गुजरात हाईकोर्ट ने नायरा रिफाइनरी के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दैनिक आधार पर उत्सर्जन की निगरानी करने को कहा
Shahadat
21 March 2023 11:23 AM IST
गुजरात हाईकोर्ट ने तेल रिफाइनरी नायरा के खिलाफ देवभूमि द्वारका में वाडीनार गांव को कथित रूप से खतरनाक पदार्थ छोड़ने और प्रदूषित करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी।
एक्टिंग चीफ जस्टिस ए.जे. देसाई और जस्टिस बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किसी भी ठोस सामग्री या गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत मामले के बिना प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि OCEMS प्रणाली के माध्यम से निरंतर निगरानी की गई।
कोर्ट को बताया गया कि बोर्ड द्वारा प्राप्त एसएमएस अलर्ट के आधार पर स्थापित ऑनलाइन कंटीन्यूअस एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम (OCEMS) नामक प्रणाली द्वारा निरंतर पर्यवेक्षण और सत्यापन किया जा रहा है।
अदालत को सूचित किया गया कि निजी कंपनी की ओर से कुछ उत्सर्जन... विभिन्न प्रावधानों और प्रस्तावों/अधिसूचनाओं के तहत प्रदान किए गए मानदंडों के अनुसार क्षति की गणना करने के बाद कंपनी को 61,20,000 रूपये का जुर्माना लगाया गया।
याचिकाकर्ता की यह शिकायत थी कि प्रदूषण बोर्ड ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत कई पर्यावरण प्रदूषकों का उल्लंघन करने के लिए कंपनी द्वारा भुगतान की जाने वाली जुर्माने की राशि की ठीक से गणना नहीं की।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील जितेंद्र मलकान ने प्रस्तुत किया कि प्रतिवादी कंपनी 6 अगस्त, 2015 को रजिस्टर्ड हुई और तब से ऐसे खतरनाक कचरे को छोड़ा जा रहा है, जो प्रदूषण का कारण बनता है।
प्रदूषण बोर्ड की ओर से पेश वकील बृजेश रामानुज ने प्रस्तुत किया कि उसने कंपनी के खिलाफ कार्यवाही बंद करने का फैसला विधिवत गणना के बाद जुर्माना जमा करने के बाद किया।
अदालत ने देखा कि पूर्वोक्त लागू करने के बाद बोर्ड ने कंपनी को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ निर्बाध कनेक्टिविटी बनी रहे और OCEMS के माध्यम से निगरानी की जा सके।
इस प्रकार कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: इशरत भाया बनाम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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