''शिक्षा से कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए'' : गुजरात हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया, कोई भी बच्चा फीस भरने में असमर्थता के कारण स्कूल से न निकाला जाए

LiveLaw News Network

3 Feb 2021 3:45 PM GMT

  • शिक्षा से कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए : गुजरात हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया,  कोई भी बच्चा फीस भरने में असमर्थता के कारण स्कूल से न  निकाला जाए

    यह देखते हुए कि शिक्षा एक ऐसी चीज है, जिससे कभी समझौता नहीं किया जाना चाहिए, गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि फीस का भुगतान करने में आई असमर्थता किसी भी माता-पिता को अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करने से रोकने के लिए मजबूर न करें।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की खंडपीठ ने भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (आईआईएम अहमदाबाद) और यूएनआईसीईएफ गुजरात द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के आधार पर इस मामले में स्वत संज्ञान लिया था।

    गौरतलब है कि इस सर्वेक्षण में लॉक-डाउन की अवधि के दौरान बहुत सारे परिवारों के सामने आई विभिन्न समस्याओं और कठिनाइयों के बारे में खुलासा किया गया है, विशेष रूप से सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील के अचानक रुकने के कारण होने वाली कठिनाई।

    खंडपीठ ने इस सर्वेक्षण पर स्वत संज्ञान लेते हुए, पिछले महीने गुजरात के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और गुजरात राज्य की मिड-डे मील स्कीम के आयुक्त को नोटिस जारी किया था।

    पूर्वोक्त के जवाब में, राज्य सरकार ने एक हलफनामे के रूप में एक विस्तृत रिपोर्ट दायर की।

    उक्त रिपोर्ट में मिड-डे-मील वितरण, ऑन लाइन लर्निंग के लिए राज्य द्वारा किए गए प्रयासों और राज्य द्वारा स्कूल फीस में कटौती करने के लिए किए गए उपायों के बारे में आंकड़े शामिल थे।

    रिपोर्ट पर विचार करने के बाद, न्यायालय ने इस केस/लिटिगेशन को बंद करने का प्रस्ताव रखा और कहा कि,

    "राज्य सरकार की रिपोर्ट को स्वीकार करने और इस लिटिगेशन को बंद करके, हम यह बताना नहीं चाहते हैं कि आईआईएम-ए और यूएनआईसीईएफ, गुजरात द्वारा किया गया सर्वेक्षण सही नहीं था। इसके विपरीत, हम इस संबंध में आईआईएम-ए और यूएनआईसीईएफ, गुजरात द्वारा लगाए गए संयुक्त प्रयासों की सराहना करते हैं। उनके द्वारा किए गए सर्वेक्षण और इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र में प्रकाशित लेख के आधार पर ही इस अदालत को उन कठिनाइयों और समस्याओं के बारे में पता चला जो बहुत सारे परिवारों के समक्ष लॉक-डाउन की अवधि के दौरान आई हैं।''

    इसके अलावा, अदालत ने राज्य सरकार द्वारा लॉक-डाउन की अवधि के दौरान विभिन्न परिवारों की कठिनाइयों को कम करने के लिए किए गए प्रयासों की भी सराहना की।

    अंत में, न्यायालय ने कहा कि,

    ''यह संभव है कि सरकार द्वारा प्रदान की गई सहायता कुछ परिवारों तक न पहुंची हो। सर्वेक्षण में इसी बारे में बात की गई है। सरकार को ऐसे वास्तविक मामलों पर ध्यान देना चाहिए और हर संभव तरीके से सहायता प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए।''

    मामला शीर्षक - सू मोटो बनाम गुजरात राज्य, प्रमुख सचिव और 1 अन्य के माध्यम से

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