"पूरे इलाके को वैश्यवृत्ति के केंद्र के रूप में दिखाया गया है", कमाठीपुरा के निवासियों ने फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की
LiveLaw News Network
22 Feb 2022 7:16 PM IST
बॉलीवुड फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि फिल्म कमाठीपुरा नामक पूरे इलाके, और पूरे काठियावाड़ी समुदाय को कलंकित करती है। फिल्म का निर्माण संजय लीला भंसाली ने किया। आलिया भट्ट मुख्य भूमिका में हैं।
फिल्म के खिलाफ एक जनहित याचिका विधानसभा सदस्य अमीन पटेल ने दायर की है। उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र में कमाठीपुरा इलाका आता है, जबकि दूसरी याचिका कमाठीपुरा निवासी श्रद्धा सुर्वे ने दायर की है। वह इलाके में 10 सालों से रह रही हैं।
पटेल की याचिका पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की संभावना है और सुर्वे की याचिका पर जस्टिस गौतम पटेल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा कल सुनवाई किए जाने की संभावना है। फिल्म की रिलीज की तारीख इस शुक्रवार - 25 फरवरी, 2022 है।
निवासियों की ओर से पेश वकील ने कहा कि फिल्म में पूरे कमाठीपुरा क्षेत्र को रेड-लाइट क्षेत्र के रूप में ब्रांडेड किया गया है।
"जो भी गतिविधि केवल 2-3 लेन में होती है, उसे माया-नगरी, मायापुरी कह सकते हैं, कमाठीपुरा नहीं।"
उन्होंने कहा कि अगर फिल्म रिलीज हो जाती है तो क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं को वेश्या कहा जाएगा, इससे उनके प्रति बहुत पूर्वाग्रह होगा।
अमीन पटेल द्वारा दायर याचिका में प्रतिवादियों में निर्माता संजय लीला भंसाली, एक अन्य निर्माता जयंतीलाल गडा और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को शामिल किया गया है। श्रद्धा अमोल सुर्वे द्वारा दायर दूसरी याचिका में भंसाली और गडा के साथ-साथ भंसाली प्रोडक्शंस और पेन इंडिया लिमिटेड को प्रतिवादी के रूप में शामिल किया गया है।
दोनों याचिकाएं कमाठीपुरा के क्षेत्र के इतिहास को बयान करती हैं और कहती हैं कि यह फिल्म कमाठीपुरा के पूरे इलाके पर "रेड लाइट एरिया" होने का आक्षेप लगाती है, जबकि यह उस क्षेत्र का केवल एक छोटा सा हिस्सा है, जहां व्यावसायिक यौनकर्मी रहते हैं और काम करते हैं।
सुर्वे की याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता का कहना है कि इलाके का क्षेत्रफल लगभग 1.56 वर्ग किलोमीटर है। पूरे कमाठीपुरा में 52 एकड़ भूमि में 2.5 लाख से अधिक आबादी रहती है और वहां 42 गलियां हैं जिनमें 5 प्रतिशत क्षेत्र भी वेश्याओं का क्षेत्र नहीं है।"
पटेल की याचिका में विभिन्न पत्रों / अभ्यावेदनों को भी शामिल किया गया है, जिसमें इलाके और समुदाय के चित्रण पर आपत्ति जताई गई है। यह भी कहा गया है कि ट्रेलर में अस्वीकरण भी नहीं दिया गया है।
पटेल ने यह भी कहा है कि जिस फिल्म जिस किताब पर आधारित है, उसमें गंगूबाई का उपनाम काठियावाड़ी नहीं है- जो गुजरात के सौराष्ट्र में एक विशेष क्षेत्र से आने वाले लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला अंतिम नाम है। उनका कहना है कि काठियावाड़ी शब्द को फिल्म से पूरी तरह हटा देना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि फिल्म से जुड़े लोगों को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है, हालांकि, क्षेत्र और समुदाय में प्रतिक्रिया के कारण वह इस मुद्दे को उठाने के लिए मजबूर हैं। याचिका में गंगूबाई की बेटी बबीता चंद्र गौड़ा का एक पत्र भी शामिल है, जिसमें कहा गया है कि उनकी मां गंगूबाई हरजीवनदास काठियावाड़ी को फिल्म में "वेश्या और माफिया रानी" के रूप में दिखाया गया है, जो उन्हें और उनके परिवार की गरिमा और साथ ही साथ उनके क्षेत्र की गरिमा को नुकसान पहुंचा रहा था।
सुर्वे के साथ-साथ पटेल की याचिका में कहा गया है कि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग है और विभिन्न प्रकार के काम करने वाले लोग वहां रहते हैं, न कि केवल व्यावसायिक यौनकर्मी।