे अनदेखा करें, मेघालय बहुत छोटा है, गुजरात राज्य सतर्क है। कुछ दिनों के लिए स्विमिंग पूल में जाना बंद करें, नहीं तो टीका लगवाएं।"

    कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए एएमसी के फैसले की सराहना की और कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं कि लोगों को ओमिक्रॉन के रूप में तीसरी लहर के प्रकोप का सामना न करना पड़े।

    कोर्ट ने अंत में यह भी जोड़ा,

    " ये 4 याचिकाकर्ता 6 करोड़ लोगों को जोखिम में डाल रहे हैं। ऐसे लोग हाईकोर्ट में क्यों आए? यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हम उन पर जुर्माना लगा सकते थे। हम उम्मीद करते हैं कि गुजरात के नागरिक इस तरह की तुच्छ दलीलों के साथ हाईकोर्ट में नहीं आएंगे। यहां तक ​​कि अगर कुछ कार्रवाई, आदेश या सर्कुलर अधिकार क्षेत्र के बिना है या कानून के अनुसार नहीं है, तो एक रिट अदालत, अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र के प्रयोग में हमेशा बड़े सार्वजनिक हित में हस्तक्षेप करने से इनकार कर सकती है । हम स्पष्ट कर सकते हैं कि हम इससे सहमत नहीं हैं कि सर्कुलर बिना किसी कानूनी अधिकार के है। "

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