असमः विदेशी ट्रिब्यूनल ने याचिका के बावजूद गलत महिला पर खुद को विदेशी नहीं साबित करने का दबाव बनाया; गुवाहाटी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा-ट्रिब्यूनल ने ऐसा क्यों किया, कारण बताएं
Avanish Pathak
7 April 2023 10:47 PM IST
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में असम सरकार को एक विदेशी ट्रिब्यूनल के आदेश के संबंध में कारण बताने का निर्देश दिया, जिसमें संदिग्ध विदेशी, जिसे मूल रूप से नोटिस दिया जाना था, के बजाय एक महिला को यह निर्देश दिया था कि वह यह साबित करे की वह विदेशी नहीं है।
जस्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और जस्टिस रॉबिन फुकन की खंडपीठ ने कहा,
"गृह विभाग, असम सरकार को एक हलफनामा दायर करके यह बताना होगा कि फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल नंबर 2, धुबरी के सदस्य ने ऐसा व्यवहार क्यों किया, जब रिट याचिकाकर्ता ने ट्रिब्यूनल को वापस रिपोर्ट किया कि वह वह व्यक्ति नहीं है, जिसे नोटिस दिया जाना था, ट्रिब्यूनल ने ..उक्त पहलू पर गौर भी नहीं किया और याचिकाकर्ता को विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 9 के तहत यह साबित करने के लिए मजबूर किया कि वह विदेशी नहीं है।"
याचिकाकर्ता ने विदेशी ट्रिब्यूनल, धुबरी के समक्ष तर्क दिया कि वह वह व्यक्ति नहीं थी, जिसके खिलाफ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन ट्रिब्यूनल ने उक्त पहलू को देखे बिना, याचिकाकर्ता को विदेशियों अधिनियम की धारा 9 के तहत साक्ष्य के बोझ का निर्वहन करने का आदेश दिया।
न्यायालय ने कहा कि उक्त आदेश का निहितार्थ यह था कि जिस संदिग्ध विदेशी को वास्तव में नोटिस जारी किया गया था, उसे ट्रिब्यूनल ने मुक्त कर दिया, जबकि एक अन्य व्यक्ति, जिसे विदेशी नहीं कहा गया था, उसे यह साबित करना होगा कि वह विदेशी नहीं है।
इस प्रकार, न्यायालय ने राज्य को ट्रिब्यूनल की आपत्तिजनक कार्रवाई के लिए एक हलफनामे के रूप में कारण बताने का निर्देश दिया और आगे यह बताने के लिए कहा कि इस मामले में क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई है।
केस टाइटल: लाल भानु बीबी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और 6 अन्य।
कोरम: जस्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और जस्टिस रॉबिन फुकन