बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में जमानत के लिए दायर गौतम नवलखा की याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया

Shahadat

12 Jun 2023 10:05 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में जमानत के लिए दायर गौतम नवलखा की याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को भीमा कोरेगांव - एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार सीनियर जर्नालिस्ट गौतम नवलखा द्वारा दायर ताजा जमानत याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया। उल्लेखनीय है, नवलखा पर सीपीआई से संबंध रखने का आरोप है।

    जस्टिस एएस गडकरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ अब 28 जून, 2023 को मामले की सुनवाई करेगी।

    यह देखते हुए कि ट्रायल कोर्ट ने नवलखा की जमानत याचिका को खारिज करते हुए गूढ़ तर्क दिए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2 मार्च, 2023 को विशेष एनआईए कोर्ट को मामले की नए सिरे से सुनवाई और फैसला करने का निर्देश दिया। नवलखा ने अपनी जमानत याचिका पर फिर से फैसला सुनाए जाने और जमानत से इनकार किए जाने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    अदालत ने तब कहा था,

    “ट्रायल कोर्ट ने ज़मानत अर्जी को खारिज करते हुए यूएपीए की धारा 43D(5) के तहत आवश्यक तर्क नहीं दिया। आदेश में कहा गया तर्क बहुत ही गूढ़ है और इसका कोई विश्लेषण नहीं है।”

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 नवंबर, 2022 को विभिन्न शर्तों के अधीन उनकी मेडिकल स्थिति के कारण जेल से हाउस अरेस्ट में ट्रांसफर की अनुमति देने के बाद नवलखा वर्तमान में नजरबंद हैं।

    73 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता अगस्त 2018 से हिरासत में थे।

    नवलखा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153(ए), 505(1)(बी), 117, 120(बी), 121, 121(ए), 124(ए) और 34 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13, 16, 17, 18, 18(ए), 18(बी), 20, 38, 39 और 40 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    नवलखा पर प्रतिबंधित सीपीआई के एजेंडे को आगे बढ़ाने और सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप है। एनआईए ने उन पर 1 जनवरी, 2018 को पुणे में युद्ध स्मारक स्थल भीमा कोरेगांव में भड़की जातिगत हिंसा को भड़काने का भी आरोप लगाया।

    चार्जशीट में एनआईए ने आरोप लगाया कि नवलखा सीपीआई (माओवादी) के सदस्य थे और उनके पास इससे संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज थे। एनआईए ने यह भी आरोप लगाया कि नवलखा ने कश्मीर अलगाववादी आंदोलन का समर्थन किया था।

    एनआईए ने विशेष अदालत के समक्ष आरोप लगाया कि तथ्यान्वेषी मिशन की आड़ में नवलखा सक्रिय शहरी कैडरों और भाकपा (माओवादी) के भूमिगत नेताओं के बीच नियुक्तियों और बैठकों को तय करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।

    केस टाइटल- गौतम नवलखा बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी

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