गवाह ने आरोपी को मृतक के पास देखा, खून से सना हथियार बरामद हुआः गुजरात हाईकोर्ट ने हत्या की पुष्टि करने के लिए परिस्थितिजन्य साक्ष्य स्वीकार किए
Shahadat
1 July 2022 1:15 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत हत्य के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति की सजा की पुष्टि की। हाईकोर्ट ने सजा की पुष्टि करते हुए देखा कि अभियोजन पक्ष ने अपराध को साबित करने के लिए परिस्थितिजन्य साक्ष्य सीरीज को ठोस सबूतों के साथ पूरा किया है।
जस्टिस विपुल पंचोली और जस्टिस राजेंद्र सरीन की खंडपीठ ने अभियोजन पक्ष के गवाह द्वारा दिए गए बयान पर भरोसा किया, जिसने आरोपी को मृतक की खाट के पास हथियार के साथ देखा और साथ ही आरोपी से खून से सना हथियार भी बरामद किया।
"पीडब्ल्यू 3 पड़ोसी है और मृतक की चारपाई के पास सो रहा था। उलने अपीलकर्ता को चारा काटने के हथियार के साथ मृतक की खाट के पास देखा था ... हमारा मानना है कि अभियोजन ने हथियार की उक्त खोज को साबित कर दिया है। हथियार पर खून के धब्बे भी पाया गया। Exh.26 में प्रस्तुत सीरोलॉजी रिपोर्ट से पता चला है कि मृतक का खून उस हथियार पर लगा पाया गया, जिसे अपीलकर्ता के कहने पर खोजा गया था। "
पीठ ने आगे कहा कि पिछले दिन आरोपी ने मृतक के साथ झगड़ा किया था और उसे धमकी दी थी। इसलिए उक्त अपराध उसका मकसद बन गया था।
कोर्ट ने कहा,
"इस न्यायालय का विचार है कि अभियोजन पक्ष ने अपीलकर्ता के खिलाफ मामले को उचित संदेह से परे साबित कर दिया है। अपीलकर्ता आरोपी का मकसद भी प्रमुख ठोस सबूतों से स्थापित होता है और परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला भी पूरी होती है।"
हाईकोर्ट दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने दिगंबर वैष्णव बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में उन सिद्धांतों के आधार पर भरोसा किया, जिन्हें परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर सजा दी जा सकती है।
हाईकोर्ट ने इस प्रकार तीन शर्तों पर जोर दिया:
1. जिन परिस्थितियों से अपराध बोध का अनुमान लगाया जाना है, उन्हें दृढ़ता से स्थापित किया जाना चाहिए।
2. परिस्थितियों को दोषरहित रूप से अभियुक्त के अपराध की ओर संकेत करना चाहिए।
3. समग्र रूप से ली गई परिस्थितियों को इतनी पूर्ण श्रृंखला बनानी चाहिए कि इस निष्कर्ष से कोई बच न सके कि अभियुक्त दोषी है।
अपीलकर्ता-आरोपी के खिलाफ यह आरोप था कि उसने मृतक व्यक्ति पर हमला किया, जिसके साथ उसका पिछले दिनों झगड़ा हुआ था। उसने उस पर चारा काटने के हसिया से हमले किया, जिस कारण लगी चोटों से पीड़ित की मौत हो गई।
अपील में उसने तर्क दिया कि पीडब्लू एक और एक मृतक के पुत्र और पत्नी है और वे प्रत्यक्षदर्शी नहीं थे। आगे यह भी आरोप लगाया गया कि पीडब्लू तीन और पीडब्लू चार ने क्रमशः विरोधाभासी और झूठे बयान दिए, इसलिए इस पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। आरोपी ने बताया कि केवल एक पुलिस अधिकारी ने जांच की। फिर भी अभियोजन पक्ष ने पुलिस अधिकारी से पूछताछ नहीं की। अभियोजन भी आरोपी के मकसद को स्थापित करने में विफल रहा, क्योंकि केवल धमकी देना मृतक को मारने का मकसद नहीं होता। अंत में उसने तर्क दिया कि हत्या का हथियार खुली जगह से बरामद किया गया, जिसे कोई भी देख सकता था। इसलिए, उसके साथ इसे जोड़ने का कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
प्रतिवादी एपीपी ने प्रस्तुत किया कि अपीलकर्ता ने अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया और मृतक के परिवार के सदस्यों को धमकी दी। अपीलकर्ता को मृतक की चारपाई के पास हथियार के साथ भी देखा गया। इसके अलावा, हथियार खुले में नहीं मिला था।
कोर्ट ने कहा कि अपनी धमकी में अपीलकर्ता ने विशेष रूप से कहा कि परिवार के भाइयों में से एक को मार दिया जाएगा। पीडब्लू तीन ने भी अभियुक्त को अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए मृतक की चारपाई के पास हथियार के साथ देखा, जबकि पीडब्लू छह ने कहा कि उसने अभियुक्त की आवाज सुनी थी। डॉक्टर ने यह भी पुष्टि की कि चोटें संभवतः धारिया जैसे हथियार से हो सकती हैं।
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बेंच ने आरोपी की सजा को बरकरार रखा।
मामला नंबर: आर/सीआर.ए/3056/2008
केस टाइटल: नरुभाई अमरसिंह मकवाना (कोली पटेल) बनाम गुजरात राज्य
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