फुल कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, जिला अदालतें पक्षकारों के अनुरोध पर हाइब्रिड/वीसी सुनवाई की सुविधा के लिए बाध्य: दिल्ली हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

17 Nov 2021 10:00 AM GMT

  • फुल कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, जिला अदालतें पक्षकारों के अनुरोध पर हाइब्रिड/वीसी सुनवाई की सुविधा के लिए बाध्य: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को टिप्पणी की कि एक बार जब उसके फुल कोर्ट ने शहर की जिला अदालतों को पक्षकारों के अनुरोध पर हाइब्रिड या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा की अनुमति देने की अनुमति दे दी है तो अदालतें उक्त निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।

    न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने फुल कोर्ट के निर्देशों के बावजूद जिला अदालतों को हाइब्रिड सुनवाई की अनुमति नहीं देने के मुद्दे पर एक याचिका पर नोटिस जारी किया।

    याचिका में याचिकाकर्ता अनिल कुमार हजले ने आवेदन दायर किया गया। इसमें कहा गया कि दिल्ली के अधीनस्थ न्यायालयों और अर्ध न्यायिक निकायों को उन वकीलों के लाभ के लिए हाइब्रिड सुनवाई करनी चाहिए जो COVID-19 संक्रमण से पीड़ित हैं और फिजिकल रूप से अदालत के सामने पेश होने में असमर्थ हैं।

    न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने कहा,

    "हाईकोर्ट पहले ही निर्देश जारी कर चुका है। वे इसका पालन करने के लिए बाध्य हैं।"

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि जिला अदालतों को हाइब्रिड और वीसी सुनवाई सुविधा की अनुमति देने के निर्देश और प्रशासनिक पक्ष से आदेश पारित होने के बावजूद, जिला अदालतें इसका पालन नहीं कर रही हैं।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि अधिवक्ताओं द्वारा अग्रिम रूप से अनुरोध करने के बावजूद अनुमति नहीं दी जा रही।

    आवेदक ने प्रस्तुत किया,

    "राउज़ एवेन्यू कोर्ट में एक कोर्ट रूम हाइब्रिड सुनवाई कर रहा है, जबकि आसन्न कोर्ट ऐसा नहीं कर रहा है।"

    राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता अनुज अग्रवाल ने उठाए गए मुद्दे पर सहमति व्यक्त की और कहा कि उन्हें भी इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।

    दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से पेश अधिवक्ता अनुरंग अहलूवालिया ने मामले में उचित निर्देश मांगने के लिए कोर्ट से समय मांगा।

    याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने मामले को कल आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और कहा कि वह आवेदन में निर्देश पारित कर सकता है।

    याचिका पर पिछले सुनवाई के दौरान, COVID-19 मामलों की बढ़ती संख्या पर अपनी आशंका व्यक्त करते हुए कोर्ट ने कहा था कि शहर में जिला अदालतों और अन्य अर्ध न्यायिक निकायों में हाइब्रिड सुनवाई करने के लिए बुनियादी ढांचे की व्यवस्था होनी चाहिए।

    इससे पहले, यह देखते हुए कि चल रही COVID-19 महामारी के कारण नागरिकों के न्याय तक पहुंच के अधिकार में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई है, अदालत ने दिल्ली सरकार को जिला अदालतों और अर्ध-न्यायिक निकायों में हाइब्रिड सुनवाई के लिए बुनियादी ढांचा और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए त्वरित कदम उठाने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि दिल्ली सरकार द्वारा उक्त प्रस्ताव को ठुकरा दिया जाता है तो वह सब्सिडी और सार्वजनिक विज्ञापनों के अनुदान पर एक अप्रैल, 2020 से उसके द्वारा किए गए खर्च का पूरा विवरण न्यायालय के समक्ष रखेगी।

    पीठ ने कहा था,

    "न्याय तक पहुंच वह अधिकार है जो सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है। चल रही महामारी के कारण इसे गंभीर रूप से बाधित किया गया। बुनियादी ढांचे की कमी के कारण जिला अदालतों के साथ-साथ उपभोक्ता फोरम/ट्रिब्यूनल कुशलतापूर्वक कार्य करने में सक्षम नहीं हैं। मामले बढ़ रहे हैं और लोगों को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।"

    केस का शीर्षक: अनिल कुमार हजले और अन्य बनाम दिल्ली हाईकोर्ट

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