शपथ ग्रहणकर्ता या ऑफिशियल ट्रांसलेटर द्वारा प्रमाणित अंग्रेजी ट्रांसलेशन की कॉपी ए एंड सी एक्ट की धारा 47(2) का पर्याप्त अनुपालन है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

Shahadat

24 Oct 2023 4:53 AM GMT

  • शपथ ग्रहणकर्ता या ऑफिशियल ट्रांसलेटर द्वारा प्रमाणित अंग्रेजी ट्रांसलेशन की कॉपी ए एंड सी एक्ट की धारा 47(2) का पर्याप्त अनुपालन है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि किसी ऑफिशियल ट्रांसलेटर द्वारा प्रमाणित अंग्रेजी ट्रांसेलशन की कॉपी दाखिल करना ए एंड सी एक्ट की धारा 47 (2) की आवश्यकता को पूरा करता है, जो यह प्रावधान करता है कि यदि कोई अवार्ड किसी विदेशी भाषा में है तो अवार्ड की ट्रांसलेटिड कॉपी विदेशी अवार्ड के प्रवर्तन के उद्देश्य से दायर की जानी है और इसे अवार्ड धारक के देश के कांसुलर या राजनयिक एजेंट द्वारा प्रमाणित किया जाना है।

    जस्टिस रजनेश ओसवाल की पीठ ने न्यूयॉर्क कन्वेंशन के अनुच्छेद V के प्रावधान को ए एंड सी एक्ट के अनुच्छेद 47 में पढ़ा, जिससे यह माना जा सके कि अवार्ड की अंग्रेजी ट्रांसलेटिड कॉपी को उस देश के शपथ ग्रहणकर्ता या ऑफिशिलय ट्रांसलेटर द्वारा सत्य प्रमाणित किया गया है। यदि अवार्ड दिया जाता है तो एक्ट की धारा 47 का पर्याप्त अनुपालन होगा, जो यह सुनिश्चित करता है कि अंग्रेजी भाषा में ट्रांसलेशन करते समय अवार्ड या उसके किसी भी निष्कर्ष के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

    न्यायालय ने यह भी माना कि ए एंड सी एक्ट, 1996 का भाग-II पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य पर भी लागू होता है और ए एंड सी एक्ट की धारा 1(2) से भाग-II की पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए प्रयोज्यता अनुपस्थिति मात्र इसे बाहर करने का प्रभाव नहीं डालेगी।

    मामले के तथ्य

    याचिकाकर्ता ने दिनांक 11.02.2015 के विदेशी अवार्ड को लागू करने के लिए ए एंड सी एक्ट की धारा 47 और 49 के तहत आवेदन दायर किया। यह अवार्ड पक्षकारों के बीच विवादों के परिणामस्वरूप पारित किया गया। यह अवार्ड जर्मनी और जर्मन भाषा में दिया गया।

    याचिकाकर्ता ने डॉ. राल्फ ए फेलो द्वारा किए गए अवार्ड के ट्रांसलेशन की कॉपी दायर की, जिसे जर्मनी के जनरल फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा ट्रांसलेटर के रूप में प्रमाणित किया गया।

    अवार्ड देनदार द्वारा उठाई गई आपत्तियां

    प्रतिवादी/अवार्ड देनदार ने निम्नलिखित आपत्तियां उठाईं:

    1. ए एंड सी एक्ट के भाग- II को पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य पर कभी भी लागू नहीं किया गया था, क्योंकि केवल भाग- I, III और IV को धारा 1(2) द्वारा लागू किया गया था, जो अधिनियम की प्रयोज्यता प्रदान करता था।

    2. तर्क-वितर्क में यदि यह स्वीकार किया जाता है कि एक्ट जम्मू-कश्मीर पर लागू होता है तो याचिकाकर्ता ने ए एंड सी एक्ट की धारा 47(2) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया, जिसमें प्रावधान है कि पुरस्कार धारक के देश का राजनयिक या कांसुलर एजेंट द्वारा किसी विदेशी भाषा में अवार्ड का ट्रांसलेशन और प्रमाणन किया जाना चाहिए।

    न्यायालय द्वारा विश्लेषण

    न्यायालय ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में एक्ट के भाग-दो के लागू न होने के संबंध में प्रतिवादी की आपत्ति खारिज कर दी। यह देखा गया कि बाल्को में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही माना कि भाग- II पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर तक भी फैला हुआ है।

    इसके बाद न्यायालय ने राजनयिक और कांसुलर एजेंट द्वारा प्रमाणित ट्रांसलेट कॉपी दाखिल न करने के संबंध में आपत्ति का निपटारा किया। कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने डॉ. राल्फ ए फेलो द्वारा किए गए अवार्ड की ट्रांसलेट कॉपी दाखिल की, जिसे जनरल फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च, जर्मनी द्वारा ट्रांसलेटर के रूप में प्रमाणित किया गया। इसके अलावा, यह देखा गया कि प्रतिवादी ने सार्वजनिक रूप से नियुक्त दुभाषिया और ट्रांसलेटर के रूप में डॉ. राल्फ की स्थिति या क्षमता पर विवाद नहीं किया है, बल्कि अवार्ड के निष्पादन में देरी करने और निराश करने के लिए केवल धारा 47(2) की तकनीकीताओं के तहत शरण ली है।

    न्यायालय ने माना कि किसी अधिकारी या शपथ ट्रांसलेटर द्वारा प्रमाणित अंग्रेजी ट्रांसलेशन की कॉपी दाखिल करना ए एंड सी एक्ट की धारा 47(2) की आवश्यकता को पूरा करता है, जिसमें प्रावधान है कि यदि कोई अवार्ड किसी विदेशी भाषा में है तो अवार्ड की ट्रांसलेटिड कॉपी दी जानी चाहिए। विदेशी अवार्ड के प्रवर्तन के उद्देश्य से दायर किया जाएगा।

    न्यायालय ने न्यूयॉर्क कन्वेंशन के अनुच्छेद V के प्रावधान को ए एंड सी एक्ट के अनुच्छेद 47 में पढ़ा, जिससे यह माना जा सके कि जिस देश में अवार्ड दिया गया है, उसके शपथ ग्रहणकर्ता या आधिकारिक ट्रांसलेटर द्वारा अवार्ड की अंग्रेजी ट्रांसलेशन की कॉपी को सत्य के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। एक्ट की धारा 47 का पर्याप्त अनुपालन किया जाए, जो यह सुनिश्चित करता है कि अंग्रेजी भाषा में ट्रांसलेशन करते समय अवार्ड या उसके किसी भी निष्कर्ष के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

    तदनुसार, न्यायालय ने आपत्तियां खारिज कर दी।

    केस टाइटल: सीआरपी खाद्य आयात-निर्यात बनाम कश्मीर केसर मार्ट, एक्सा नंबर 2026/01

    दिनांक: 13.10.2023

    याचिकाकर्ता के वकील: सैयद फैसल कादिरी, सीनियर एडवोकेट, एम/एस: सलीह पीरजादा और शराफ वानी और प्रतिवादी के वकील: एम. आई. डार, एडवोकेट, रुआनी और सना इमाम।

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