बुजुर्ग दंपति को बेटियों ने धमकाया : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

12 Dec 2020 5:30 AM GMT

  • Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश राज्य सरकार से मैंटनेंस एंड वेल्फेयर आॅफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट 2007 व इसके तहत बनाए गए नियमों के तहत न्यायाधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए उठाए गए कदमों पर जवाब मांगा है।

    न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और उनकी पत्नी की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अदालत के समक्ष प्रार्थना की है कि उन्हें उनकी बेटियों से बचाया जाए, जो कथित रूप से दंपति की संपत्ति पर अपना दावा करने के लिए उन्हें परेशान कर रही हैं।

    खंडपीठ ने जिला मजिस्ट्रेट, लखनऊ को निर्देश दिया है कि ''इस आदेश की प्रति उनके समक्ष पेश करने की तारीख से एक महीने की अवधि के भीतर और जहां तक संभव हो, तत्काल इस मामले में कार्रवाई की जाए।''

    आरोप

    वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ कृष्ण पाल सिंह और उनकी पत्नी (याचिकाकर्ताओं) द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ताओं की दो बेटियां और उनके दामाद याचिकाकर्ताओं के घर को हथियाने में रुचि रखते हैं और एक अजनबी सुधा को उनके घर में रख दिया है,जिस कारण याचिकाकर्ताओं का पूरा सामाजिक जीवन गड़बड़ा गया है।

    अपनी सुरक्षा, बचाव और अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए, याचिकाकर्ता दंपति ने पहले जिला मजिस्ट्रेट, लखनऊ के समक्ष 18 जून 2020 एक आवेदन दायर किया था, हालांकि, उन्होंने दावा किया कि उक्त आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    कोर्ट का आदेश

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मैंटनेंस एंड वेल्फेयर आॅफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट 2007 के तहत बनाए गए उत्तर प्रदेश मैंटनेंस एंड वेल्फेयर आॅफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन रूल्स 2014 के तहत जिला प्रशासन, विशेष रूप से जिला मजिस्ट्रेट को एक दायित्व दिया गया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि जिले के वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा की जा सके है और वे सुरक्षा और सम्मान के साथ जीने में सक्षम हो सकें।

    न्यायालय ने आगे कहा कि उक्त रूल्स के नियम - 21 को देखते हुए, जिला मजिस्ट्रेट का यह कर्तव्य बनता है कि वह 18 जून 2020 के याचिकाकर्ताओं के उपरोक्त आवेदन पर उचित कदम उठाए और कार्रवाई करे।

    न्यायालय ने स्टैंडिंग काउंसिल को निर्देश दिया है कि वह छह सप्ताह के भीतर न्यायालय के समक्ष कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि वह न्यायालय को सूचित करें कि न्यायालय द्वारा कुमारी जानकी देवी व अन्य बनाम बनाम यू.पी. व अन्य, सिविल मिश्रित रिट याचिका संख्या 31851/2016 के मामले में दिए गए फैसले के तहत राज्य ने क्या कदम उठाए हैं?

    उपरोक्त मामले में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वह एक्ट और रूल्स के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक आदेश जारी करें।

    केस का शीर्षक - डॉ कृष्ण पाल सिंह (वरिष्ठ वैज्ञानिक) व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य,समाज कल्याण विभाग,लखनऊ के मुख्य सचिव के जरिए व अन्य [MISC. BENCH No. - 23537 of 2020]

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