चुनावी हिंसा: कलकत्ता हाईकोर्ट ने मतदाताओं की जनहित याचिका और संभावित उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका में समानता पाई, कहा- यह प्रथम दृष्टया सेट अप
Shahadat
26 Jun 2023 1:59 PM IST

Calcutta High Court
कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शिवगणमन और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने सोमवार को इस तथ्य पर असहमति जताई कि "स्वतंत्र मतदाताओं" द्वारा दायर जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित हो सकती है।
मतदाताओं ने शिकायत की थी कि उनके ब्लॉक से सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवारों के निर्विरोध निर्वाचन ने प्रतिद्वंद्वी "भावी उम्मीदवारों" के नामांकन को रोक दिया, जिससे उनका चुनने का अधिकार छीन लिया गया।
उपरोक्त "संभावित उम्मीदवारों" द्वारा दायर इसी प्रकार की याचिका, जिसमें कैनिंग- I ब्लॉक से नामांकन दाखिल करने से रोके जाने की शिकायत की गई है, जस्टिस अमृता सिन्हा की एकल-न्यायाधीश पीठ के समक्ष लंबित है।
जस्टिस शिवगणमन ने निजी वादियों द्वारा इस मामले में दायर की गई दोनों रिट याचिकाओं के कथनों और प्रार्थनाओं के बीच पर्याप्त समानताओं को ध्यान में रखते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की,
“हम पाते हैं कि दोनों याचिकाओं में कथन समान हैं... कम से कम 7-9 पैराग्राफ और 8 आधार समान हैं... समान दलीलें, फ़ॉन्ट भी समान है...आप कृपया आगे आएं, क्योंकि गंभीर आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता को उम्मीदवार द्वारा खड़ा किया गया, जिसका मामला पहले से ही एकल पीठ के समक्ष है...।"
खंडपीठ ने आगे कहा,
"मैं कोई फैसला सुना सकता, उसकी भाषा अलग हो सकती है, [जस्टिस गुप्ता] कोई फैसला सुना सकते हैं, उनकी भाषा अलग होगी, यहां तक कि आप और आपका जूनियर फैसला सुनाते समय अलग-अलग तरह के भावों का इस्तेमाल करेंगे...आइए मान लें...समस्या से भागिए मत या हम याचिकाकर्ता को बुलाएंगे...यह कट-पेस्ट है...क्या हम यह कहते हुए कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि किसी ने इस याचिकाकर्ता को दायर किया है या वह किसी का माउथ पीस है...इसे जनहित याचिकाकर्ता के रूप में पेश किया गया...क्या हम इसमें सही नहीं हैं यह कहते हुए कि इस आधार पर याचिका खारिज की जानी चाहिए।”
अदालत पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों में कैनिंग- I ब्लॉक की 274 सीटों के खिलाफ उम्मीदवारों के निर्विरोध चुनाव के संबंध में "स्वतंत्र मतदाताओं" द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं द्वारा यह दावा किया गया कि इच्छुक उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने की अनुमति नहीं दी गई और इसके परिणामस्वरूप मतदाताओं के चुनने का अधिकार प्रभावित हुआ, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवारों को निर्विरोध जीत मिली।
उम्मीदवारों के वकील द्वारा यह तर्क दिया गया कि उन्हें उक्त रिट याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया। इसलिए उनके अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाला जा सकता जब तक कि उन्हें मामले में पक्षकार बनाए जाने के बाद सुनवाई का मौका नहीं दिया जाता।
दूसरी ओर, राज्य चुनाव आयोग के वकील के साथ-साथ राज्य के वकील द्वारा यह तर्क दिया गया कि याचिका अपने वर्तमान प्रारूप में सुनवाई योग्य नहीं है। फिर भी दोनों याचिकाओं में दिए गए आधार समान हैं। दुर्भावना के संदेह को जन्म देना और यह साबित करना कि याचिका सार्वजनिक हित से प्रेरित नहीं है, बल्कि वास्तव में राजनीति से प्रेरित है।
इस मामले की सुनवाई अगले सोमवार को की जाएगी।
केस टाइटल: ताज मोहम्मद हलदर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
कोरम: चीफ जस्टिस टी.एस. शिवगणन और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता

