गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम राइफल्स द्वारा मारे गए दो कथित उल्फा कैडरों के परिजनों को मुआवजा दिया, सीबीआई जांच से इनकार

Avanish Pathak

18 Feb 2023 3:33 PM GMT

  • Gauhati High Court

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया को दो कथित उल्फा कैडरों (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम) की मांओं को 4 लाख रुपये मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिया है। दोनों कैडरों को न्हें असम राइफल्स के जवानों ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए मार डाला था।

    रिट याचिका को स्वीकार करते हुए चीफ जस्टिस श्री आरएम छाया और जस्टिस सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने कहा,

    "तथ्यों की समग्रता में, रिकॉर्ड पर दलीलों के अनुसार, यह स्पष्ट है कि दोनों मृतकों से असम राइफल्स के जवानों को रुकने के लिए कहा था। हालांकि, उन्होंने भागने की कोशिश की, जिसके बाद असम राइफल्स ने गोलीबारी शुरू कर दी...हालांकि, तथ्य यह है कि दो युवकों ने गोलीबारी में अपनी जान गंवा दी है और याचिकाकर्ता के परिजन उचित मुआवजे के हकदार हैं।”

    यह याचिकाकर्ताओं (मृतकों की मांओं) का मामला था कि उन्हें टीवी चैनलों से पता चला कि उनके बेटों को गोली मार दी गई थी और छह अन्य को पुलिस ने इस आरोप पर पकड़ा गया है कि वे उल्फा से संबंधित हैं।

    याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि असम राइफल्स ने अमानवीय तरीके से बिना किसी तुक और कारण के उनके बेटों को मार दिया और इस तरह से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत शक्तियों का प्रयोग संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 (5) का उल्लंघन है।

    प्रतिवादी, असम राइफल्स ने हलफनामे में दावा किया कि 13वीं असम राइफल्स, मियाओ 'कॉय' ने 14.12.2016 को धर्मपुर के सामान्य क्षेत्र में उल्फा (आई) के उग्रवादियों की उपस्थिति के संबंध में अपने स्रोतों से विशिष्ट इनपुट पर एक ऑपरेशन शुरू किया था।

    यह बताया गया कि संदिग्ध घरों को निगरानी में रखा गया था और उल्फा (आई) के दो कैडरों ने घेरा तोड़कर भागने की कोशिश की और भले ही असम राइफल्स के जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वे नहीं रुके और जिसके कारण जवानों ने फायरिंग की, जिसमें मृतक व्यक्ति मारे गए।

    कथित घटना के संबंध में, सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया, जो न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी, मियाओ, जिला चांगलांग, अरुणाचल प्रदेश द्वारा किया गया, जिन्होंने अपनी अंतिम रिपोर्ट दिनांक 25.05.2017 में दर्ज किया कि सुरक्षा बलों के खिलाफ कुछ भी प्रतिकूल नहीं पाया गया।

    इससे पहले रिट याचिका के लंबित रहने के दरमियान हाईकोर्ट की एक समन्वय पीठ ने 23.03.2021 के आदेश के तहत मामले की सच्चाई तक पहुंचने के लिए वर्तमान जिला न्यायाधीश द्वारा जांच का आदेश दिया था।

    अदालत ने पाया कि जिला न्यायाधीश की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 11 लड़के और लड़कियों को बॉर्डर पर उल्फा में शामिल होने के लिए म्यांमार जाना था, 14.12.2016 को असम राइफल्स के जवानों की ओर से हुई गोलीबारी में दोनों युवक मारे गए थे।

    अदालत ने सक्षम अधिकारियों को निर्देश दिया जो याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर एफआईआर की जांच कर रहे हैं कि वे कानून के अनुसार और यथासंभव शीघ्रता से जांच करें।

    हालांकि, अदालत ने कहा,

    "तथ्यों की समग्रता में और इस मामले के तथ्यों में, सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी द्वारा जांच की आवश्यकता नहीं है जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है। विद्वान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिब्रूगढ़ ने मामले की गहन जांच की है।

    अंत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के तहत असम सरकार की 18.03.2012 की अधिसूचना को ध्यान में रखते हुए मौत के मामले में 2,00,000/- रुपये का मुआवजा प्रदान करने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य। (2014) 10 एससीसी 635 और नागा पीपुल्स मूवमेंट ऑफ ह्यूमन राइट्स बनाम यून‌ियन ऑफ इंडिया (1998) 2 एससीसी 109 मामलों में निर्धारित अनुपात पर भरोसा करने के बाद अदालत ने आदेश दिया कि यूनियन ऑफ इंडिया चार लाख रुपये भुगतान मुआवजे के रूप मेंकरेगी।

    केस टाइटल: श्रीमती बोहागी चुटिया और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इं‌डिया और अन्य।

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