जस्टिस ओका की युवा वकीलों को सलाह, "यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो शुरुआती वर्षों में ट्रायल कोर्ट में प्रैक्टिस करें"
LiveLaw News Network
6 July 2020 4:54 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका ने द रूट्स रिसोर्सेज और नलसार्स न्याय फोरम की ओर से आयोजित ई-सेमिनार में कानून और न्याय पने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में जस्टिस ओका ने उन छात्रों और युवा वकीलों के लाभ के लिए, जिन्हें मुकदमेबाजी में कैरियर बनाने की इच्छा है, अपने विचार और अनुभव साझा किए।
ट्रायल कोर्ट स्तर का कार्य एक महान सीख
ट्रायल कोर्ट में वकालत के महत्व पर जस्टिस ओका ने कहा कि, "यदि आप हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करना चाहते हैं और आप वास्तव में सफल होना चाहते हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि शुरुआती कुछ वर्षों में आप ट्रायल कोर्ट में प्रैक्टिस करें।"
उन्होंने आगे कहा कि, लॉ स्कूलों में कानून के प्रक्रियात्मक पहलुओं से संबंधित उत्साह गंभीर कमी का सामना कर रहा है। और छात्रों की प्राथमिकताओं में ट्रायल कोर्ट में प्रैक्टिस कम ही रह गई है। जस्टिस ओका ने अपनी बातों को समझाने के लिए उदारहण दिया कि दीवानी मामले में एक वाद-पत्र और लिखित बयान का मसौदा तैयार करने के लिए क्या अवाश्यकताएं होती हैं।
उन्होंने कहा, "जब आप वाद-पत्र तैयार करने का काम अपने हाथ में लेते हैं, तब कोई भी लॉ स्कूल आपको यह नहीं बताता कि ट्रायल के समय क्या होगा, इसकी कल्पना कैसे करें।"
उन्होंने कहा, ट्रायल कोर्ट की प्रैक्टिस मानव मन को समझने का एक शानदार अवसर देती है। जब एक क्लाएंट आपसे संपर्क करता है और मामले के तथ्यों की जानकारी देता है तो क्लाएंट की सच्चाई को परखने से आपकी कुशलता बढ़ती है। और क्लाइंट के साथ बातचीत करना भी सीखने का अनुभव है।
कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां
जस्टिस ओका ने कहा कि कुछ ऐसे अपरिहार्य ज्ञान है, जिन्हें ट्रायल कोर्ट में ही पाया जा सकता है-
-एक गवाह के जरिए एक दस्तावेज को कैसे साबित किया जाए / एक दस्तावेज को कैसे चिह्नित किया जाए?
-जिरह की कला, और इस कला को केवल ट्रायल कोर्टों में प्रैक्टिस करके ही पाया जा सकता है।
-अदालत की कला और एक वकील को अपने तर्कों से जज को कैसे प्रभावित करना चाहिए।
-कानून के प्रक्रियात्मक पहलू।
जस्टिस ओका ने कहा, क्रिमिनल ट्रायल के मामले में, यह बुनियादी है कि, ट्रायल से पहले चार्जशीट पर उपलब्ध सामग्रियों के आधार पर आपको कल्पना करनी चाहिए कि किस तरीके से शिकायत की गई घटना हुई होगी।
न्याय की उपलब्धता
जस्टिस ओका ने कहा कि देश में अलग-अलग कारणों से असंख्य ऐसे लोग हैं, जिन्हें न्याय उपल्ब्ध नहीं है, और वे खामोशी से अन्याय सहन कर रहे हैं।
जस्टिस ओका ने कहा कि कानूनी शिक्षा न्याय की उपलब्धता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने कहा, "कानूनी साक्षरता संगोष्ठियों का उद्देश्य वादियों को कोर्ट में जाने के लिए प्रोत्साहित करना नहीं है, बल्कि इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक व्यक्ति को यह पता हो कि उन सभी मामलों कानून उपचार उपलब्ध हैं, जिनमें वह अन्याय से पीड़ित है। और सभी को अपने मौलिक कर्तव्यों और एक नागरिक के रूप में कर्तव्यों से अवगत कराना चाहिए।"
पारंपरिक अदालतों में होती है वास्तविक प्रैक्टिस
जस्टिस ओका ने कहा कि पारंपरिक अदालतें ऐसी संस्थाएं हैं, जहां प्रैक्टिस वास्तविक रूप में फलती-फूलती है।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक अदालतों में प्रैक्टिस करते समय, आप गरीब को न्याय दिलाने में मदद करेंगे, जिन्हें न्याय की ज्यादा जरूरत है। इसलिए हर कानून के छात्र को प्रक्रियात्मक कानूनों का ज्ञान होना चाहिए।
ट्रायल कोर्ट 'निचली' कोर्ट नहीं हैं
अपीलीय अदालतों द्वारा 'अधीनस्थ न्यायालय' या 'निचली अदालत' जैसे शब्दों का उपयोग रोकने के लिए हाल ही में परित अपने ही प्रशासनिक आदेश पर जस्टिस ओका ने कहा कि न्याय के कारोबार में प्रत्येक अदालत की अपनी भूमिका होती है और मतभेद केवल मामलों की प्रकृति, प्रक्रियाओं और स्थगन के दायरे आदि के संदर्भ में हैं।
उन्होंने कहा कि यदि दलीलें ठीक नहीं होंगी, यदि साक्ष्य ठीक से दर्ज नहीं किए जाएंगे तो हाईकोर्टों में संभवतः कुछ भी नहीं हो पाएगा। साक्ष्य के मामले में अपील स्तर पर बहुत सीमित शक्तियां हैं। सभी अदालतों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं।
सर्वोत्तम सलाह
एक जूनियर के रूप में जस्टिस ओका को सबसे अच्छी सलाह क्या मिली थी, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण क्लाएंट के प्रति ईमानदारी है। और ईमानदारी के अलावा वह अवलोकन में विश्वास करते हैं। वकील के लिए अवलोकन सफलता की कुंजी है।
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