'लड़कियों की सुरक्षा की आड़ में उनके अधिकारों को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता' : केरल हाईकोर्ट ने हॉस्टल कर्फ्यू पर सवाल उठाए, पितृसत्ता पर तीखी टिप्पणी की

Brij Nandan

30 Nov 2022 5:25 AM GMT

  • लड़कियों की सुरक्षा की आड़ में उनके अधिकारों को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता : केरल हाईकोर्ट ने हॉस्टल कर्फ्यू पर सवाल उठाए, पितृसत्ता पर तीखी टिप्पणी की

    Kerala High Court

    गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में गर्ल्स हॉस्टल में कर्फ्यू पर सवाल उठाते हुए केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने मंगलवार को सक्षम अधिकारियों से जवाब देने को कहा कि छात्रों पर रात 9.30 बजे के बाद भी कैंपस में चलने पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है।

    कोर्ट ने कहा कि इसका औचित्य तभी हो सकता है जब सम्मोहक कारण दिखाए जा सकते हैं।

    वर्तमान मामले में न्यायालय सरकारी मेडिकल कॉलेज कोझिकोड की कुछ छात्राओं द्वारा उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ छात्राओं को रात 9.30 बजे के बाद छात्रावास से बाहर जाने पर रोक लगाने वाली याचिका पर विचार कर रहा था।

    जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा,

    "आधुनिक समय में, किसी भी पितृसत्तावाद - यहां तक कि जेंडर के आधार पर सुरक्षा की पेशकश को नजरअंदाज करना होगा क्योंकि लड़कियां, लड़कों की तरह, खुद की देखभाल करने में पूरी तरह से सक्षम हैं; और अगर नहीं, यह राज्य और सार्वजनिक प्राधिकरणों का प्रयास होना चाहिए कि उन्हें बंद करने के बजाय उन्हें इतना सक्षम बनाया जाए।"

    अदालत ने यह पता लगाया कि इस तरह के प्रतिबंध लगाने के कारणों में से एक इस आधार पर था कि छात्रों को उक्त समय के बाद बाहर जाने का कोई कारण नहीं है क्योंकि वाचनालय और पुस्तकालय तब तक बंद हो जाते हैं।

    हालांकि, न्यायालय ने कहा कि ऐसी अन्य परिस्थितियां भी हो सकती हैं, जहां छात्र रात में बाहर निकलना चाहेंगे।

    कोर्ट ने कहा,

    "जब वे ऐसा करते हैं, तो वे भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विनियम को ध्यान में रखेंगे जो यह आदेश देता है कि सुरक्षा की आड़ में, छात्रों के अधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं को बाधित नहीं किया जा सकता है।"

    मामले को आगे की सुनवाई के लिए 7 दिसंबर, 2022 के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    मौजूदा मामले में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वकील वी. हरीश और वकील राजन विष्णुराज कर रहे हैं। प्रतिवादी की ओर से सरकारी वकील पार्वती कोट्टोल, केरल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के सरकारी वकील पी. श्रीकुमार और केरल महिला आयोग की सरकारी वकील पार्वती मेनन पेश हुईं।


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