'यह सं‌दिग्ध कि याचिकाकर्ता ने फंसे लोगों की जानकारी कैसे जुटाई': दिल्ली हाईकोर्ट ने अफगानिस्तान से भारतीयों को निकालने की याचिका का निपटारा किया

LiveLaw News Network

27 Oct 2021 4:26 PM IST

  • यह सं‌दिग्ध कि याचिकाकर्ता ने फंसे लोगों की जानकारी कैसे जुटाई: दिल्ली हाईकोर्ट ने अफगानिस्तान से भारतीयों को निकालने की याचिका का निपटारा किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने तालिबान शासन के बीच अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों या हिंदू और सिख मूल के अफगान नागरिकों को निकालने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका का निपटारा किया।

    याचिकाकर्ता ने ऐसे फंसे लोगों को ई-वीजा जारी करने के लिए केंद्र से निर्देश देने की मांग की थी। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने केंद्र से याचिकाकर्ता द्वारा किए गए प्रतिनिधित्व पर विचार करने का निर्देश दिया।

    हालांकि, कोर्ट ने उस तरीके पर संदेह व्यक्त किया, जिससे याचिकाकर्ता ने फंसे हुए लोगों की जानकारी एकत्र करने का दावा किया था। याचिकाकर्ता ने राजनीतिक रूप से अस्थिर क्षेत्र में कथित रूप से फंसे व्यक्तियों की एक सूची संलग्न की थी। सूची में 64 भारतीय नागरिकों के नाम शामिल हैं।

    "इन अनुलग्नकों की प्रामाणिकता क्या है?" बेंच ने शुरुआत में याचिकाकर्ता से पूछ था। याचिकाकर्ता ने इन सभी व्यक्तियों के साथ टेलीफोन पर बातचीत करने का दावा किया था, जिस पर पीठ ने कहा,"हमें इस तथ्य पर संदेह है!"

    न्यायालय ने याचिकाकर्ता के इस दावे पर भी संदेह जताया कि उसने विदेश मंत्रालय के समक्ष फंसे व्यक्तियों द्वारा दायर वीजा आवेदनों के आधार पर जानकारी एकत्र की थी। पीठ ने कहा, "कैसे आपको निजी वीजा आवेदनों की प्रतियां मिल गईं? यह सब प्राप्त करना आसान काम नहीं है। हम आपकी मौखिक प्रस्तुतियों से सहमत नहीं हैं।"

    अंत में, इस मामले पर 18 अक्टूबर, 202 को सरकारी अधिकारियों को याचिकाकर्ता द्वारा किए गए प्रतिनिधित्व को देखते हुए कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।

    कोर्ट ने आदेश दिया, " इसलिए हम संबंधित प्रतिवादी प्राधिकारी को मामले के तथ्यों पर लागू कानून, नियमों, विनियमों और सरकार की नीतियों के अनुसार याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व तय करने का निर्देश देते हैं। "

    इस समय, सरकारी वकील अमित महाजन ने पीठ को सूचित किया कि भारत सरकार द्वारा फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए पहले ही काफी प्रयास किए जा चुके हैं।

    इस पर, बेंच ने स्पष्ट किया कि सरकार के पास उचित कारण बताते हुए प्रतिनिधित्व को अस्वीकार करने का विकल्प भी है। मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा, "हम जानते हैं कि एयरलाइंस का संचालन भी मुश्किल है। आप इसका उल्लेख करें और यदि आप चाहें तो इसे अस्वीकार कर दें।"

    यह कहते हुए कि सरकार ने भारत में फंसे 106 अफगान नागरिकों को काबुल वापस जाने में मदद की, कोर्ट में दी गई दलील में कहा गया कि अफगानिस्तान से भारत में फंसे भारतीय और भारतीय मूल के अफगान नागरिकों को एयरलिफ्ट करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

    याचिका दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के पूर्व प्रवक्ता और मीडिया सलाहकार परमिंदर पाल सिंह ने एडवोकेट सिद्धार्थ बोरा के माध्यम से दायर की थी।

    केस शीर्षक: परमिंदर पाल सिंह बनाम गृह मंत्रालय और अन्य।

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