फैक्ट चेक : बेंगलुरु में सुप्रीम कोर्ट की बेंच की स्थापना के बारे में वायरल मैसेज फेक न्यूज है

LiveLaw News Network

7 Aug 2021 11:52 AM GMT

  • फैक्ट चेक : बेंगलुरु में सुप्रीम कोर्ट की बेंच की स्थापना के बारे में वायरल मैसेज फेक न्यूज है

    सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप्स में एक संदेश वायरल है कि केंद्र सरकार ने बैंगलोर में सुप्रीम कोर्ट के लिए एक बेंच की स्थापना को मंजूरी दे दी है।

    वायरल संदेश इस प्रकार है:

    "बेंगलुरू में सुप्रीम बेंच कोर्ट"

    भारत के महामहिम राष्ट्रपति और भारत के माननीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से यून‌ियन ऑफ इंडिया ने बैंगलोर में सर्वोच्च न्यायालय की स्थायी पीठ स्थापित करने का निर्णय लिया है।

    इस संबंध में दक्षिणी बार काउंसिलों, अधिवक्ता संघों और आम जनता द्वारा कई अभ्यावेदन दिए गए। यह मामला एक दशक से अधिक समय से विचाराधीन था।

    शहर के बीचोबीच 80 एकड़ से अधिक की मुख्य भूमि जो वर्तमान में बैंगलोर गोल्फ क्लब के कब्जे में है, जो कि शिफ्ट के तहत है, को सुप्रीम कोर्ट बेंच की स्थापना के लिए पहचाना गया है।

    बैंगलोर में सुप्रीम कोर्ट की स्थायी बेंच में 3 बेंच वाली 10 सिटिंग बेंच होंगी। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश राज्यों की विशेष अनुमति याचिकाओं और अन्य वैधानिक अपीलों पर उच्चतम न्यायालय की दक्षिणी पीठ सुनवाई करेगी। - रजिस्ट्रार"


    यह एक फेक न्यूज है। इस कथन का कोई आधार नहीं है कि केंद्र सरकार ने बैंगलोर में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ की स्थापना को मंजूरी दी है।

    सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय बेंच की मांग लंबे समय से चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के कार्यों को संवैधानिक और अपीलीय मामलों में विभाजित करने और संबंधित क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाली विशेष अनुमति याचिकाओं से निपटने के लिए क्षेत्रीय जोन्‍स में बेंचों के साथ राष्ट्रीय अपील न्यायालय स्थापित करने और सुप्रीम कोर्ट के कार्य को महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे सीमित करने के सुझाव दिए गए हैं। हालांकि इस मुद्दे पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।

    दरअसल, केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने इस हफ्ते की शुरुआत में संसद में कहा था कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। उन्होंने अपने जवाब में यह भी कहा कि फरवरी 2010 में, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने सूचित किया था कि सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट ने दिल्ली के बाहर शीर्ष अदालत की बेंच स्थापित करने का कोई औचित्य नहीं पाया।

    2016 में, सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका (WP(c) No.36/2016) दायर की गई थी, जिसमें क्षेत्रीय पीठों के साथ एक राष्ट्रीय अपील न्यायालय की स्थापना की मांग की गई थी। 14 मार्च, 2016 को तत्कालीन सीजेआई टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया और वह लंबित है। इस तथ्य का जिक्र करते हुए कानून मंत्री ने जवाब दिया कि मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है।

    हाल ही में, भारत के महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में अपील न्यायालय के लिए चार अलग-अलग पीठों के विचार का समर्थन किया था।

    एजी ने कहा था, "यह सुनिश्चित करेगा कि नया सुप्रीम कोर्ट धैर्यपूर्वक मामलों की सुनवाई कर सकता है और शांति से निर्णय पढ़ और लिख सकता है। वर्तमान में, न्यायाधीश आधी रात तक संक्षेप पढ़ रहे हैं और एक न्यायाधीश की तुलना में खुद को कहीं अधिक तनाव में डाल रहे हैं। बेशक, एक संवैधानिक संशोधन इसके लिए जरूरी है।"

    भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी शीर्ष अदालत के लिए क्षेत्रीय पीठों का समर्थन करते हुए टिप्पणी की है ।

    उन्होंने 2019 में एक कार्यक्रम में कहा था, "कम से कम चार प्रमुख शहरों में सुप्रीम कोर्ट की बेंच होने का समय आ गया है। शुरुआत में चेन्नई में एक की स्थापना की जा सकती है।"

    जैसा भी हो, यह मुद्दा अभी भी अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा है। निष्कर्ष निकालने के लिए, यह फिर से सतर्क किया जाता है कि यह संदेश कि बैंगलोर में सर्वोच्च न्यायालय के लिए एक क्षेत्रीय पीठ की स्थापना एक फेक न्यूज है।

    मामले पर कानून मंत्री द्वारा दिया गया जवाब यहां पढ़ें

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