कोर्ट हियरिंग की रिपोर्ट करने की स्वतंत्रताः सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मीडिया के लिए ई-एक्सेस की मांग
LiveLaw News Network
8 May 2021 6:15 PM IST
सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के मद्देनजर (भारत का चुनाव आयोग बनाम एमआर विजया भास्कर एलएल 2021 एससी 244),जिसमें अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों और वकीलों द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों और चर्चाओं की रिपोर्ट करने के लिए मीडिया की स्वतंत्रता को बरकरार रखा है, गुजरात हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर कर मीडिया के लिए ई-एक्सेस की मांग की गई है।
गुजरात राज्य में कोरोना महामारी के प्रबंधन से संबंधित हाईकोर्ट के समक्ष चल रहे एक मामले में [Suo Motu Writ Petition (PIL) No. 53 of 2021] यह आवेदन अधिवक्ता अमित मणिभाई पांचाल द्वारा दायर किया गया है।
गुजरात हाईकोर्ट ने 12 अप्रैल 2021 को रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि वह "In Re : Uncontrolled upsurge and serious management issues in COVID Control." नामक शीर्षक से एक स्वतःसंज्ञान मामला नए सिरे से दर्ज करे।
महत्वपूर्ण रूप से, आवेदन में कहा गया है,
''अगर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सदस्यों को दिन-प्रतिदिन के आधार पर मामलों की रिपोर्ट करने के लिए कोर्ट लिंक उपलब्ध करवा दिए जाते हैं तो अदालत की कार्यवाही सही समय पर रिपोर्ट की जा सकती है। वहीं इसके परिणामस्परूप कोरोना महामारी के इस कठिन समय में उक्त पहलुओं को आम जनता के ध्यान में ला जा सकेगा।''
इस पृष्ठभूमि में, आवेदन में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के हालिया जजमेंट का हवाला दिया गया है, जो कि प्रेस की स्वतंत्रता से संबंधित है, और जिसमें भारत के सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि कार्यवाही की रिपोर्टिंग को गैग करना कोर्ट के लिए प्रतिगामी होगा और इस तरह से संवैधानिक लोकाचार को बरकरार रखा गया है।
आवेदक ने यह भी रेखांकित किया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि गुजरात हाईकोर्ट अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों के बराबर था, जो निश्चित रूप से गर्व का क्षण था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था,
''कई विदेशी अदालतें अपनी कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग कर रही हैं। यहां तक कि गुजरात हाईकोर्ट ने भी यूट्यूब पर अपनी कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम करना शुरू कर दिया है।''
आवेदक ने आगे प्रस्तुत किया है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता न्यायिक संस्थानों में रिपोर्टिंग की कार्यवाही तक फैली हुई है।
यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने, सैद्धांतिक रूप से, सुप्रीम कोर्ट को कवर करने वाले सभी पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के लिए लिंक प्रदान करने का निर्णय लिया है।
आवेदन में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह रजिस्ट्री को निर्देश दें कि तुरंत मीडिया को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लिंक प्रदान किए जाएं ताकि वह अदालती कार्यवाही को रिपोर्ट करने में सक्षम हो सके।
गौरतलब है कि आवेदन में यह भी कहा गया है कि,
''यदि जल्दी से कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लिंक प्रेस मीडिया को प्रदान किए जाते हैं, तो यह प्रेस की स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी एक कदम होगा और अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने के समान नहीं होगा और इस तरह संवैधानिक लोकाचार को बनाए रखना संभव होगा।''