बहू को अनुकंपा नियुक्ति दें,‌ जिसकी नौकरी कर रही सास और पति‌ की COVID-19 से मृत्यु हो गई: हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार से कहा

Avanish Pathak

5 Aug 2023 7:53 AM GMT

  • बहू को अनुकंपा नियुक्ति दें,‌ जिसकी नौकरी कर रही सास और पति‌ की COVID-19 से मृत्यु हो गई: हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार से कहा

    राजस्‍थान हाईकोर्ट ने हाल ही में अनुकंपा नियुक्त‌ि के मामले में एक महिला को राहत प्रदान की, जिसकी सास, पति और ससुर का बहुत ही कम समय में एक-एक कर देहांत हो गया। उक्त महिला की सास सीन‌ियर गवर्नमेंट टीचर थीं।

    हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी असाधारण स्थिति में राजस्थान में मृतक सरकारी सेवक के आश्रित की अनुकंपा नियुक्ति नियम, 1996 के नियम 2सी के तहत "आश्रित" के उदार निर्माण की आवश्यकता है, जिससे उसमें "बहू" को भी शामिल किया जाए।

    अदालत ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए बहू के आवेदन को इस आधार पर खारिज करने के सरकार के फैसले को रद्द कर दिया कि वह 1996 के उक्त नियमों के अनुसार 'आश्रित' नहीं है।

    जस्टिस विनीत कुमार माथुर ने कहा कि विस्तार का उद्देश्य मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ परिवार के एकमात्र कमाने वाले की मृत्यु के कारण परिवार को संकट और अभाव से राहत दिलाने के लिए है।

    पीठ ने मृत शिक्षक की बेटी के दावे को खारिज करते हुए कहा,

    "यह न्यायालय दृढ़तापूर्वक मानता है कि यदि ऊपर उल्लिखित स्थिति में याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ दिया जाता है तो विधायिका का इरादा और उद्देश्य लाभप्रद रूप से प्राप्त किया जाएगा। इस न्यायालय का मानना है कि प्रतिवादी संख्या 5 की तुलना में याचिकाकर्ता के प्रति ईश्वर का रवैया काफी कठोर रहा, जो शादी के बाद उचित रूप से अपने वैवाहिक घर में बस गई है। कानून निर्माताओं और न्यायालय का प्रयास उस व्यक्ति को राहत देना है, जो ऐसी स्थिति का सामना कर रही है जैसा कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता द्वारा सामना किया गया है।"

    याचिकाकर्ता ने 2017 में रतन लाल सिंघवी और संतोष सिंघवी के बेटे विनीत सिंघवी से शादी की। संतोष सिंघवी सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, हीराखरी, जिला चित्तौड़गढ़ में वरिष्ठ शिक्षक के रूप में कार्यरत ‌थीं; वह COVID पॉजिटिव पाई गईं और 01 मई, 2021 को उनकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता के पति भी COVID पॉजिटिव पाए गए और उन्हें महात्मा गांधी अस्पताल, भीलवाड़ा में भर्ती कराया गया, जहां मई, 2021 में उनकी मृत्यु हो गई।

    ऐसे में याचिकाकर्ता ने शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया, जब याचिकाकर्ता का आवेदन विभाग में लंबित था, तब उसने अपने ससुर को भी खो दिया। अदालत को बताया गया कि उसकी केवल दो नाबालिग बेटियां बची हैं, जिनके पालन-पोषण और आजीविका का कोई साधन नहीं है। याचिकाकर्ता के आवेदन को सरकार ने 20 सितंबर, 2021 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया था।

    याचिकाकर्ता के आवेदन के खारिज होने के बाद, संतोष सिंघवी की बेटी मोनिका जैन ने भी शादीशुदा बेटी होने के नाते खुद को नियुक्ति का हकदार बताते हुए अनुकंपा नियुक्ति की मांग करते हुए एक आवेदन प्रस्तुत किया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता संकट की स्थिति का सामना कर रही है क्योंकि परिवार में कमाने वाली एकमात्र महिला यानी उसकी सास की मृत्यु हो गई है।

    याचिकाकर्ता के वकील ने राजस्थान राज्य बनाम सुशीला देवी (डीबी सिविल विशेष अपील (रिट) संख्या 383/2023 के जयपुर में राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले पर भरोसा जताया।

    दूसरी ओर, मोनिका जैन की ओर से पेश वकील ने कहा कि 1996 के नियमों के नियम 2 के खंड (सी) (iv) के अनुसार, एक विवाहित बेटी होने के नाते वह दी गई आश्रित की परिभाषा के अनुसार "आश्रित" है। 1996 के नियमों के नियम 2 (सी) में और इसलिए, अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए उसके मामले पर विचार किया जा सकता है।

    अदालत ने कहा कि यद्यपि 28 अक्टूबर, 2021 की अधिसूचना के आधार पर "विवाहित बेटी" को 1996 के नियमों के नियम 2 (सी) के अनुसार "आश्रित" के दायरे में डाला गया है, मोनिका जैन शादी के बाद अपने पति के साथ रह रही है, इसलिए, वह संकट की स्थिति में नहीं है, जबकि याचिकाकर्ता की स्थिति न केवल अनिश्चित है, बल्कि संकटपूर्ण भी है।

    कोर्ट ने कहा,

    "वर्तमान मामले में, रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जो दर्शाता हो कि याचिकाकर्ता अपनी सास पर निर्भर नहीं थी, इसके अलावा, एक असाधारण स्थिति बन गई है, जिसके लिए नियम 2 (सी) के तहत 'डॉटर इन लॉ' को शामिल करने के लिए 'आश्रित' के उदार निर्माण की आवश्यकता है।"

    अदालत ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में, जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्वी विवाद होते हैं, तो अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए प्रतिस्पर्धात्मक कठिनाई को देखा जाना आवश्यक है और यह याचिकाकर्ता के पक्ष में है।

    कोर्ट ने कहा,

    “उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर, इस न्यायालय का विचार है कि अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए याचिकाकर्ता का दावा योग्य से कहीं अधिक है और यहां तक कि बेटी (प्रतिवादी नंबर 5) के दावे की तुलना में कहीं बेहतर स्तर पर खड़ा है।”

    न्यायालय ने राजस्थान राज्य और अन्य बनाम सुशीला देवी और प्रतिवादियों को चार सप्ताह की अवधि के भीतर उपयुक्त पद पर अनुकंपा के आधार पर याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: श्रीमती निर्जरा सिंघवी बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य

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