गुजरात हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक जोड़े की सुरक्षा का आदेश दिया, निवारक और उपचारात्मक कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों को दोहराया

LiveLaw News Network

12 April 2022 3:35 PM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट

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    गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस को एक अंतर-धार्मिक जोड़े के संरक्षण का निर्देश दिया है। जोड़े ने परिजनों से अपनी जान को खतरे का अंदेशा जताया है।

    जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस मौना एम भट्ट की खंडपीठ ने आदेश दिया कि जोड़े को शुरुआत में चार महीने के लिए सुरक्षा प्रदान की जाए। वे जहां भी बसने का प्रयास करें, संबंधित जोन के एसपी/एसीपी मामले को देखें।

    इसके बाद यदि युगल अहमदाबाद में रहता है तो अहमदाबाद शहर के पुलिस आयुक्त चार महीने के बाद निर्णय लेंगे कि इस तरह की सुरक्षा जारी रखी जाए या नहीं।

    ऐसा करते हुए, बेंच ने पुलिस अधिकारियों को शक्ति वाहिनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, (2018) 7 एससीसी 192 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाए गए निवारक और उपचारात्मक उपाय करने के लिए भी कहा।

    उस मामले में पुलिस को उन जोड़ों का संरक्षण करने का आदेश दिया गया था, ‌खाप पंचायत जिन जोड़े या जिनके परिवार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई आदेश पारित करती है।

    इसके अलावा, यह आदेश दिया गया था कि खतरे की आशंका को ध्यान में रखते हुए जिला मुख्यालय पर सुरक्षित घर बनाए जाएं। इसके अलावा, जिला मजिस्ट्रेट/पुलिस अधीक्षक उनके विवाह को संपन्न कराने और यहां तक ​​कि एक वर्ष के लिए मामूली कीमतों पर जोड़े को आवास उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।

    हाईकोर्ट बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें बंदी की मां ने आरोप लगाया था कि प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा बेटी का अपहरण किया गया था और इसलिए, यह प्रार्थना की गई कि बेटी को न्यायालय के समक्ष रिहा किया जाए।

    बेंच ने हालांकि नोट किया कि कॉर्पस प्रतिवादी नंबर 4 से शादी करने का इरादा रखता था, जो एक अलग धर्म का था और उनमें से कोई भी धर्म बदलने के लिए तैयार नहीं था। वे विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत विवाह के पंजीकरण के लिए दृढ़ थे। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता और पति के बीच सुलह करने की कोशिश की लेकिन यह व्यर्थ हो गया। इस बीच, कॉर्पस ने महिला आश्रय गृह में रहने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

    बेंच ने लक्ष्मीबाई चंदरगी बी और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य, (2021) 3 एससीसी 360 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया, जिसमें यह माना गया था कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार अनुच्छेद 21 का अभिन्न अंग है।

    केस टाइटल: सुल्ताना जहांगीरभाई मिर्जा बनाम गुजरात राज्य

    केस नंबर: R/SCR.A/3058/2022

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