''सुनिश्चित करें कि राजस्थान बार काउंसिल की इमारतों में अधिवक्ताओं और उनके परिवार के सदस्यों के लिए जल्द से जल्द कोविड केयर सेंटर बनाया जाए'' : राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया

LiveLaw News Network

25 May 2021 1:15 PM GMT

  • राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट 

    राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर की पीठ ने पिछले सप्ताह राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि दोनों बेंच की राजस्थान बार काउंसिल की इमारतों को जल्द से जल्द कोविड केयर सेंटर के रूप में चालू किया जाए ताकि प्रारंभिक लक्षण वाले अधिवक्ता और उनके परिवार के सदस्यों का यहां इलाज किया जा सके या उनको आइसोलेट कर दिया जाए।

    मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने आदेश दिया है किः

    ''राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जयपुर और जोधपुर दोनों जगह पर स्थित बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के भवनों को जल्द से जल्द कोविड केयर सेंटर के रूप में चालू किया जाए। दोनों स्थानों पर आवश्यक चिकित्सा कर्मचारियों प्रतिनियुक्ति की जाए और आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं, जैसे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर/ऑक्सीजन सिलेण्डर तथा चिकित्सा किट उपलब्ध करायी जाये ताकि जिन अधिवक्ता एवं उनके परिवार के सदस्यों में रोग के प्रारम्भिक लक्षण हैं,उनका यहां उपचार किया जा सके और/अथवा उनको आइसोलेट किया जा सके। कार्यवाही की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष अगली तिथि तक प्रस्तुत की जाए।''

    यह निर्देश राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा दायर एक पत्र याचिका पर दिया गया है। इस पत्र याचिका में कोविड रोगियों की दुर्दशा और अस्पतालों की कमी से उत्पन्न स्थिति को उजागर किया गया है। न्यायालय ने पिछले महीने राजस्थान राज्य में बड़े पैमाने पर आम जनता के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समितियों का गठन किया था।

    यह देखते हुए कि गठित समितियां ''कोरोना के रोगियों को उचित और समय पर उपचार दिलाने की सुविधा के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर रही हैं'', न्यायालय ने फिर से दोहराया किः

    ''संबंधित अधिकारी इन समितियों द्वारा रिपोर्ट की गई शिकायतों को हल करने के लिए तत्काल कदम उठाकर समितियों का सहयोग करें, हालांकि यदि किसी शिकायत का निवारण नहीं किया जाता है, तो संबंधित समिति उस संबंध में इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय में गठित कोविड निवारण प्रकोष्ठ को सूचित करेगी। जिसके बाद गठित प्रकोष्ठ अप्राप्य शिकायतों को सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, राजस्थान राज्य द्वारा नियुक्त किए गए नोडल अधिकारी के ध्यान में लाएगा, जो जल्द से जल्द इनका निवारण सुनिश्चित करेगा।''

    सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और राजस्थान राज्य के महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने अदालत को अवगत कराया कि केंद्र सरकार ने मेडिकल ऑक्सीजन आवंटित की थी, हालांकि क्रायोजेनिक टैंकरों की कमी के कारण कोरोना के पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या के लिए आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त करना संभव नहीं था।

    यह भी प्रस्तुत किया गया था कि केंद्र सरकार को राज्य में सक्रिय मामलों के अनुपात में ऑक्सीजन के परिवहन, आवंटन और ऑक्सीजन व आवश्यक दवाओं की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए।

    सभी पक्षों और उनकी दलीलों को सुनकर, कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों द्वारा कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों और ''महामारी के पीड़ितों के दर्द को कम करने के लिए आपस में हाथ मिलाकर काम करने''को स्वीकार किया और उसकी सराहना की।

    कोर्ट ने कहा कि,

    ''हम अपनी संतुष्टि दर्ज करते हैं कि पूर्ण लॉक-डाउन और अन्य निवारक उपायों के परिणामस्वरूप, सक्रिय रोगियों की संख्या कम हो रही है, लेकिन महामारी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त होने तक कोई ढिलाई नहीं बरती जा सकती है। हमारी राय में, एक-दूसरे पर दोषारोपण करने या दोष ढूंढ़ने से कोई उद्देश्य नहीं होगा,बल्कि यह उन कोरोना योद्धाओं को हतोत्साहित कर सकता है जो अपनी जान जोखिम में डालकर पीड़ितों की सेवा के लिए समर्पित और प्रतिबद्ध हैं। एक बार जब हम महामारी पर काबू पा लेंगे तो सभी को महामारी की संभावित तीसरी लहर से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए आत्मनिरीक्षण करने या एक ठोस योजना तैयार करने का पर्याप्त अवसर मिलेगा।''

    इसके अलावा, यह ध्यान में रखते हुए कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं का उचित आवंटन सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है, कोर्ट ने पाया कि उपरोक्त उद्देश्य के लिए एक उचित तंत्र मौजूद है।

    यह देखते हुए कि ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं की आवश्यकता सक्रिय रोगियों की संख्या पर निर्भर करती है जो दिन-ब-दिन बदलती रहती है, कोर्ट ने राजस्थान राज्य को निर्देश दिया है कि वह ऑक्सीजन की आवश्यकता और इसके परिवहन के लिए आवश्यक संचालन का अनुमानित विवरण केंद्र सरकार के समक्ष रखे।

    कोर्ट ने निर्देश दिया है कि,''केंद्र सरकार द्वारा राज्य की आवश्यकता पर तुरंत विचार किया जाए और जितना जल्दी संभव हो सके ऑक्सीजन व आवश्यक दवाओं का आवंटन जल्द से जल्द कोरोना के सक्रिय रोगियों के अनुपात में किया जाए और यदि पहले के आवंटन से कोई भी अधिशेष उपलब्ध है तो बाकी समायोजन अगली किस्त में किया जा सकता है।''

    इसके अलावा, कोर्ट ने केंद्र को मेडिकल ऑक्सीजन के परिवहन के लिए आवश्यक संख्या में क्रायोजेनिक टैंकरों की व्यवस्था करने के साथ-साथ परिवहन में देरी से बचने के लिए आस-पास के स्थानों से राज्य को ऑक्सीजन का आवंटन करने पर विचार करने का निर्देश भी दिया है।

    कोर्ट ने शुरुआत में ही कहा कि,

    ''हमें विश्वास है कि केंद्र सरकार/टास्क फोर्स अत्यावश्यकता और महत्व को देखते हुए आबंटन के अनुसार समय पर ऑक्सीजन और दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा ताकि इस कारण से एक भी व्यक्ति को परेशानी न हो पाए।''

    कोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 26 मई को पोस्ट करते हुए भारत संघ को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    केस का शीर्षकः राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन बनाम राजस्थान राज्य

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



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