"सरकार चूहे-बिल्ली का खेल खेल रही है, कोर्ट के साथ ईमानदार रहना चाहिए": उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चार धाम यात्रा आयोजित करने के फैसले पर राज्य सरकार को फटकार लगाई
LiveLaw News Network
28 Jun 2021 4:54 PM IST
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जुलाई में चार धाम यात्रा आयोजित करने के फैसले पर राज्य सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि राज्य द्वारा चूहे-बिल्ली का खेल क्यों खेला जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि बेंच इस मामले की सुनवाई (जनवरी 2021) कर रही है। कोर्ट देखा रहा है कि सरकार विवरण छिपा रही है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि,
"आप तैयारी के साथ क्यों नहीं आते? राज्य सरकार द्वारा अपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है।"
कोर्ट ने कहा कि,
"मैं चाहता हूं कि सरकार अदालत के साथ ईमानदार रहे। साफ-साफ क्यों नहीं रखा जा रहा है? मैं राज्य को याद दिलाना चाहता हूं कि उच्च न्यायालय निरर्थक नहीं है। हमें सरकार द्वारा हल्के में नहीं लिया जा सकता।"
कोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा था कि धार्मिक स्थलों पर बड़ी सभा आयोजित करने की अनुमति और राज्य सरकार द्वारा चार धाम यात्रा की अनुमति देकर COVID-19 महामारी को फिर से आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए।
पीठ ने सरकार से 1 जुलाई, 2021 को चार धाम यात्रा शुरू करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।
जिस तरह से सरकार ने उसके सामने हलफनामा दाखिल किया, इस पर कोर्ट ने आज चिंता जाहिर की।
बेंच ने कहा कि,
"उच्च न्यायालय के धैर्य को सरकार द्वारा हल्के में लिया जा रहा है। इससे पहले, हमने राज्य सरकार को विवरण देने के लिए तीन बार अनुमति दी थी, फिर भी सरकार द्वारा एक अधूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।"
राज्य सरकार ने प्रस्तुत किया कि देवस्थानम बोर्ड के साथ परामर्श किया गया है और जुलाई में चार धाम यात्रा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार से सवाल किया कि अगर सरकार धर्मस्थलों को लाइव स्ट्रीम करने का फैसला करती है तो सरकार के कार्यवाई का फैसला करने वाला देवस्थानम बोर्ड कौन है?
कोर्ट ने पूछा,
"आपको बोर्ड के साथ परामर्श की आवश्यकता क्यों है? बोर्ड आपके ऊपर है या आपके नीचे है।"
सरकार ने जवाब में प्रस्तुत किया कि पुजारी संकट पैदा करने वाले हैं जो धर्मस्थलों को लाइव स्ट्रीम करने के लिए सहमत नहीं हैं।
राज्य के रुख से हैरान कोर्ट ने कहा कि,
"यदि आप संकट पैदा करने देते हैं तो क्या आप भी सरकार हैं? सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार कहा है कि सरकार असहायता की दलील नहीं दे सकती है। पुजारियों को समझना चाहिए कि उनका कर्तव्य बड़े पैमाने पर जनता के प्रति है। यदि कोई असहमत है तो उसे अस्पताल का दौरा करने के लिए कहें और उन्हें COVID-19 से पीड़ित लोगों की तस्वीरें दिखाएं।"
मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि,
"हमें पुजारियों से उनकी भाषा में बात करनी चाहिए, कानूनी शब्दजाल की जरूरत नहीं है। उन्हें बताएं कि भगवान कृष्ण ने भी कहा था कि गोवर्धन की पूजा करें और फिर, भले ही इंद्रदेव समस्याएं पैदा करें, मैं आपको बचाऊंगा।"
कुंभ के दौरान एसओपी का नहीं हुआ पालन
जब सरकार ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि एसओपी का पालन किया जाए, तो कोर्ट ने कहा कि कुंभ के दौरान और गंगा दर्शन के दौरान भी एसओपी का पालन नहीं किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम चारधाम यात्रा आयोजित करके आपदा को आमंत्रित कर रहे हैं? कुंभ के दौरान कई नकली आरटीपीसीआर रिपोर्ट प्राप्त हुई थी, उसकी जांच चल रही है।
कोर्ट ने कहा कि,
"जब हमारे अपने कानूनों का पालन करने की बात आती है तो भारतीय बहुत चालाक हो जाते हैं, हम कानूनों का उल्लंघन करने में सबसे अच्छे हैं। राज्य सरकार को राष्ट्रीय मानसिकता को समझना होगा। नकली आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पर जांच कौन करेगा?"
क्या आप लोगों को मुआवजा देंगे: उत्तराखंड उच्च न्यायालय
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि अगर यह पाया जाता है कि चारधाम यात्रा के कारण COVID19 के मामले बढ़ते हैं तो क्या वह COVID के कारण मरने वाले लोगों के परिवार वालों को मुआवजा देगी?
साथ ही सुनवाई के दौरान एक आम आदमी बनियान पहने कोर्ट के समक्ष पेश हुआ। कोर्ट ने रजिस्ट्री को उसे ब्लॉक करने का निर्देश दिया।