Evidence Act की धारा 27 के तहत सह-अभियुक्त का खुलासा बयान अकेले किसी अन्य व्यक्ति को अपराध में आरोपी बनाने के लिए पर्याप्त नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
Shahadat
30 Oct 2023 1:14 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि किसी व्यक्ति को एफआईआर और अंतिम आरोप पत्र में दोषी नहीं ठहराया जा सकता, जब अभियोजन पक्ष के पास इविडेंस एक्ट (Evidence Act) की धारा 27 के तहत तैयार किए गए कथित सह-अभियुक्तों के प्रकटीकरण बयानों को छोड़कर उसे अपराध से जोड़ने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है।
जस्टिस प्रणय वर्मा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने याचिकाकर्ता के कहने पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) की धारा 8, 15, 25 और 29 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए एफआईआर और परिणामी कार्यवाही रद्द कर दी।
अदालत ने आदेश में बताया,
“...उसे केवल भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत दर्ज किए गए सह-अभियुक्तों के प्रकटीकरण बयान के आधार पर फंसाया गया, जिसमें उसने कहा कि याचिकाकर्ता और अन्य सह-अभियुक्तों ने प्रतिबंधित पदार्थ के परिवहन के उद्देश्य से उनसे संपर्क किया था।”
अदालत ने कहा,
सबसे पहले याचिकाकर्ता के पास से कोई प्रतिबंधित पदार्थ बरामद नहीं हुआ। दूसरे, वह उस वाहन का मालिक नहीं है, जिसमें प्रतिबंधित पदार्थ ले जाया जा रहा था और न ही वह उस समय वाहन में मौजूद था, जब दूसरे आरोपी व्यक्ति को पकड़ा गया। तीसरा, कॉल डिटेल से यह संकेत नहीं मिलता कि याचिकाकर्ता का अन्य सह-अभियुक्तों से कोई संबंध था। सह-अभियुक्तों के इकबालिया बयान को छोड़कर सबूतों की इस स्पष्ट कमी का हवाला देते हुए अदालत ने अंतिम आरोप पत्र में अभियोजन पक्ष द्वारा उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों से याचिकाकर्ता को बरी करना उचित पाया।
इंदौर में बैठी पीठ ने आगे कहा,
“केस डायरी के साथ-साथ मामले में दायर आरोप पत्र के अवलोकन पर इस न्यायालय की राय है कि वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 27 के तहत तैयार किए गए मेमो को छोड़कर अन्य सह-अभियुक्त व्यक्ति के उदाहरण पर साक्ष्य अधिनियम के तहत अभियोजन पक्ष द्वारा कोई ठोस सबूत एकत्र नहीं किया गया।”
ऐसा करते समय अदालत ने दिलीप कुमार बनाम एमपी राज्य (2022) मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों पर भी भरोसा किया।
अदालत ने कहा,
"...इस तरह के मामले से निपटने का उचित तरीका यह है कि सबसे पहले स्वीकारोक्ति को पूरी तरह से ध्यान में रखते हुए आरोपी के खिलाफ सबूतों को एकत्र किया जाए और देखा जाए कि क्या, यदि इस पर विश्वास किया जाता है, तो इसके आधार पर सुरक्षित रूप से दोषसिद्धि की जा सकती है..."
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न अन्य निर्णयों का विश्लेषण करने के बाद उक्त आदेश में नोट किया।
अभियोजन के अनुसार, 30.06.2023 को मंदसौर हाईवे पर ट्रक में यात्रा कर रहे सह-अभियुक्तों में से एक को गुप्त सूचना मिलने के बाद पुलिस ने पकड़ लिया। उक्त ट्रक से 125 बोरी चूरा-पोस्त बरामद हुआ, जिसका वजन 250 क्विंटल है। बाद में एक्ट की धारा 27 के तहत बयान दर्ज किया गया, जहां गिरफ्तार सह-अभियुक्त ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कुछ अन्य लोगों के साथ प्रतिबंधित पदार्थ के परिवहन के लिए उससे संपर्क किया था। इस प्रकार दिए गए प्रकटीकरण कथन के आधार पर याचिकाकर्ता पर भी ऊपर उल्लिखित अपराधों के लिए आरोप पत्र दायर किया गया।
केस टाइटल: जोगीराम बनाम मध्य प्रदेश राज्य
केस नंबर: आपराधिक मामला नंबर 45785/2023
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