मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए पेंशन से जबरन कटौती की अनुमति नहीं : केरल हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

14 July 2021 7:26 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि केएसईबी अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 'वैक्सीन चैलेंज' के तहत मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए दी जाने वाली पेंशन से तब तक कोई राशि की कटौती नहीं की जाएगी जब तक कि उन्होंने इस तरह की कटौती के लिए लिखित सहमति व्यक्त न की हो।

    न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने सुनवाई के दौरान कहा कि राहत कोष में कोई भी योगदान मजबूरी या जबरन अनुपालन का मामला नहीं हो सकता है और इसे केवल योगदानकर्ता की पूरी इच्छा से ही प्रभावी किया जा सकता है, बशर्ते ऐसी कटौती को मंजूरी देने वाला कोई वैध कानून लागू न हो।

    केएसईबी के दो सेवानिवृत्त कर्मचारियों और पेंशनभोगियों, राजन ईजी और एम केशव नायर द्वारा दायर रिट याचिका में वैक्सीन चैलेंज के तहत उक्त राहत कोष के लिए उनकी पेंशन से अनधिकृत कटौती को चुनौती दी गई थी।

    केएसईबी ने राहत कोष के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन से जबरन कटौती को मंजूरी देते हुए परिपत्र जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्होंने न तो इस तरह के योगदान के लिए सहमति दी है और न ही उनकी पेंशन में कटौती करने के लिए सहमति दी है। इस आधार पर याचिकाकर्ता ने केएसईबी की इस कार्रवाई को रद्द करने की मांग की और उन्हें उनकी पात्र रोकी गई पेंशन का भुगतान तुरंत किया जाए।

    प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि उनकी सहमति के बिना उनके किसी भी कर्मचारी से जबरन कोई राशि लेने का उनका इरादा नहीं था। इस तर्क को पुष्ट करने के लिए, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि परिपत्र केवल पेंशनभोगियों के संघ के बीच एक समझौते के आधार पर जारी किया गया है, जहां उन्होंने राहत कोष में एक दिन की पेंशन का योगदान करने की इच्छा व्यक्त की है।

    प्रतिवादियों ने आगे कहा कि यदि याचिकाकर्ता केएसईबी द्वारा अपना योगदान बरकरार रखने के लिए सहमत नहीं हैं तो उक्त राशि बिना किसी देरी के उन्हें वापस कर दी जाएगी।

    कोर्ट ने कहा कि यह देखा गया कि कोई भी कर्मचारी, सेवानिवृत्त और सेवारत दोनों, वैक्सीन चैलेंज के तहत किसी भी प्रेषण को झेलने के लिए कानूनी रूप से स्वीकृत दायित्व के अधीन नहीं है। इसलिए, सेवानिवृत्त लोगों की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बिना इस तरह की कटौती को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है।

    तदनुसार, केएसईबी को दो सप्ताह के भीतर राहत कोष के लिए याचिकाकर्ताओं के खातों से काटी गई राशि को वापस करने का निर्देश दिया गया।

    कोर्ट ने कहा कि,

    "मैं इस रिट याचिका को प्रतिवादियों को इस फैसले की एक प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाकर्ताओं की पेंशन से काटी गई राशि वापस करने के लिए एक निर्देश दिया जाता है और इसके साथ कि इस तरह से किसी भी राशि की कटौती नहीं की जाएगी, सिवाय इसके कि वे लिखित रूप में इसके लिए विशिष्ट सहमति दें।"

    याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट पी.सी. हरिदास पेश हुए, जबकि एडवोकेट एन सतीश ने मामले में केएसईबी की ओर से पेश हुए।

    केस का शीर्षक: राजन ईजी एंड अन्य बनाम केरल राज्य विद्युत बोर्ड

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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