बॉम्बे हाईकोर्ट ने पानी की कमी के कारण पड़ोसी के टैंक से पानी निकालने की कोशिश कर रहे किसान की हत्या के आरोपी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी
Shahadat
16 March 2023 11:52 AM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2012 में अपने पड़ोसी को दरांती से मारने वाले व्यक्ति की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि एक भी मौत हत्या की सजा को गैर इरादतन हत्या में बदलने का वारंट नहीं है।
जस्टिस सुनील शुकरे और जस्टिस अभय वाघवासे की खंडपीठ ने 25 वर्षीय मुरलीधर बॉम्बले की सजा को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 से 304 (द्वितीय) में बदलने से इनकार कर दिया। अदालत ने हालांकि बॉम्बेले के भाई और पिता को हत्या के आरोप से बरी कर दिया और उन्हें केवल आईपीसी की धारा 324 और 325 के तहत दोषी ठहराया।
न्यायाधीश ने कहा,
"...हथियार की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए शरीर के लक्षित स्थान को ध्यान में रखते हुए हमारी सुविचारित राय है कि झटका हालांकि घातक था।"
मामले तथ्य
शिकायतकर्ता, उसके बेटे और आरोपी सभी कृषक हैं और एक-दूसरे के रिश्तेदार भी हैं। उनकी ज़मीनें आपस में सटी हुई हैं। पानी की कमी के कारण शिकायतकर्ता ने पजार तलाव (छिड़कने वाली टंकी) से पानी लिया/निकाया, लेकिन आरोपी ने ऐसा करने से रोक दिया, जिसके परिणामस्वरूप संबंधों में कटुता आ गई।
एक शाम मृतक दत्तू और उसकी पत्नी पानी लेने गए। जब वे नहीं लौटे तो फरियादी और दूसरा बेटा उनकी तलाश में चला गया। उनके साथ लाठी-डंडे से भी मारपीट की गई थी। दत्तू ने उसी दिन दम तोड़ दिया।
तीनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमे के बाद 2015 में नासिक के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने उन्हें आईपीसी की धारा 302, 324 और 323 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके खिलाफ आरोपियों ने इस हाईकोर्ट में अपील दायर की।
अभियुक्तों ने तर्क दिया कि गवाहों की गवाही असंगत थी, यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं था कि अपराध के समय अभियुक्त हथियारबंद थे या नहीं। चूंकि यह मृतक के लिए एक ही झटका था, यह मानवघातक मौत नहीं थी।
अभियोजक ने तर्क दिया कि घायल चश्मदीदों के बयान और मेडिकल साक्ष्य ने सुझाव दिया कि दत्तू की मौत मानव हत्या थी।
शुरुआत में अदालत ने कहा कि आरोपी के परिवार के सदस्यों ने केवल मृतक के भाई और पत्नी के साथ मारपीट की। हालांकि, बॉम्बेले के कहने पर दरांती की बरामदगी के साथ-साथ अन्य गवाहों के बयानों से पता चलता है कि दत्तू की मौत उनके पेट में एक ही वार के कारण हुई थी।
अदालत ने कहा,
"संक्षेप में रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से यह प्रकट होता है कि आरोपी नंबर 1 मुरलीधर मृतक दत्तू पर एकल चोट का एकमात्र लेखक है।"
अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील खारिज कर दी कि चूंकि मृतक दत्तू पर एक वार किया गया है, इसलिए आईपीसी की धारा 302 लागू नहीं होती।
खंडपीठ ने कहा,
“हम इस तरह के सबमिशन से प्रभावित नहीं हैं। यह स्थापित कानून है कि सिर्फ एक ही वार होने की स्थिति में आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषसिद्धि की जरूरत नहीं है, जिसे बदलकर आईपीसी की धारा 304 (पार्ट II) के तहत सजा दी जा सकती है।'
केस टाइटल: मुरलीधर वामन बॉम्बेले व अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य
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