गुवाहाटी हाईकोर्ट ने वकील को अवमानना का दोषी ठहराया, जज की तुलना पौराणिक राक्षस से की थी
Avanish Pathak
10 March 2023 3:05 PM

Gauhati High Court
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक वकील को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया है। वकील ने एक अतिरिक्त जिला जज के पहनावे पर टिप्पणी की थी, उसकी तुलना पौराणिक दानव से की थी और कई अन्य तल्ख टिप्पणियां की थी।
वकील उत्पल गोस्वामी ने खुद को दोषी माना और माफी मांगी थी, जिसके बाद जस्टिस कल्याण राय सुराणा और जस्टिस देवाशीष बरुआ की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया।
पीठ ने कहा,
"प्रतिवादी / अवमाननाकर्ता की ओर से पेश दोष की दलील के मद्देनजर, हम प्रतिवादी अवमाननाकर्ता को न्यायालय अधिनियम, 1971 की धारा 14 के प्रावधान के अनुसार दोषी ठहराए जाने की उसकी दलील पर दोषी ठहराते हैं।"
मामला
गोस्वामी ने ट्रांसफर के लिए धारा 24 सीपीसी के तहत एक याचिका दायर की थी, जो अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, जोरहाट की अदालत के समक्ष लंबित थी।
याचिका में उन्होंने कहा, "पीठासीन अधिकारी ने रैंप की एक मॉडल की तरह गहने पहनकर अदालत की अध्यक्षता की और हर मौके पर उन्होंने वकीलों को सुने बिना अनावश्यक केस लॉ और कानून की धाराओं का हवाला देकर वकीलों पर हावी होने/ दमन करने की कोशिश की और गैंग की तरह बर्ताव करते हुए कोर्ट रूम को नियंत्रित करने की कोशिश की है।
गोस्वामी ने आगे आरोप लगाया कि संबंधित पीठासीन अधिकारी अपने टाइपिस्ट को कुछ खास मानती हैं। अपने कार्यालय सहायक के माध्यम से माजुली जिले से खाने-पीने की चीजें मंगाती हैं और निजी काम के लिए आधिकारिक ड्राइवर और कार का भी उपयोग करती हैं।
उन्होंने न्यायिक अधिकारी की तुलना 'भस्मासुर' से की।
गोस्वामी पर अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 14 (जहां सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के समक्ष प्रक्रिया हो) के तहत आपराधिक अवमानना का आरोप लगाया गया था।
Vkअपने हलफनामे में उन्होंने आरोप के लिए दोषी ठहराया और बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वह भविष्य में इस प्रकार के अपराध को कभी नहीं दोहराएंगे।
जब अदालत ने उन्हें आरोप के बारे में बताया, तो उन्होंने दया की प्रार्थना की और मुकदमा चलाने का दावा नहीं किया।
इस प्रकार, अदालत ने उन्हें धारा 14 के तहत दोषी ठहराया और उन्हें 10,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा कर दिया।
अदालत ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि सजा की सुनवाई के लिए मामले को 20 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
केस टाइटल: XXX बनाम इन रिप्लाई उत्पल गोस्वामी