COVID19 के कारण अधिवक्ताओं के वित्तीय संकट का मामला : कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य को दिया निर्देश, कर्ज देने के संबंध में बार एसोसिएशन के आवेदन पर ले फैसला

LiveLaw News Network

5 Aug 2020 11:10 AM GMT

  • COVID19 के कारण अधिवक्ताओं के वित्तीय संकट का मामला : कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य को दिया निर्देश, कर्ज देने के संबंध में बार एसोसिएशन के आवेदन पर ले फैसला

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह बेलगावी बार एसोसिएशन की तरफ से सौंपे गए एक प्रतिनिधित्व पर विचार करने के बाद 19 अगस्त तक अपना निर्णय लें। बार एसोसिएशन ने मांग की है अदालतों में सीमित कामकाज के कारण वित्तीय संकट झेल रहे बार के सदस्यों को पांच-पांच लाख रुपये का ऋण दिया जाए।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अशोक एस किन्गी की खंडपीठ ने कहा,

    ''राज्य सरकार को बेलगावी बार एसोसिएशन के सदस्यों की तरफ से सौंपे गए प्रतिनिधित्व पर उचित निर्णय लेना होगा। इसके लिए इस प्रतिनिधित्व को पूरे राज्य की बार एसोसिएशन के सदस्यों की ओर से राज्य सरकार को सौंपे गए प्रतिनिधित्व के तौर पर माना जाए।''

    बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक पक्ष को एक पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया था कि वे किसी 'चैरिटी' की मांग नहीं कह रहे हैं, लेकिन उनके सदस्यों को ऋण देने के लिए एक योजना तैयार की जानी चाहिए।

    अदालत ने इससे पहले एक ऐसी ही याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। परंतु अब कोर्ट ने राज्य भर में COVID19 के पाॅजिटिव मामलों की संख्या में वृद्धि का हवाला देते हुए कहा है कि बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए राज्य को उनके प्रतिनिधित्व पर विचार करने का निर्देश जा रहा है।

    पीठ ने कहा,

    ''वर्तमान स्थिति ऐसी है कि निकट भविष्य में अदालतों में सामान्य कामकाज बहाल करना संभव नहीं होगा।''

    पीठ ने यह भी कहा, ''

    पिछले एक महीने में मामलों की संख्या कई गुना बढ़ गई है, उक्त कारण से अदालतों के लिए सामान्य कामकाज को बहाल करना मुश्किल हो गया है। न्यायालय को इस तथ्य को भी ध्यान में रखना होगा कि बड़ी संख्या में अदालत के कर्मचारी भी पाॅजिटिव पाए गए हैं और बहुत सारे कर्मचारी इस समय क्वारंटीन हैं।

    बेंगलुरु में स्थित प्रिंसिपल सीट के ही 45 कर्मचारियों का पाॅजिटिव टेस्ट आया है। वहीं कई स्टाफ सदस्यों के टेस्ट का परिणाम अभी आना बाकी है। काफी सारे कर्मियों को मजबूरन क्वारंटीन होने पड़ा है।''

    इसी बीच,धारवाड़ स्थित हाईकोर्ट बेंच की एडवोकेट्स बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष गंगाधर होस्केरी ने अदालत को सूचित किया कि संकट में फंसे अधिवक्ताओं के क्लर्कों के लिए बार एसोसिएशन ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं से 25,000 रुपये की राशि एकत्र की है। वहीं क्लर्क एसोसिएशन के वकील ने बताया कि लगभग 40 सदस्यों को वित्तीय सहायता की जरूरत है।

    जिस पर पीठ ने कहा कि यह राशि बहुत कम है और यह भी अविश्वसनीय है कि बार एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्यों ने केवल 25,000 रुपये की राशि दान की है।

    पीठ ने कहा कि

    ''जहां तक बेंगलुरु बार एसोसिएशन का संबंध है, बार के वरिष्ठ सदस्यों ने पर्याप्त मात्रा में योगदान दिया और 5,000-5,000 रुपये की मदद क्लर्कों को दी गई है। हमें उम्मीद और विश्वास है कि धारवाड़ बार के वरिष्ठ सदस्य भी बेंगलुरु बार के सदस्यों द्वारा पेश किए गए उदाहरण का पालन करेंगे।''

    सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल को उन्होंने 5 करोड़ रुपये की राशि जारी की है जो केवल उन अधिवक्ताओं के लाभ के लिए है जो इस समय संकट में हैं। हालांकि सरकार के आदेश में उक्त राशि में से एडवोकेट के क्लर्कों को किसी भी तरह का लाभ देने की कोई बात नहीं कही गई है।

    जिसके बाद पीठ ने कहा,

    ''5 करोड़ रुपये की राशि जारी करके, राज्य ने इस बात को स्वीकार किया है कि बार के सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है। इसी तर्क के आधार पर राज्य को अधिवक्ता क्लर्कों के मामले पर भी सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए। जब एक बार राज्य ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि बार के कई सदस्य संकट में हैं तो यह स्वीकार करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए अधिवक्ताओं के क्लर्क भी संकट में हैं। इस प्रकार हम राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि वह आज से दो सप्ताह के भीतर अधिवक्ताओं के क्लर्कों के लाभ के लिए उचित राशि जारी करने के सवाल पर उचित निर्णय ले।''

    अदालत ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह धारवाड़ की एडवोकेट एसोसिएशन की तरफ से दिए गए उस प्रतिनिधित्व पर विचार करे जिसमें वित्तीय सहायता मांगी गई है।

    कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल को निर्देश दिया गया है कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर निम्नलिखित विवरण पेश करे।

    -राज्य सरकार द्वारा जारी 5 करोड़ रुपये की राशि को वितरित करने के लिए क्या उनके पास कोई प्रस्ताव है?

    - राज्य सरकार द्वारा मंजूर की गई पांच करोड़ रुपये की राशि में से अधिवक्ताओं को वित्तीय सहायता देने के लिए क्या केएसबीसी ने कोई योजना बनाई गई है और इसके लिए कोई शर्त तय की है?

    - क्या केएसबीसी ने यथानुपात या प्रो-रेटा के आधार पर बार संघों को राशि वितरित का कोई प्रस्ताव बनाया है या व्यक्तिगत अधिवक्ताओं को मदद देने की योजना बना रहे हैं।

    कोर्ट ने यह निर्देश एडवोकेट्स क्लर्स एसोसिएशन की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए हैं, जिसमें वित्तीय सहायता की मांग की गई थी। अब इस याचिका पर 20 अगस्त को सुनवाई होगी।

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