फैक्ट-चेक: मीडिया रिपोर्ट में दावा कि 'लव जिहाद' कानून के तहत कोर्ट ने पहली सजा दी है, यह फेक न्यूज है
LiveLaw News Network
23 Dec 2021 4:25 PM IST
कानपुर की एक स्थानीय अदालत ने 20 दिसंबर को एक फैसला सुनाया, जिसमें उसने एक व्यक्ति को 17 साल की लड़की से बलात्कार करने का दोषी ठहराया और उसे दस साल की जेल और 30,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
हालांकि, इस फैसले को मीडिया के कुछ वर्गों ने उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 (जिसे 'लव जिहाद' कानून के रूप में जाना जाता है) के तहत दी गई पहली सजा के रूप में रिपोर्ट किया।
कई मीडिया पोर्टल इस फैसले को व्यापक रूप से गलत तरीके से पेश कर रहे हैं, इस तथ्य के बावजूद कि बलात्कार के दोषी जावेद @ मुन्ना पर यूपी लव जिहाद कानून के तहत आरोप भी नहीं लगाया गया था।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 'लव जिहाद' कानून पहली बार 2020 में लागू किया गया था। इसे पहली बार वर्ष 2020 में एक अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था, और इस वर्ष की शुरुआत में इसे कानून के रूप में पारित किया गया।
मौजूदा मामला जो झूठी रिपोर्टों का विषय है, 2017 की एक घटना से संबंधित है (जब एक 17 वर्षीय लड़की से बलात्कार किया गया था)।
यह सामान्य ज्ञान का विषय है कि दंड कानूनों को भूतलक्षी प्रभाव (retrospectively) से लागू नहीं किया जा सकता है। संविधान का अनुच्छेद 20(1) स्पष्ट रूप से आपराधिक कानून के पूर्वव्यापी आवेदन पर रोक लगाता है। इसलिए, 2020 में आए 'लव जिहाद' कानून को 2017 में हुए अपराध पर लागू करना असंभव है। इसलिए, मीडिया रिपोर्टों को भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत कहा जा सकता है।
बहरहाल, पूरे विवाद को समझने और इन रिपोर्टों से जुड़े झूठ को खत्म करने के लिए आइए इस मामले को विस्तार से देखें।
सीएनएन न्यूज ने बुधवार को गलत तरीके से रिपोर्ट किया कि कानपुर कोर्ट ने लव जिहाद कानून के तहत एक व्यक्ति को दोषी ठहराया और सजा सुनाई है।
शाम के लगभग 5 बजे, न्यूज़18 इंडिया ने इस फैसले पर बहस का आयोजन किया। एंकर ने दावा किया कि जावेद की सजा लव जिहाद कानून के तहत अदालत द्वारा दी गई पहली सजा है।
अंशुल सक्सेना नामक एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने तथ्यात्मक रूप से गलत ट्वीट किया, 16 हजार से अधिक लाइक और 3500 रीट्वीट मिले। साथ ही, इंटरनेट आज इसी तरह के दावों से भरा हुआ था कि जावेद, जिसने मुन्ना के रूप में एक 14-15 वर्षीय लड़की को अपना परिचय और धर्म छुपाकर को फंसाया था और उसके धर्म को बदलने की कोशिश की थी।
आइए अब समझते हैं कि पूरा मामला क्या है।
वास्तविक निर्णय क्या है?
कानपुर कोर्ट ने जावेद उर्फ मुन्ना को 17 साल की लड़की से रेप के जुर्म में 10 साल कैद की सजा सुनाई। उस पर पोक्सो एक्ट की धारा 363, 366A, 376, 3/4 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (2) (v) के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था।
यह घटना 2017 की है, जिसमें लड़की के पिता ने जावेद उर्फ मुन्ना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि उसकी बेटी को जावेद फुसलाकर ले गया। पुलिस ने एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी और 2 दिन बाद पीड़िता का पता चला।
अदालत के समक्ष अपने बयान में, जो पूरे मामले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लड़की ने कहा कि दोषी-जावेद उसके दोस्त का भाई था और वह उसे अच्छी तरह से जानती थी। 15 मई, 2017 को उसने उससे कहा कि वह उसके साथ आए, शुरू में उसने मना कर दिया, हालांकि, वह चली गई क्योंकि वह उसके दोस्त का भाई था। उसने उससे यह भी कहा कि वह उससे शादी करना चाहता है और उसे खुश रखेगा।
इसके अलावा, उसने दावा किया कि उसने उसी दिन उसे अपने घर वापस ले जाने का वादा किया था, हालांकि, वह उसे वापस नहीं ले गया और बल्कि, उसने जंगल में ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया और उसे धमकी भी दी कि अगर वह इस घटना के बारे में किसी को भी बताएगी तो वह उसके चेहरे पर तेजाब फेंक देगा और उसके माता-पिता को भी मार डालेगा।
पुलिस को दिए बयान में उसने दावा किया था कि जावेद और उसके बीच शारीरिक संबंध सहमति से स्थापित किए गए थे। बाद में अपने 164 सीआरपीसी बयान में, उसने कहा कि उसने डर से बयान दिया था और वह सही नहीं था बल्कि वास्तव में जावेद ने उसका बलात्कार किया था।
मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने उन्हें इस तरह से आरोपित अपराधों के लिए दोषी पाया। हालांकि उसे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के आरोप से मुक्त कर दिया गया।
महत्वपूर्ण बात यह है कि न तो एफआईआर में और न ही उसके माता-पिता के बयान में यह दावा किया गया था कि शादी के लिए लड़की को अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर किया गया था।
साथ ही, ऐसा नहीं है कि आरोपी को अपना धर्म छुपाने का मौका मिला क्योंकि लड़की पहले से ही उसे अपने दोस्त का भाई जानती थी।
मामले की रिपोर्ट करने वाले अधिकांश मीडिया पोर्टलों ने दावा किया है कि दोषी ने खुद को एक हिंदू के रूप में पेश किया था जिसका नाम मुन्ना था। हालांकि, यह मामला नहीं है। अदालत के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि जावेद को यूपी के लव जिहाद कानून के तहत चार्जशीट किया गया था।
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