'' किसी महिला को शादी करने के लिए परिवार मजबूर नहीं कर सकता' : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, परिवार उससे संपर्क न करे और 26 वर्षीय महिला को उसकी इच्छानुसार रहने दें

LiveLaw News Network

28 Nov 2020 5:00 AM GMT

  •  किसी महिला को शादी करने के लिए परिवार मजबूर नहीं कर सकता : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, परिवार उससे संपर्क न करे और  26 वर्षीय महिला को उसकी इच्छानुसार रहने दें

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में गुरुवार (26 नवंबर) को दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह 26 वर्षीय महिला xyz (नाम जानबूझकर छिपाया है) को एक सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी के घर पर छोड़ दे, जहां वह अगले कुछ दिनों के लिए निवास करेगी। इस महिला ने दिल्ली महिला आयोग से संपर्क किया था और आरोप लगाया था कि उसके माता-पिता उसे उसकी मर्जी के खिलाफ शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। वहीं उसने एक रिट याचिका दायर कर स्वयं को पेश करने की मांग की थी।

    न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने xyz और उसके पिता के साथ बातचीत की, जिसके बाद उसके पिता ने अदालत को आश्वासन दिया कि इस संबंध में xyz की इच्छाओं का पूरा सम्मान किया जाएगा, हालांकि, xyz ने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि वह ''अपने लिए कुछ समय चाहती है,इसलिए उसके परिवार द्वारा उसे कुछ समय के लिए अकेला छोड़ दिया जाए। "

    उपरोक्त के मद्देनजर, न्यायालय ने मामले की कार्यवाही को 01 दिसम्बर 2020 तक के लिए स्थगित कर दिया है। xyz ने कहा कि इस अवधि के दौरान वह सोशल एक्टिविस्ट व उसकी पैरियोकर शबनम हाशमी के साथ रहना चाहती है।

    न्यायालय के समक्ष मामला

    याचिका के अनुसार, एक्सवाईजेड, एक 26 वर्षीय महिला को मंगलवार (24 नवंबर) को राजस्थान पुलिस उस समय दिल्ली से दूर ले गई थी जब वह अपने दोस्तों के साथ जामिया नगर में दोपहर का भोजन कर रही थी।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि उसके पिता ने राजस्थान के धौलपुर में एक पुलिस शिकायत की थी,जहां वह काम करती है। एफआईआर संख्या 444/2020 आईपीसी की धारा 363,366 और 342 के तहत पीएस निहाल गंज, धौलपुर, राजस्थान में दर्ज की गई है। उस एफआईआर के अनुसार राजस्थान पुलिस दिल्ली आई और उसे अपने साथ ले गई।

    मुख्य रूप से, xyz उक्त एफआईआर में नामजद आरोपी नहीं है,लेकिन उसे एफआईआर में बताए गए कथित अपराधों की पीड़ित बताया गया था।

    इसी के चलते दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें उसने खुद को पेश करने और अपनी सुरक्षा की मांग की थी(अपनी पैरियोकर के जरिए)।

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (25 नवंबर) को राजस्थान राज्य को दिल्ली में उनके रेजिडेंट कमिश्नर के माध्यम से नोटिस जारी किया था और राजस्थान पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह 26 नवंबर को न्यायालय के समक्ष अपना प्रतिनिधित्व करें।

    राजस्थान राज्य को यह भी निर्देश दिया गया था कि वह न्यायालय के समक्ष एक वीडियो लिंक के माध्यम से एक्सवाईजेड को पेश करें।

    गुरुवार (26 नवंबर) को कोर्ट की कार्यवाही

    कोर्ट के 25 नवंबर के आदेश के अनुपालन में, राजस्थान पुलिस और दिल्ली पुलिस ने एक वीडियो लिंक के माध्यम से कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता एक्सवाईजेड को पेश किया।

    सबसे पहले, कोर्ट ने श्री वासुदेव सिंह, सीओ, मनिया, एडिशनल एसपी से बातचीत की, जो xyz को वापस दिल्ली लेकर आए थे।

    अदालत ने उनसे पूछा कि क्यों एक्सवाईजेड को बलपूर्वक ले जाया गया था, जब उसने खुद अधिकारी को व राजस्थान पुलिस के अन्य सदस्यों को यह बताया था कि उसका अपहरण नहीं किया गया है और वह अपनी मर्जी से जामिया नगर में आई थी। उन्होंने स्वीकार किया कि xyz ने उन्हें उक्त बयान दिया था।

