गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अखिल गोगोई को राजद्रोह के मामले में आरोपमुक्त करने के आदेश के खिलाफ एनआईए की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा

Avanish Pathak

10 Jan 2023 6:24 PM IST

  • Gauhati High Court

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम विधायक अखिल गोगोई को राजद्रोह के एक मामले में आरोपमुक्त करने और यूएपीए के तहत आरोपों से मुक्त करने के विशेष अदालत के एक जुलाई, 2021 के आदेश के खिलाफ एनआईए की ओर से दायर अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

    सोमवार को दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद जस्टिस सुमन श्याम और जस्टिस मालाश्री नंदी की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

    एनआईए ने विशेष एनआईए अदालत के उस आदेश के खिलाफ 2021 में ‌‌‌‌हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसमें उसे चांदमारी मामले में यूएपीए, राजद्रोह और भारतीय दंड संहिता के तहत अन्य अपराधों से जुड़े सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।

    उल्लेखनीय है कि एक जुलाई, 2021 को विशेष एनआईए जज प्रांजल दास ने अखिल गोगोई को चांदमारी मामले में सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।

    उन्होंने कहा,

    "..रिकॉर्ड पर उपलब्ध भाषणों से, श्री अखिल गोगोई (ए-1) पर हिंसा भड़काने का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दरमियान हुई तोड़फोड़ और संपत्ति को नुकसान से ए-1 को जोड़ने के लिए भी कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है।"

    कोर्ट ने आईपीसी की धारा 120बी, 124ए, 153ए और 153बी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 18 और 39 के तहत आरोप तय करने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है।

    इसके अलावा जज ने देखा था,

    "लोकतंत्र में विरोध कभी-कभी नाकाबंदी के रूप में भी देखा जाता है, यहां तक कि नागरिकों को भी असुविधा होती है। हालांकि, यह संदेहास्पद है कि अस्थायी अवधि के लिए ऐसी नाकाबंदी, अगर हिंसा के किसी भी उकसावे के बिना है, यूएपीए की धारा 15 के अर्थ के भीतर आतंकवादी कार्य का गठन करेगी। मेरे विचार से विधायिका के का इरादा ऐसा नहीं रहा होगा। इसे संबोधित करने के लिए अन्य कानून हो सकते हैं।"

    नतीजतन, अदालत ने अन्य सह-आरोपियों धीरज कोंवर, मानस कोंवर और बिट्टू सोनोवाल को भी आरोपमुक्त कर दिया था।

    अखिल गोगोई के खिलाफ आरोप थे कि उन्होंने कथित तौर पर कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा और असंतोष को उकसाने की साजिश रची थी, नागरिकता संशोधन विधेयक को एक बहाने के रूप में इस्तेमाल किया और उन्होंने लोगों के विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को भी बढ़ावा दिया।

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