गुजरात हाईकोर्ट ने नाबालिग पीड़िता के बयान में "सुधार" का हवाला देते हुए 62 वर्षीय POCSO आरोपी को अग्रिम जमानत दी

Shahadat

9 Aug 2022 6:14 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने 17 साल की लड़की को नशा देकर उसका यौन शोषण करने के 62 वर्षीय आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी।

    आरोपी व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363, 366 और 376 और पोक्सो अधिनियम की धारा 4, 6 और 8 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

    हाईकोर्ट ने आरोपी को राहत देते समय कई कारकों को ध्यान में रखा, जैसे अभियोजन पक्ष के बयान में सुधार, आरोपी के बाद के आचरण आदि।

    एफआईआर के अनुसार, पीड़िता ने स्वेच्छा से पोरबंदर से गांधीनगर की यात्रा की, जहां वह आवेदक के घर गई। पीड़िता का अपने घर लौटने का इरादा नहीं था और न ही माता-पिता ने उसे वापस लिया। तदनुसार, उसे एनजीओ के पास भेजा गया, जहां 8 दिनों के बाद उसने आरोप लगाया कि आवेदक ने उसे शराब की पेशकश की और बाद में उसका बलात्कार किया।

    आवेदक ने प्रस्तुत किया कि पीड़िता ने अपनी इच्छा से यात्रा की थी। आवेदक को घरेलू सहायक की आवश्यकता थी। उसने लड़की के माता-पिता से उसे अपने यहां रखने और उसकी शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने की अनुमति ली थी। यह विरोध किया गया कि आरोपों की प्रकृति इस समय हिरासत में पूछताछ के योग्य नहीं है।

    हाईकोर्ट ने नोट किया कि पीड़िता ने उसे घर छोड़ने के अलग-अलग कारण दिए और यह कि आवेदक ने पीड़िता को अपना निवास छोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई। यह भी नोट किया गया कि यदि आवेदक ने पीड़िता का कोई फायदा उठाया होता तो सामान्य व्यवहार में आवेदक ने इतनी लंबी दूरी तय करने के बाद यानी गांधीनगर से पोरबंदर तक उसे नहीं छोड़ा होता।

    हाईकोर्ट ने आवेदक की उम्र और बीमारियों पर भी जोर देते हुए इसे अग्रिम जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला माना।

    केस नंबर: आर/सीआर.एमए/8878/2022

    केस टाइटल: सालिंभाई इब्राहिमभाई मीर बनाम गुजरात राज्य

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