[ चश्मदीद ने देखा, मृतका का गला उसके भाई ने ही घोंटा ] – बॉम्बे हाईकोर्ट ने मां को जमानत दी, जिसने प्रेम प्रसंग के कारण बेटी की हत्या की बात 'कबूल' की थी
LiveLaw News Network
14 May 2021 5:26 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 40 वर्षीया उस महिला की जमानत मंजूर कर ली, जिसने कथित तौर पर अपनी 23 वर्षीया बेटी के अपनी पसंद के लड़के के साथ घर से भागने के प्रयास के बाद उसकी हत्या करने का दावा किया था।
न्यायमूर्ति प्रकाश नायक ने पापू वाघेला (मृतका की मां) को चश्मदीद गवाह की उस गवाही के आधार पर जमानत दे दी जिसमें कहा गया कि मृतका के भाई (सह - अभियुक्त) ने अपनी बहन की हत्या उसके ही दुपट्टे से गला घोंटकर कर दी थी।
कोर्ट ने कहा, "चश्मदीद गवाह के बयान में कहा गया है कि उसने सह – अभियुक्त को मृतका का गला घोंटते देखा था और आवेदनकर्ता मृतका के पैर पर खड़ी थी। आवेनदनकर्ता एक महिला है। तथ्यात्मक पहलुओं पर विचार करते हुए आवेदनकर्ता को आगे हिरासत में रखना आवश्यक नहीं है।"
क्या है मामला?
तेईस वर्षीया मृतका अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध एक लड़के से प्यार करती थी। उनलोगों ने मृतका को प्रेमी संग घर से भागते हुए पकड़ लिया था और कथित तौर पर उसके ही दुपट्टे से गला घोंटकर हत्या कर दी थी।
मृतका की मां – पापू वाघेला- ने दक्षिण मुंबई के पायधोनी पुलिस स्टेशन पहुंचकर अपनी बेटी की हत्या करने की बात कबूल की थी जिसके बाद उस पुलिस स्टेशन में हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। पुलिस ने वाघेला के बेटे को भी तब गिरफ्तार कर लिया था, जब उसके दामाद ने दावा किया था कि उसने अपने साले को गला घोंटते देखा था।
दामाद ने अपने बयान में कहा था कि 17 नवम्बर 2019 को जब वह आवेदक के घर पहुंचा था, उस वक्त दरवाजा बंद था। जब उसने दरवाजा को धक्का देकर खोला तो देखा कि मृतका सतह पर गिरी हुई थी, जबकि पापू वाघेला अपनी बेटी के पैर पर खड़ी थी और उसका साला आकाश उसका गला घोंट रहा था।
मृतका के दूसरे भाई ने कथित तौर पर पुलिस से कहा कि उसका भाई 17 नवम्बर को रोते हुए घर से बाहर आया था और स्वीकार किया था कि उसने मां के साथ मिलकर मृतका (बहन) की हत्या कर दी है।
एडवोकेट सैयद अब्बास ने दलील दी थी कि यह घटना अचानक घटी थी। मृतका आवेदनकर्ता की बेटी थी और चश्मदीद गवाह ने गला घोंटने के लिए मां को आरोपी नहीं बनाया था।
पुलिस की ओर से सहायक पब्लिक प्रोसेक्यूटर (एपीपी) ए. आर. कपाडनिस ने, हालांकि दलील दी कि मां ने हत्या की बात कबूल की थी।
कोर्ट ने चश्मदीद गवाह के बयान पर भरोसा जताया और वाघेला को 25 हजार रुपये के पर्सनल रिकॉग्निजेंस बॉण्ड (पीआर बॉण्ड) और इतनी ही राशि के एक या दो जमानतदार लाने की शर्त पर जमानत दे दी।