स्टेट बार काउंसिल में नामांकन के लिए डोमिसाइल कोई शर्त नहीं, केवल दिल्ली बार काउंसिल ही इस पर जोर दे रही है: बीसीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा

Avanish Pathak

23 May 2023 2:39 PM GMT

  • स्टेट बार काउंसिल में नामांकन के लिए डोमिसाइल कोई शर्त नहीं, केवल दिल्ली बार काउंसिल ही इस पर जोर दे रही है: बीसीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि कानून के अनुसार स्टेट बार काउंसिल में नामांकन के लिए लॉ ग्रेजुएट की डोमेसाइल या अधिवास कोई शर्त नहीं है और दिल्‍ली बार काउंसिल को छोड़कर किसी अन्य स्टेट बार काउंसिल ने यह आवश्यकता निर्धारित नहीं की है।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने हाल ही में दिल्ली बार काउंसिल की ओर से निर्धारित क‌िए गए नामांकन के निए नियमों के खिलाफ एक वकील की ओर से दायर याचिका पर उक्त प्रस्तुतियां दी। बीसीडी के नए नियमों के तहत भविष्य में नामांकन के लिए आधार और वोटर आईडी, जिस पर स्‍थानीय पता दिया हो, को अनिवार्य कर दिया गया है।

    बीसीआई ने अदालत को बताया कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत एकमात्र आवश्यकता या शर्त यह है कि एक वकील के रूप में एड‌मिशन के लिए लॉ ग्रेजुएट को एक आवेदन राज्य बार काउंसिल में करना होगा, जहां कि वह प्रैक्टिस करना चाहता है।

    बीसीआई ने बताया,

    “… बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 10 मई 2023 को सभी राज्य बार काउंसिलों को एक ईमेल भेजा है, जिसमें नामांकन के लिए आवश्यकता के रूप में अधिवास पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी। अब तक 14 राज्य बार काउंसिलों ने जवाब भेजा है और इसका अध्ययन करने पर यह पता चला है कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत अधिवक्ता के रूप में नामांकन के लिए दिल्ली बार काउंसिल को छोड़कर, अन्य 13 राज्य बार काउंसिलों में से किसी के पास मानदंड/आवश्यकता के रूप में विधि स्नातक/आवेदक का अधिवास नहीं है।"

    बीसीआई ने आगे कहा है कि प्रत्येक वकील का दायित्व है] जिसका नाम स्टेट रोल में है कि वह संबंधित राज्य बार काउंसिल को स्थायी निवास के स्थान पर किसी भी बदलाव के बारे में सूचित करे।

    यह भी कहा गया है कि यदि वकील उस राज्य बार काउंसिल के रोल में नाम के हस्तांतरण के लिए आवेदन नहीं करता है जिसके अधिकार क्षेत्र में वह छह महीने के भीतर सामान्य रूप से प्रैक्टिस कर रहा है, तो वकील को "पेशेवर कदाचार" का दोषी माना जाएगा।

    याचिका पर जस्टिस प्रतिभा एम सिंह सुनवाई कर रही हैं। इस महीने की शुरुआत में बीसीडी ने अदालत से कहा था कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार कर रहा है, और इस मामले पर 12 मई को होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी।

    बीसीडी द्वारा जारी अधिसूचना में, वकीलों के निकाय ने कहा कि नामांकन के लिए आवेदन करने के इच्छुक कानून स्नातकों को नामांकन आवेदन के साथ अपने आधार कार्ड और दिल्ली या एनसीआर के मतदाता पहचान पत्र की प्रति संलग्न करनी होगी।

    नोटिस में कहा गया है, "अब से दिल्ली/एनसीआर के पते वाले आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र की प्रति के बिना कोई नामांकन नहीं किया जाएगा।"

    याचिकाकर्ता एडवोकेट रजनी कुमार दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से लॉ ग्रेजुएट हैं और बिहार की रहने वाली हैं। उनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता ललित कुमार कर रहे हैं।

    यह उनका मामला है कि उक्त दस्तावेजों को देने की अनिवार्य आवश्यकता उन कानून स्नातकों के साथ भेदभाव करती है जिनके पास दिल्ली या एनसीआर में कोई पता नहीं है और उनके आवासीय पते के आधार पर कानून स्नातकों के बीच एक मनमाना वर्गीकरण भी बनाता है।

    केस टाइटल: रजनी कुमारी बनाम बीसीडी और अन्य संबंधित मामले

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