पूर्व जजों ने सलवा जुडूम फैसले की गलत व्याख्या करने वाली अमित शाह की टिप्पणी की निंदा की

Shahadat

25 Aug 2025 10:59 AM IST

  • पूर्व जजों ने सलवा जुडूम फैसले की गलत व्याख्या करने वाली अमित शाह की टिप्पणी की निंदा की

    सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व जजों के एक समूह ने सीनियर वकीलों के साथ मिलकर संयुक्त बयान जारी किया। इस बयान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सलवा जुडूम मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2011 के फैसले की "गलत व्याख्या" करने की निंदा की गई। यह फैसला जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी ने लिखा था, जो उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए INIDA ब्लॉक पार्टियों द्वारा समर्थित उम्मीदवार हैं।

    हस्ताक्षरकर्ताओं ने शाह की सार्वजनिक टिप्पणी को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया। साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि सलवा जुडूम फैसला, स्पष्ट रूप से या परोक्ष रूप से नक्सलवाद या उसकी विचारधारा का समर्थन नहीं करता।

    बयान में कहा गया,

    "किसी उच्च राजनीतिक पदाधिकारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पूर्वाग्रही गलत व्याख्या से सुप्रीम कोर्ट के जजों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।"

    पूर्व जजों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के उपराष्ट्रपति पद सहित सभी राजनीतिक अभियानों में वैचारिक बहसें शामिल हो सकती हैं, लेकिन उन्हें "सभ्यता और गरिमा के साथ" चलाया जाना चाहिए। बयान में नाम-गाली से बचने की सलाह दी गई और उम्मीदवारों की "तथाकथित विचारधारा" पर हमला करने के प्रति आगाह किया गया।

    हस्ताक्षरकर्ताओं में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस ए.के. पटनायक, जस्टिस अभय ओक, जस्टिस गोपाल गौड़ा, जस्टिस विक्रमजीत सेन, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस चेलमेश्वर शामिल हैं। गोविंद माथुर, एस. मुरलीधर और संजीब बनर्जी सहित हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के साथ-साथ अंजना प्रकाश, सी. प्रवीण कुमार, ए. गोपाल रेड्डी, जी. रघुराम, के. कन्नन, के. चंद्रू, बी. चंद्रकुमार और कैलाश गंभीर जैसे कई रिटायर हाईकोर्ट जजों ने भी बयान का समर्थन किया।

    सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े और प्रो. मोहन गोपाल भी हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल हैं।

    जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 2011 में दिए गए सलवा जुडूम मामले के फैसले में छत्तीसगढ़ में माओवादियों से लड़ने के लिए आदिवासी युवाओं को विशेष पुलिस अधिकारी (SPO) के रूप में हथियारबंद करने की प्रथा को असंवैधानिक घोषित किया गया था और इसे संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन माना गया था।

    वक्तव्य का मूलपाठ:

    केंद्रीय गृह मंत्री मिस्टर अमित शाह द्वारा सलवा जुडूम मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सार्वजनिक रूप से गलत व्याख्या करने वाला बयान दुर्भाग्यपूर्ण है।

    यह फैसला कहीं भी, स्पष्ट रूप से या अपने मूलपाठ के निहितार्थों के माध्यम से नक्सलवाद या उसकी विचारधारा का समर्थन नहीं करता है।

    भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए अभियान भले ही वैचारिक हो, लेकिन इसे शालीनता और गरिमा के साथ चलाया जा सकता है। किसी भी उम्मीदवार की तथाकथित विचारधारा की आलोचना करने से बचना चाहिए।

    किसी उच्च राजनीतिक पदाधिकारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के किसी निर्णय की पूर्वाग्रहपूर्ण गलत व्याख्या, सुप्रीम कोर्ट के जजों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को हिला सकती है।

    भारत के उपराष्ट्रपति के पद के सम्मान में नाम-गाली से बचना ही बुद्धिमानी होगी।

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