गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम की जेलों में COVID-19 के बढ़ते मामलों पर स्वतः संज्ञान लिया

SPARSH UPADHYAY

24 July 2020 9:52 AM GMT

  • गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम की जेलों में COVID-19 के बढ़ते मामलों पर स्वतः संज्ञान लिया

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को असम की जेलों में COVID -19 के बढ़ते मामलों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए असम सरकार को यह आदेश दिया कि वह जेल में बंद उन कैदियों के लिए सबसे अच्छा इलाज उपलब्ध कराये, जो कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

    मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय लांबा एवं न्यायमूर्ति मनीष चौधरी की बेंच ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में अधिकारियों को राज्य भर के सभी कैदियों का परीक्षण करने और उसके अनुसार परिणामों को अदालत को सूचित करने का निर्देश भी दिया।

    अदालत ने अपने आदेश में इस बात का जिक्र किया कि यह जनहित याचिका, स्वतः संज्ञान लेते हुए इसलिए पंजीकृत की जा रही है क्योंकि असम राज्य की जेलों में गंभीर स्थिति के मद्देनजर न्यायालय को इस मामले में दखल देना जरुरी लग रहा है।

    अदालत ने यह भी देखा कि अब तक यह कई बार दोहराया गया है कि प्रदेश की विभिन्न जेलों में कई COVID -19 पॉजिटिव मामलों का पता चला है। यहां तक कि जिला और सत्र न्यायाधीश, नागांव ने इस आशय का एक संचार भेजा है कि 21.07.2020 को COVID -19 के लिए किये गए परिक्षण में 79 जेल कैदियों में से 48 पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा अन्य 5 कैदी भी पॉजिटिव पाए गए हैं।

    अदालत ने मुख्य रूप से यह रेखांकित किया कि वायरस का वाहक जेल के बाहर से आने वाला कोई व्यक्ति और कहा कि,

    "जेल मैनुअल के अनुसार जेलों में प्रवेश प्रतिबंधित है। जेलों में कैद व्यक्ति या तो अंडरट्रायल कैदी होते हैं; या दोषियों को सजा के बाद वहां रखा जाता है। दोनों ही मामलों में, जेल में प्रवेश को प्रतिबंधित किया जाता है और केवल अधिकृत कर्मियों को जेल में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है। प्रथम दृष्टया यह माना जा सकता है कि बाहर का कोई व्यक्ति एक वाहक (कोरोना वायरस का) रहा है और उसने जेलों में इस बीमारी को फैलाया है। जेलों में वायरस के प्रसार से बचने के लिए उचित सावधानी और उपाय नहीं किए गए।"

    अदालत ने अपने आदेश में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ प्रीजंस, असम (Inspector General of Prisons, Assam) को अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करते हुए स्पष्ट संकेत देने का आदेश दिया कि:

    (i) प्रत्येक जेल में कितने COVID -19 सकारात्मक मामले पाए गए हैं?

    (ii) कैदियों के COVID-19 पॉजिटिव पाए जाने से पहले क्या सावधानियां बरती गई थीं?

    (iii) जेलों को वायरसरहित करने और जेल के कैदियों को उपचार देने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

    (iv) कितने COVID -19 पॉजिटिव मामले एसिम्पटोमैटिक (asymptomatic) और सिम्पटोमैटिक (symptomatic) जेलों के अंदर अलग-अलग हैं?

    आगे, अपने आदेश में अदालत ने यह निर्देशित किया कि

    "जिन व्यक्तियों को COVID -19 पॉजिटिव नहीं पाया गया है, उन्हें अलग रखा जाए और उन्हें इस तरह से बनाए रखा जाए ताकि यह बीमारी उन तक न पहुंचे। किसी भी स्थिति में, असम राज्य के सभी जेल के कैदियों का कोरोनावायरस परीक्षण किया जाना है। इसके परिणाम इस न्यायालय को बताए जाने हैं।"

    अदालत ने अंत में अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि यदि प्रत्येक बिंदु पर हलफनामा मामले की अगली तारीख को (08.09.2020) या उसके पहले दायर नहीं किया जाता है, तो न्यायालय एक्सेम्प्लेरी कास्ट लगाएगा जिसे उस अधिकारी के वेतन से प्राप्त किया जायेगा/काट लिया जायेगा, जो कोर्ट की प्रक्रिया में देरी के लिए जिम्मेदार पाया जायेगा।

    गौरतलब है कि 'द इंडियन एक्सप्रेस' अख़बार ने मंगलवार (21 जुलाई) को असम में गुवाहाटी सेंट्रल जेल के एक अज्ञात अधिकारी के हवाले से यह रिपोर्ट किया था कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र शारजील इमाम का कोरोनोवायरस परिक्षण भी पॉजिटिव आया था। इमाम, नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के मामले में असम की जेल में हैं।

    इसके अलावा, इसी जेल (गुवाहाटी की केंद्रीय जेल) में बंद असम के एक कार्यकर्ता अखिल गोगोई का कोरोनोवायरस परिक्षण भी पॉजिटिव आया था। असम के कारागार महानिरीक्षक दशरथ दास ने ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल स्क्रॉल.इन को यह बताया था कि पूर्व में गोगोई का COVID-19 एंटीजन के साथ-साथ पुष्टिकरण आरटी-पीसीआर परीक्षण नेगेटिव आया था लेकिन शनिवार (11 जुलाई) को एंटीजन टेस्ट में उनका COVID-19 परीक्षण पॉजिटिव आया।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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