GHCAA प्रेसिडेंट असीम पंड्या ने हाईकोर्ट में गुजराती के उपयोग पर वकीलों के बीच विभाजित राय के बाद इस्तीफा दिया

Avanish Pathak

3 Oct 2022 6:53 AM GMT

  • GHCAA प्रेसिडेंट असीम पंड्या ने हाईकोर्ट में गुजराती के उपयोग पर वकीलों के बीच विभाजित राय के बाद इस्तीफा दिया

    गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन (जीएचसीएए) प्रेसिडेंट असीम पंड्या ने गुजरात हाईकोर्ट में अतिरिक्त भाषा के रूप में गुजराती के उपयोग पर एडवोकेट्स के बीच विभाजित राय के बाद सोमवार को इस्तीफा दे दिया।

    गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की प्रबंध समिति को संबोधित त्याग पत्र में सीनियर एडवोकेट पंड्या ने कहा कि वह गुजरात हाईकोर्ट में गुजराती को एक अतिरिक्त भाषा के रूप में अनुमति देने के लिए आंदोलन को छोड़ने के लिए खुद को तैयार करने में असमर्थ हैं। प्रस्ताव का एसोसिएशन के अधिकांश सदस्यों ने विरोध किया।

    उन्होंने कहा,

    "मेरी व्यक्तिगत विचारधारा, हालांकि गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के संविधान में निहित उद्देश्यों और लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में है, हमारे एसोसिएशन के बहुमत सदस्यों के विचारों के विपरीत है और इसलिए, मैं एसोसिएशन के अध्यक्ष का पद छोड़ दूंगा, बजाय कि मैं व्यक्तिगत विचारधारा को छोड़ दूं, जो वादियों और कानूनी व्यवस्था के व्यापक हित में है।"

    पत्र में उन्होंने कहा है कि हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के सदस्य जो गुजराती को एक अतिरिक्त भाषा के रूप में शामिल करने के उनके विचार का विरोध कर रहे हैं, उनके पास यह कहने के अलावा कोई ठोस तर्क नहीं है कि गुजराती भाषा को अनुमति देना संस्था की गरिमा और मर्यादा का त्याग करना होगा।

    "मैं इस तर्क की सराहना करने में असमर्थ हूं कि हमारी मातृभाषा गुजराती का उपयोग कभी भी हमारे न्यायालय की गरिमा और मर्यादा का त्याग कर सकता है।"

    पत्र में यह भी कहा गया है कि सदस्यों को एक काल्पनिक डर है कि ट्रायल कोर्ट्स के वकील अपनी प्रैक्टिस करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट में आ जाएंगे।

    पत्र में आगे कहा गया है कि उनका अगला अभियान बॉम्बे बार एसोसिएशन (मूल पक्ष) द्वारा विकसित मूल प्रणाली को बहाल करना है, जिसमें सीनियर एडवोकेट को उचित रूप से अच्छी प्रैक्टिस करने और स्वैच्छिक आधार पर सीनियर एडवोकेट के रोल पर स्वीकार करने की मान्यता है।

    उन्होंने कहा,

    "मेरा विचार है कि सीनियर एडवोकेट के रूप में मान्यता वस्तुनिष्ठ मानदंडों पर आधारित होनी चाहिए, जो कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 16 के तहत वर्तमान प्रणाली में मौजूद है। मुझे अगले अभियान में भी बार से भी विरोध का सामना करना पड़ सकता है और इसलिए यह मेरे हित में है कि मैं पद से इस्तीफा दे दूं और किसी भी प्रतिबंध से मुक्त अपनी व्यक्तिगत विचारधारा को आगे बढ़ाऊं।"

    उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि वह अपनी व्यक्तिगत विचारधारा के लिए अध्यक्ष पद का त्याग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने उन मतदाताओं के प्रति भी हार्दिक आभार व्यक्त किया जिन्होंने बिना वोट मांगे उन्हें अपना अध्यक्ष चुना।

    यहां यह ध्यान दिया जा सकता है कि अगस्त 2022 में, जीएचसीएए के अध्यक्ष के रूप में, सीनियर एडवोकेट पांड्या ने गुजरात के राज्यपाल देवव्रत आचार्य के समक्ष एक अभ्यावेदन पेश किया था, जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 348 (2) के तहत राज्यपाल द्वारा अपने विशिष्ट प्राधिकरण का उपयोग करते हुए गुजरात हाईकोर्ट में अंग्रेजी के अलावा गुजराती भाषा का उपयोग करने की अनुमति देने की मांग की गई थी।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि संविधान के तहत यह प्रावधान किसी राज्य के राज्यपाल को, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से, राज्य स्‍थ‌िति हाईकोर्ट की कार्यवाहियों में हिंदी भाषा या राज्य की किसी आधिकारिक भाषा के उपयोग को अधिकृत करने की अनुमति देता है।

    इसके बाद, 30 सितंबर को, एसोसिएशन ने अधिवक्ताओं के बीच विभाजित राय के बाद हाईकोर्ट की कार्यवाही में गुजराती को एक अतिरिक्त भाषा के रूप में उपयोग करने की अपनी मांग पर रोक लगाने की घोषणा की थी।

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