    हालांकि, उन्होंने कहा कि उनका इरादा राजस्थान में सक्षम मजिस्ट्रेट के समक्ष एक्सवाईजेड को पेश करने का था ताकि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत उसका बयान दर्ज किया जा सके।

    इस पर कोर्ट ने कहा,

    ''उनके (राजस्थान पुलिस) के लिए कार्रवाई का उपयुक्त तरीका यह था कि वह स्थानीय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, या न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने एक्सवाईजेड को पेश करते, यदि उनके पास यह विश्वास करने का कारण था कि वह अपनी मर्जी से अपना बयान नहीं दे रही है। उसकी मर्जी के खिलाफ उसे राजस्थान ले जाने का कोई मतलब नहीं था।''

    एक्सवाईजेड ने आरोप लगाया कि पुलिस उसकी तलाश में आई थी और वह इलाके की गलियों में भागने लगी।

    उसने यह भी बताया कि उसे राजस्थान पुलिस के एक पुरुष अधिकारी द्वारा हिंसक रूप से कार में जबरन बैठाया गया था। जो खुद वर्दी में भी नहीं था। उसका मोबाइल छीन लिया गया और उसके बार-बार मांगने के बावजूद भी उसे वापस नहीं दिया गया।

    उसने बताया कि उसने पुलिस को यह भी कहा था कि वह अपना बयान दिल्ली में दर्ज करवाना चाहती है, और इस अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया गया।

    यह भी बताया कि धौलपुर, राजस्थान पहुंचने से एक घंटे पहले वह और पुलिस पार्टी सड़क किनारे एक रेस्तरां में रात के खाने के लिए रुके थे,जहाँ पुलिस पार्टी ने शराब का सेवन भी किया।

    इस पर कोर्ट ने कहा,

    ''ये सभी आरोप, यदि सच है, तो यह पुलिस बल के काम करने के संबंध में बहुत गंभीर मुद्दे उठाते हैं, और निश्चित रूप से, जांच और उचित कार्रवाई की जरूरत है। एक महिला होने के नाते, पुरुष बल के लिए यह ठीक नहीं था कि वह एक्सवाईजेड को जबरन गाड़ी में बैठाकर ले जाते। हम पहले ही देख चुके हैं कि वह एक आरोपी नहीं थी। वहीं उसके पिता और एक्सवाईजेड के चाचा द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में उसे अपराध की पीड़िता बताया गया था।''

    विशेष रूप से, अदालत ने गृह विभाग, राजस्थान राज्य को निर्देश दिया है कि वह उक्त पहलुओं पर गौर करें और इस मामले में जांच करवाए। जिसके बाद जल्दी से उसी के अनुसार उचित कार्यवाही की जाए।

    कोर्ट का आदेश

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि,

    ''जिस तरह से पूरी घटना हुई थी, जाहिर है उसने एक्सवाईजेड और उसके परिवार के सदस्यों, दोनों को भावुकता आघात पहुंचाया होगा।''

    अदालत ने कहा कि जो घटना हुई, ''उसने अब उसके परिवार को स्पष्ट संदेश दिया है कि एक्सवाईजेड इस स्तर पर शादी करने की इच्छा नहीं रखती है, और उसके पिता ने यह भी कहा है कि वह इसके लिए एक्सवाईजेड पर न तो अभी और न ही बाद में कोई दबाव बनाएंगे।''

    एक्सवाईजेड ने अपने बयान में कहा कि वह अपने परिवार के साथ अपने रिश्ते को खत्म करना नहीं चाहती है। हालांकि, उसने कहा कि वह ''अपनी इच्छा के अनुसार उनके साथ संपर्क में रहना चाहती है, और जब उसका मन होगा,तब वह ऐसा करेगी।''

    जैसा कि कहा गया है, दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया गया है कि वह एक्सवाईजेड को सोशल एक्टिविस्ट शबनम हाशमी के निवास स्थान पर छोड़ आए।

    इस बीच, अदालत ने निर्देश दिया कि उसके पिता और उसके माध्यम से, उसके परिवार के अन्य सदस्य एक्सवाईजेड से संपर्क करने की कोशिश न करें।

    न्यायालय ने दिल्ली महिला आयोग की सदस्यों से कहा है कि वह एक्सवाईजेड और उसके परिवार के सदस्यों के बीच एक संचार पुल के रूप में कार्य करंे और दोनों पक्षों की काउंसलिंग भी करें ताकि एक सौहार्दपूर्ण संबंध बनाया जा सकें और उनके बीच विश्वास बहाल हो सके।

    मामले को आगे की सुनवाई के लिए 01 दिसम्बर 2020 को सूचीबद्ध किया गया है।

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