गुजरात खनन नियम | जब्त संपत्ति को 45 दिन की अवधि के बाद लिखित शिकायत के साथ न्यायालय के समक्ष पेश किया जाना चाहिए: हाईकोर्ट

Shahadat

9 July 2022 9:43 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने दोहराया कि जांचकर्ता के लिए लिखित शिकायत के साथ सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाना और जब्त की गई संपत्तियों को जब्ती की तारीख से 45 दिनों के भीतर अदालत के समक्ष पेश करना अनिवार्य है, जैसा कि गुजरात खनिज (अवैध खनन, परिवहन और भंडारण की रोकथाम) नियम, 2017 के नियम 12 के तहत निर्दिष्ट है।

    अदालत ने कहा कि इस तरह की कवायद के अभाव में जब्ती और बैंक गारंटी का उद्देश्य विफल हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, संपत्ति को उस व्यक्ति को जारी करना होगा, जिससे इसे बैंक गारंटी के बिना जब्त किया गया था।

    जस्टिस एएस सुपेहिया ने खनन नियमावली के तहत ट्रैक्टर की जब्ती के संबंध में यह टिप्पणी की। निरीक्षण के बाद वाहन को सरपंच से हिरासत में ले लिया गया। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उसने राज्य के अधिकारियों के समक्ष वाहन को छोड़ने के लिए कई अनुरोध किए लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। 58 दिन बीत जाने के बाद भी वाहन को हिरासत में रखा गया है, इसलिए उसने खनन नियमों के नियम 12 (2) (बी) (ii) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया।

    नियम निर्धारित करता है कि प्रारंभिक जांच के बाद यदि नियम 22 के तहत कंपाउंडिंग की अनुमति नहीं है या जांचकर्ता संतुष्ट है कि संपत्ति के संबंध में किया गया अपराध कंपाउंडेबल नहीं है तो जब्ती की तारीख से 45 दिनों की समाप्ति पर या जांच पूरी होने पर सत्र न्यायालय के समक्ष लिखित शिकायत करने के माध्यम से संपर्क करेगा।

    अतिरिक्त सरकारी प्लीडर ने प्रस्तुत किया कि उनकी जानकारी के अनुसार, कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की गई और खनन नियमों के नियम 12 के तहत वाहन की जब्ती के अनुसार कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई।

    हाईकोर्ट ने खनन नियमों के नियम 12(2)(बी)(ii) का हवाला देते हुए निष्कर्ष निकाला कि वाहन की रोक को जारी नहीं रखा जा सकता है। मामले में नाथूभाई जिनाभाई गमारा बनाम गुजरात राज्य मामले के निर्णय का संदर्भ दिया गया।

    कोर्ट ने कहा था,

    "प्रासंगिक रूप से नियम 12 के तहत सक्षम प्राधिकारी केवल संपत्ति को जब्त करने और अपराध की जांच करने के लिए अधिकृत है; जुर्माना लगाया जा सकता है और संपत्ति की जब्ती केवल अदालत के आदेश से की जा सकती है। मगर बड़ी गलतफहमी यह है कि यह दावा करने का अधिकार है कि शिकायत के अभाव में भी जब्त की गई संपत्ति पर उसका प्रभुत्व होगा और वह इसके लिए बैंक गारंटी के लिए जोर दे सकता है।"

    इस फैसले को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को मंजूर करते हुए ट्रैक्टर की जब्ती रद्द कर दी। साथ थी प्रतिवादी प्राधिकारी को वाहन छोड़ने का निर्देश दिया।

    केस नंबर: सी/एससीए/10644/2022

    केस टाइटल: सोलंकी हरिभाई अर्जनभाई बनाम गुजरात राज्य

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