कमांड हॉस्पिटल्स के कुछ बेड COVID मरीजों के लिए उपलब्ध कराए जाएंः कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया

LiveLaw News Network

27 April 2021 3:15 PM GMT

  • कमांड हॉस्पिटल्स के कुछ बेड COVID मरीजों के लिए उपलब्ध कराए जाएंः कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि शहर में रक्षा प्रतिष्ठानों द्वारा संचालित अस्पतालों में नागरिकों के लाभ के लिए कुछ बेड उपलब्ध कराए जाएं।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए कहा, ''सेना व वायु सेना शहर में मौजूद हैं। बीबीएमपी द्वारा बिस्तरों के लिए किए गए अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया है। केंद्र सरकार के वकील तुरंत इस अनुरोध को अधिकारियों के पास भेजे और बेड उपलब्ध कराएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि कुछ बेड कमांड हॉस्पिटल्स से उपलब्ध कराए जाएं।"

    पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह कमांडिंग अधिकारी के साथ एक बैठक करें और मामले में सहायता के लिए अनुरोध किया जाए।

    बेंगलुरु शहर में उपलब्ध बिस्तरों की स्थिति पर विचार करने के बाद पीठ ने कहा कि ''बेंगलुरु शहर में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए बिस्तरों की उपलब्धता के संदर्भ में स्थिति 'खतरनाक' है।''

    सुनवाई के दौरान पीठ ने नाराजगी व्यक्त की क्योंकि राज्य सरकार और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) 22 अप्रैल को जारी दिशा-निर्देश का पालन करने में विफल रहे। कोर्ट ने उनको निर्देश दिया था कि वह अपनी वेबसाइट पर स्टॉकिस्ट और दवा की दुकानों पर रेमडेसिवीर दवा की उपलब्धता का डेटा प्रकाशित करें।

    पीठ ने मौखिक रूप से कहा ''कल से राज्यव्यापी लाॅकडाउन शुरू होगा। यदि किसी मरीज के परिजनों को रेमडेसिवीर की दवा लाने के लिए कहा जाता है, तो वे इसे कहां से प्राप्त करेंगे? क्या मरीजों के रिश्तेदारों को दवा कहां से मिलेगी यह जानकारी जुटाने के लिए यहां से वहां घूमना चाहिए?..''पीठ ने कहा कि कल से आदेश का पालन किया जाए और पब्लिक डोमेन में रेमडेसिवीर और ऑक्सीजन की उपलब्धता के संबंध में डेटा उपलब्ध कराया जाए। कम से कम बेंगलुरू शहर के मामले में सबसे पहले ऐसा किया जाए और फिर राज्य के अन्य शहरों में ऐसा ही होना चाहिए।

    निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ एच एम प्रसन्ना ने व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होते हुए दावा किया कि बेंगलुरु में दवा की मांग की केवल 25 प्रतिशत ही आपूर्ति हो रही है। सरकार के पास रेमडेसिवीर का बहुत बड़ा भंडार है लेकिन वे इसे जारी नहीं कर रहे हैं।

    उनके द्वारा यह भी दावा किया गया था कि केवल 50 प्रतिशत ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने कहा, ''हमें इसे निजी आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त करना पड रहा है। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए राज्य सरकार या बीबीएमपी का कोई नेटवर्क नहीं है। इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए विशेष रूप से स्थापित राज्य वार रूम से भी कोई जवाब नहीं मिलता है। वह किसी भी तरह से हमारी मदद नहीं कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि अकेले बेंगलुरु के लिए 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की आवश्यकता है।

    महाधिवक्ता प्रभुलिंग के नवदगी ने अदालत को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार सभी हितधारकों के साथ एक बैठक बुलाएगी। उन्होंने डॉ प्रसन्ना को निर्देश दिया कि वह स्वास्थ्य सचिव के समक्ष अभ्यावेदन के माध्यम से न्यायालय के समक्ष वर्णित चिंताओं को उठाएं और इसकी एक प्रति महाधिवक्ता को भी भेजी जाए।

    अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आज हम केवल तीन मुद्दों पर विचार कर रहे हैं। बेड की उपलब्धता। रेमडेसिवीर की उपलब्धता और ऑक्सीजन की उपलब्धता। पीठ ने कहा ''इन मुद्दों का भारत के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत जीवन के अधिकार के साथ सीधा संबंध है।''

    इसके अनुसार निम्नलिखित निर्देश पारित किए गएः

    बिस्तर की उपलब्धता के संबंध मेंः

    पीठ ने दर्ज किया कि आज सुबह 11.15 बजे बेंगलुरु शहर में केवल 74 एचडीयू बेड उपलब्ध थे। आईसीयू और आईसीयू वेंटिलेटर 20 और 14 थे। पीठ ने कहा कि ''यह एक खतरनाक स्थिति है।''

    राज्य सरकार को निर्देशित किया जाता है कि वह बताएं कि आज राज्य में कितने बेड उपलब्ध हैं। वहीं जिन जिलों में 5,000 से अधिक कोरोना पॉजिटिव केस हैं,वहां पर उपलब्ध बेड की संख्या भी बताई जाए।

    केंद्र सरकार के अधिवक्ता अगली सुनवाई पर अदालत को सूचित करें कि क्या सशस्त्र बलों के अस्पताल में कुछ बिस्तर नागरिकों को उपलब्ध कराए जा सकते हैं?

    ऑक्सीजन की उपलब्धताः

    पीठ ने कहा कि ऑक्सीजन की उपलब्धता का मुद्दा गंभीर है। राज्य में प्रति दिन 1471 मीट्रिक टन की जरूरत होगी। तदनुसार कोर्ट ने भारत सरकार को आवंटन करने का निर्देश दिया है। यदि 30 अप्रैल तक आवंटन नहीं किया जाता है, तो राज्य सरकार के अनुमानित आंकड़ों के आधार पर 600 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी।

    रेमडेसिवीर की उपलब्धताः

    राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह राज्य के विभिन्न जिलों में स्टॉकिस्ट और ड्रगिस्ट के पास रेमडेसिवीर की उपलब्धता के संबंध में डाटा सार्वजनिक डोमेन पर प्रकाशित करे।

    राज्य इस मामले में पेश होने के लिए विशेष वकील नियुक्त करे

    हाईकोर्ट ने सुझाव दिया है कि अधिवक्ता विक्रम हुइगोल को इस मामले में एमिकस क्यूरिया के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए,जो पहले अतिरिक्त सरकारी वकील थे और अब उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया है,परंतु वह पिछले मार्च से इस मामले में पेश हुए थे। जिस पर महाधिवक्ता ने जवाब दिया, ''हम उन्हें राज्य सरकार के लिए विशेष वकील नियुक्त करेंगे। मैंने उनसे पहले ही बात कर ली है।''

    इस मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी।

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