सीएए विरोधी प्रदर्शन के आरोपी पर पुलिस ने लगाया है डकैती का चार्ज, गुजरात हाईकोर्ट ने हटाने से किया इनकार

LiveLaw News Network

9 July 2020 6:34 AM GMT

  • सीएए विरोधी प्रदर्शन के आरोपी पर पुलिस ने लगाया है डकैती का चार्ज, गुजरात हाईकोर्ट ने हटाने से किया इनकार

    Gujarat High Court

    गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने के आरोप में गिरफ्तार सतीश प्रवीणभाई वंसोला के खिलाफ डकैती के आपराधिक आरोप को हटाने से इनकार कर दिया। उन्हें पिछले साल द‌िसंबर में गिरफ्तार ‌किया गया था।

    पुलिस उपाधीक्षक के अनुरोध के बाद वंसोला के खिलाफ प्राथमिकी में डकैती का आरोप जोड़ा गया था। वंसोला पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने एक राज्य परिवहन बस की चाबी जबरन ले ली थी।

    कर्ट ने कहा, "रिकॉर्ड से यह प्रतीत होता है कि राज्य परिवहन बस की चाबियों की चोरी के दौरान, याचिकाकर्ता ने उक्त बस ड्राइवर को मौत का डर दिखाया था। उस प्रक्रिया में, याचिकाकर्ता ने बस अपने गंतव्य तक ले जाने से ड्राइवर को भी रोक कर रखा।"

    पृष्ठभूमि

    मामले की पृष्ठभूमि में, वंसोला और तीन अन्य ने सीएए विरोधी प्रदर्शन आयोजित करने की अनुमति प्राप्त की थी। हालांकि विरोध के एक दिन पहले, अनुमति रद्द कर दी गई। वंसोला और अन्य को हिरासत में ले लिया गया।

    विरोध प्रदर्शन की अनुमति रद्द करने की खबर, कथित तौर पर, प्रदर्शनकारियों तक नहीं पहुंच सकी, जिसके बाद एक विशाल जनसभा हुई, जो हिंसक हो गई।

    इसके बाद, वंसोला और अन्य के ख‌िलाफ धारा 143, 147, 147, 149, 308, 152, 153, 120B, 336, 353, 427, 506 (2), 341, 395 आईपीसी, और सार्वजनिक संपत्ति क्ष‌ति रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।

    प्राथमिकी को रद्द करने की कार्यवाही 15 जनवरी, 2020 को हाईकोर्ट की समन्वित खंडपीठ ने खारिज कर दी।

    वर्तमान मामले में, वंसोला ने डकैती का नया आरोप आरोप जोड़ने को इस आधार पर चुनौती दी थी कि अपराध के समय उनकी उपस्थिति असंभव है क्योंकि उन्हें एक दिन पहले पुलिस हिरासत में ले लिया गया था।

    घटना स्थल पर आरोपी की उपस्थिति साबित हुई

    हालांकि, दलील को खारिज करते हुए ज‌स्टिस गीता गोपी की एकल पीठ ने कहा कि घटना स्थल पर वंसोला की उपस्थिति समन्वय पीठ की ओर से जनवरी के आदेश में की गई टिप्पणियों से "स्पष्ट" है,

    "समन्वय पीठ ने यह भी दर्ज किया है कि उस समय दो अभियुक्तों, रिट या‌चिका के मूल याचिकाकर्ताओं ने, भीड़ को संबोधित किया और नारे लगाए, इस तथ्य के बावजूद कि अनुमति रद्द कर दी गई थी, जबकि इस तथ्य की आरोपियों को अच्छी तरह से जानकारी थी। इस प्रकार, घटना स्थल पर आरोपी की उपस्थिति स्पष्ट हो जाती है।"

    आवेदन सुनवाई योग्य नहीं

    समन्वय पीठ के जनवरी के आदेश का हवाला देते हुए, अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत वर्तमान कार्यवाही "सुनवाई योग्य नहीं" हैं, क्योंकि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में एक बार संपूर्ण एफआईआर को चुनौती दे चुका है।

    ज‌स्टिस गोपी ने कहा याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के समक्ष पूर्व की कार्यवाही में धारा 395 आईपीसी के अभियोग के मुद्दे पर वाद-विवाद कर सकते था। अदालत ने कहा, "हालांकि, याचिकाकर्ता ने... उक्त बिंदु पर पहले की कार्यवाही में कभी वाद-विवाद नहीं किया..."

