गुजरात हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना मुआवजा बढ़ाया; गणना के लिए सुविधाओं की हानि, कार्यात्मक अक्षमता को भी शामिल किया
LiveLaw News Network
12 April 2022 5:37 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट ने एक खेत कामगार को मोटर वाहन ट्रिब्यूनल की ओर से दिए गए मुआवजे में बढ़ोतरी की है। कोर्ट ने खेत मजदूर/आवेदक की "कार्यात्मक अक्षमता" को 100% माना। उसे स्कूटी चलाते समय ट्रक ने टक्कर मार दी थी, जिसमें उसके दोनों पैरों, सिर और दाहिने हाथ में फ्रैक्चर हो गया था।
जस्टिस संदीप भट्ट की खंडपीठ ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने भविष्य में आय के नुकसान को ध्यान में रखकर मुआवजे का आदेश दिया था। हालांकि, राम अवतार तोमर बनाम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में आवेदक की 100% कार्यात्मक अक्षमता को देखते हुए, मुआवजे की राशि को बढ़ाने की आवश्यकता है।
मामले के तथ्य यह थे कि प्रतिद्वंद्वी संख्या एक अपने ट्रक को तेज और लापरवाही से चला रहा था। उसने आवेदक के स्कूटर को इस तरह टक्कर मारी कि उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर चोटें आईं। इसके बाद, उसके दोनों पैरों और सिर और दाहिने हाथ में कई ऑपरेशन किए गए।
उस समय, आवेदक के पास कृषि भूमि थी और वह प्रति माह 1800-2000 रुपये कमा रहा था। इस दुर्घटना के कारण उन्हें मानसिक पीड़ा, सदमा और आय का नुकसान हुआ।
इसलिए, आवेदक ने आय, दर्द, सदमे, दवाओं और विशेष आहार के एवज 3,00,000 रुपये के मुआवजे का दावा किया। यह भी देखा गया कि विकलांगता प्रमाण पत्र के अनुसार, आवेदक को दाहिने पैर में 75% और बाएं पैर में 20% विकलांगता का सामना करना पड़ा।
तदनुसार, ट्रिब्यूनल ने उसे 12% प्रति वर्ष के साथ 1,42,000 रुपये का मुआवजा दिया। हालांकि आवेदक ने राशि की अपर्याप्तता से व्यथित 1,50,000 रुपये की वृद्धि के लिए अपील की।
आवेदक ने दलील दी कि वह अपने ट्रक को चलाने में सक्षम नहीं होगा, जिसे 100% विकलांगता माना जाना चाहिए क्योंकि वह अपने पैरों और हाथों को स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने में सक्षम नहीं होगा।
मोहन सोनी बनाम राम अवतार तोमर 2012 1 जीएलएच 399 पर भरोसा रखा गया, जिसमें दावेदार को 100% अक्षम माना गया और उसकी भविष्य की आय को देखते हुए मुआवजे की राशि में वृद्धि की गई।
तदनुसार, आय का कुल नुकसान 4,03,200 रुपये किया गया। आवेदक को लगभग 6 दिनों के लिए अस्पताल में रहने के साथ-साथ प्लास्टर और रॉड इम्प्लांट्स आदि की आवश्यकता थी।
बेंच ने कहा कि निर्भरता के नुकसान की गणना 25,200 रुपये पर की गई, जिसे काम के शेष वर्षों के कारण 16 से गुणा किया गया था। मोहन सोनी के फैसले पर भरोसा यह निष्कर्ष निकालने के लिए किया गया कि 5,02,200 रुपये का कुल मुआवजा दिया जाना था, जबकि ट्रिब्यूनल ने केवल 1,42,000 रुपये का मुआवजा दिया था।
इसके अलावा, सैयद सादिक और अन्य बनाम डिवीजनल मैनेजर, यूनिटर इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (2014) 2 एससीसी 735 की जांच करते हुए हाईकोर्ट ने सुविधाओं के नुकसान के लिए भी कुछ राशि प्रदान की। तदनुसार, बेंच ने बीमा कंपनी को 12% ब्याज के साथ 3,59,200 रुपये की अतिरिक्त राशि जमा करने का निर्देश दिया।
केस शीर्षक: ईश्वरलाल कस्तूरलाल पंड्या बनाम इब्राहिमभाई फारुकदीन वोहरा
केस नंबर: C/FA/3085/2009