नियमित जमानत याचिका लंबित होने के दौरान अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

6 Nov 2023 8:44 AM GMT

  • नियमित जमानत याचिका लंबित होने के दौरान अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा कि नियमित जमानत याचिका लंबित होने के बावजूद, अग्रिम जमानत याचिका दायर करना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

    जस्टिस कृष्ण पहल की पीठ ने बंती शर्मा नामक व्यक्ति द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिस पर कथित तौर पर कई लोगों के पैसे हड़पने के लिए आईपीसी की धारा 420, 406 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

    पीठ ने कहा कि आरोपी-आवेदक ने एचसी के समक्ष अग्रिम जमानत याचिका दायर करने से पहले सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दो आवेदन और सीआरपीसी की धारा 397 के तहत पुनर्विचार आवेदन दायर किया और उन सभी में असफल रहा है।

    अदालत ने यह भी नोट किया कि उन्होंने सत्र न्यायाधीश, अलीगढ़ के समक्ष अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जबकि उनकी नियमित जमानत याचिका संबंधित अदालत के समक्ष लंबित है और जब वह विशेष अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई तो उन्होंने वर्तमान याचिका के साथ हाईकोर्ट का रुख किया।

    यह देखते हुए कि आरोपी-आवेदक हाईकोर्ट सहित विभिन्न मंचों पर कई आवेदन और याचिकाएं दायर कर रहा है, न्यायालय ने उसके कृत्य को फोरम शॉपिंग का उत्कृष्ट उदाहरण बताया और जोर देकर कहा कि इसे हमेशा के लिए जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

    इसके साथ ही उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी गई।

    आरोपी-आवेदक कथित तौर पर कंपनी में पर्यवेक्षक के रूप में काम कर रहा था, जब उस पर कई लोगों के पैसे हड़पने का आरोप लगाया गया था, जिन्होंने उक्त कंपनी के पॉलिसी बांड खरीदने के लिए अपने पैसे उसके पास जमा किए। इसलिए उस पर धोखाधड़ी के अपराध के तहत मामला दर्ज किया गया था।

    उनकी अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए राज्य के वकील ने तर्क दिया कि वह पहले ही हाईकोर्ट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दो याचिकाएं और सीआरपीसी की धारा 397 के तहत याचिका दायर कर चुके हैं और उनकी तीनों याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं।

    यह आगे प्रस्तुत किया गया कि स्थानीय अदालत ने पिछले साल नवंबर में आरोपी आवेदक के खिलाफ पहले ही एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया था, क्योंकि वह संबंधित अदालत के सामने पेश नहीं हो रहा है। उसने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जबकि उसकी नियमित जमानत याचिका संबंधित अदालत के समक्ष लंबित थी। यह सिर्फ न्यायालय और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

    केस टाइटल- बंटी शर्मा उर्फ ब्रह्म प्रकाश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य [आपराधिक विविध अग्रिम जमानत आवेदन सीआरपीसी की धारा 438 के तहत। नंबर- 11952/2023]

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