बेंगलुरु के कबन पार्क में यातायात पर प्रतिबंध लगाने के लिए 5 साल के बच्‍चे ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की

LiveLaw News Network

23 Dec 2020 8:00 AM GMT

  • बेंगलुरु के कबन पार्क में यातायात पर प्रतिबंध लगाने के लिए 5 साल के बच्‍चे ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को पांच महीने के एक बच्‍चे की जनहित याचिका पर राज्य सरकार और अन्य उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया।

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को पांच महीने के एक शिशु की जनहित याचिका पर राज्य सरकार और अन्य उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया। याचिका में बेंगलुरु स्‍थ‌ित कबन पार्क में यातायात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस नटराज रंगास्वामी की खंडपीठ ने नोटिस जारी कर उत्तरदाताओं को अपनी आपत्ति दर्ज कराने का निर्देश दिया है। हालांकि अदालत ने याचिका पर किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि अंतरिम राहत अंतिम आदेश के बराबर होगी।

    एडवोकेट अंजन देव नारायण और एडवोकेट अन्नपूर्णा सीताराम के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशानिर्देशों के अनुसार, बागवानी विभाग ने पार्क को सामान्य आवागमन के लिए 25.05.2020 से 20.05.2020 तक बंद कर दिया था। पार्क की गुणवत्ता पर लॉकडाउन का सकारात्मक प्रभाव पड़ा, और संस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड के स्तर में कमी आई।

    राज्य सरकार ने 08.09.2020 के आदेश से बागवानी विभाग को अपने अधिकार क्षेत्र में पार्क खोलने का निर्देश दिया। जिसके बाद, कबन पार्क ट्रैफिक पुलिस ने एक पत्र भेजकर उद्यान विभाग के उप निदेशक को पार्क को यातायात के लिए खोलने का अनुरोध किया।

    फिर 09.09.2020 को राजस्व विभाग के संयुक्त निदेशक, श्री के उमापति, 08.09.2020 के आदेशों को संशोधित करते हुए, पब्ल‌िक पार्कों में पैदल और वाहनों की आवाजाही को शामिल किया।

    याचिका में कहा गया है कि उत्तरदाताओं के कार्यों का याचिकाकर्ता के स्वास्थ्य, भलाई और गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जो एक शिशु के रूप में पर्यावरण की दृष्टि से गैर-जिम्मेदार उत्तरदाताओं का कृत्यों का भार वहन करने के लिए मजबूर है। इसके अलावा, यह कहा गया है कि उत्तरदाताओं की कार्रवाई याचिकाकर्ता के प्रदूषण मुक्त हवा और पानी का आनंद लेने के अध‌िकारों को प्रभावित करती है और उसके जीवन की गुणवत्ता को बाधित करती है। यह उसके संवैधानिक अधिकारों का स्पष्ट अवमानना है।

    दलील में कहा गया है, "यह सुनिश्चित करने का विचार कि पार्क में मोटर चालित वाहन की आवाजाही न हो, न तो नया है और न ही क्रांतिकारी है...बागवानी विभाग, जिसके पास लालबाग के प्रबंधन की जिम्‍मेदारी है, ने 1975 से सफलतापूर्वक यह सुनिश्चित किया है लालबाग में वाहनों की आवाजाही न हो। यह फैसला निरंतर और अपरिवर्तित है।"

    याचिका भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए अध्ययन पर पर भरोसा करती है। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि यदि यातायात को पार्क के लिए खोला जाता है तो यातायात में कोई कमी या क्षमता के अनुपात में सुधार नहीं होता है। उन्होंने यह भी पाया है कि पार्क के अंदर यातायात न होने पर CO2 और PM2.5 उत्सर्जन में कमी आई है। रिपोर्ट में ट्रै‌‌‌फ‌िक रोकने पर पर्यावरण में सुधार की जांच करने के बाद पार्क को बंद करने की सिफारिश की गई है।

    याचिका में कहा गया है कि पार्क को खोलने का फैसला बागवानी विभाग के पास ही रहता है, न कि कबन पार्क ट्रैफिक पुलिस स्टेशन, कर्नाटक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पास। ऐसा कृत्य स्पष्ट रूप से अवैध है।

    याचिका में आगे कहा गया है कि कर्नाटक सरकार को इस सबंध में ऑनलाइन याचिकाएं भी भेजी गई हैं।

    इससे पहले, कबन पार्क वॉकर्स एसोसिएशन ने भी जनहित याचिका दायर कर निर्देश मांगे थे कि राज्य सरकार शहरी भूमि परिवहन निदेशालय द्वारा की गई सिफारिशों पर विचार करे, जिसने पार्क के अंदर वाहनों के आवागमन को रोकने का सुझाव दिया था।

    न्यायालय ने 22.10.2020 को उक्त मामले का निस्तारण किया था, जिसके तहत राज्य सरकार को निर्देश दिय गया था कि वह उक्त सिफारिशों पर विचार करे और 6 सप्ताह भीतर फैसला ले।

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