दिल्ली दंगा मामले में पहली सजा: अदालत ने एक आरोपी को विधि विरुद्ध भीड़ में शामिल होने, तोड़फोड़ करने और घर में आग लगाने का दोषी ठहराया

LiveLaw News Network

7 Dec 2021 7:48 AM GMT

  • दिल्ली दंगा मामले में पहली सजा: अदालत ने एक आरोपी को विधि विरुद्ध भीड़ में शामिल होने, तोड़फोड़ करने और घर में आग लगाने का दोषी ठहराया

    दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में पहली सजा सुनाते हुए आरोपी दिनेश यादव दोषी ठहराया। इन दंगों ने पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी को हिलाकर रख दिया था। (गोकलपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर नंबर 141/2020)

    दिनेश यादव पर दंगाइयों की भीड़ का सक्रिय सदस्य होने का आरोप लगाया गया था। भीड़ में शामिल लोगों के शिकायतकर्ता मनोरी के घर में तोड़फोड़ और आग लगाने में सक्रिय भाग लिया था।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने यादव को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143, 147, 148, 457, 392, 436 सपठित धारा 149 के तहत दोषी ठहराया।

    अब 22 दिसंबर को मामले की सुनवाई होगी।

    उक्त एफआईआर मनोरी द्वारा एक लिखित शिकायत प्राप्त होने के बाद दर्ज की गई थी। इसमें उसने कहा था कि पिछले साल 25 फरवरी को लगभग 11.30 बजे लगभग 150-200 लोगों की एक दंगाई भीड़ ने उसके घर में जबरदस्ती घुस गई थी।

    यादव की पहचान शिकायतकर्ता ने मामले में दर्ज अपने पूरक बयान से की थी। उसकी पहचान दो गवाहों आशिक और शिकायतकर्ता के भतीजे आरिफ ने भी की थी।

    इसके अतिरिक्त, उसकी पहचान की पुष्टि एक कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल सहित पुलिस के गवाहों ने भी अपने बयान दर्ज किए, जो प्रासंगिक समय पर क्षेत्र में बीट अधिकारी के रूप में तैनात थे।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने दिनेश यादव के खिलाफ तीन अगस्त, 2021 के आदेश के तहत आरोप तय किए थे। न्यायाधीश ने कहा था कि उसके खिलाफ आवश्यक धाराओं के तहत आरोप तय करने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है।

    कोर्ट ने कहा,

    "हालांकि, आरोपी किसी भी सीसीटीवी फुटेज/वीडियो-क्लिप में नहीं दिखता/दिखाई देता है। इस स्तर पर हमारे पास शिकायतकर्ता मनोरी और उनके दो भतीजों/नातियों अर्थात् आशिक और आरिफ के बयानों के रूप में ऑक्यूलर सबूत हैं। इन्हें सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज किया गया है। इसमें उन्होंने घटना का स्पष्ट विवरण दिया है और उसमें आरोपी द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में बताया है। शिकायतकर्ता और उक्त दो पीडब्ल्यू की उपस्थिति मौके/एसओसी पर काफी स्वाभाविक है।

    अदालत ने आरोप तय करते हुए कहा कि इस स्तर पर मामले को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता कि उनके बयान दर्ज करने में कुछ देरी हुई है या शिकायतकर्ता ने अपनी प्रारंभिक शिकायत में उसका नाम नहीं लिया है।

    वर्तमान एफआईआर के अलावा, यादव अन्य एफआईआर 64/2020 और 78/2020 दोनों में थाना गोकलपुरी से संबंधित है।

    शीर्षक: राज्य बनाम दिनेश यादव @ माइकल

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