    पहले की कार्यवाही में धारा 395 आईपीसी के अभियोग पर वाद नहीं करने पर, पीठ ने कहा कि अब यह वर्तमान कार्यवाही के जर‌िए वाद-विवाद करने के लिए याचिकाकर्ता के लिए नहीं खुली है।

    आईपीसी की धारा 395 (डकैती) के संदर्भ में कानून

    याचिका के सुनवाई योग्य न होने के बावजूद, पीठ ने आईपीसी की धारा 395 के संदर्भ में कानून पर चर्चा की।

    कोर्ट ने "चोरी" और "गलत तरीके से रोकने" की संयुक्त कार्यवाई से "रॉबरी" तक एक लिंक स्थापित किया, जो कि अगर पांच से अधिक व्यक्तियों द्वारा किया जाए जो "डकैती" है।

    अदालत ने आईपीसी की धारा 378 में प्रदान की गई चोरी की परिभाषा को दोहराया- " जो भी, किसी व्यक्ति की सहमति के बिना, उसके कब्जे से किसी भी चल संपत्ति को बेईमानी से लेने का इरादा रखता है, उस संपत्ति को इस प्रकार ले जाने के क्रम में हटाता है, चोरी कही जाता है।"

    कोर्ट ने आईपीसी की धारा 339 में दिए गए गलत तरीके से रोकने के अपराध की परिभाषा भी दोहराई, "जो कोई भी स्वेच्छा से किसी व्यक्ति को बाधित करता है ताकि उस व्यक्ति को किसी भी दिशा में आगे बढ़ने से रोका जा सके, जिसमें उस व्यक्ति को आगे बढ़ने का अधिकार है, यह उस व्यक्ति को गलत तरीके से रोकना कहा जाता है।"

    वर्तमान मामले में अदालत ने कहा, "राज्य परिवहन बस की चाबियों की" चोरी "के दौरान, याचिकाकर्ता ने उक्त बस के चालक को "मौत का डर" दिखा रखा था।"

    कोर्ट ने कहा, उक्त कृत्‍य वीनू बनाम कर्नाटक राज्य, (2008) 3 एससीसी 94 के संदर्भ में हुआ है, जो कि आईपीसी की धारा 390 के तहत डकैती का अपराध है।

    कोर्ट ने कहा, "सेक्शन 390 में "उस उद्देश्य के लिए" शब्द का स्पष्ट रूप से मतलब है कि चोट चोरी करने में मदद करने के लिए की जाए या अगर अपराधी चोरी कर रहा है, तब की जाए या चोरी की संपत्ति ले जा रहा है या ले जाने का प्रयास कर रहा है।"

    अदालत ने आरोप-पत्र के रिकॉर्ड के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान मामले में, लगभग 3000 व्यक्ति एक स्थान पर एकत्र हुए थे और मामले में डकैती के अपराध के सभी अवयव प्रथम दृष्टया मौजूद थे।

    मामले का विवरण:

    केस टाइटल: सतीश प्रवीणभाई वंसोला बनाम गुजरात राज्य

    केस नं : R / Spcl Crl आवेदन संख्या 2414/2020

    कोरम: ज‌स्टिस गीता गोपी

    वकील: एडवोकेट उत्कर्ष जे दवे और राहुल शर्मा (याचिकाकर्ता के लिए) एडवोकेट मितेश अमीन और प्रणव त्रिवेदी (राज्य के लिए)

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