विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक ना होना पूर्वव्यापी पदोन्नति के लिए विशेष परिस्थिति नहीं: मेघालय हाईकोर्ट
Avanish Pathak
31 Jan 2023 4:18 PM IST
मेघालय हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि पूर्वव्यापी पदोन्नति की अनुमति किसी विशेष मामले में आसपास की विशेष परिस्थितियों पर विचार करने के बाद है, हालांकि "विभागीय पदोन्नति समिति" (डीपीसी) की बैठक ना होना पूर्वव्यापी पदोन्नति प्रदान करने के लिए एक विशेष परिस्थिति नहीं है।
जस्टिस एचएस थांगखीव जिस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, उसमें कोर्ट याचिकाकर्ताओं की ओर से पूर्वव्यापी तिथि से पदोन्नति के लिए किए गए दावे की न्यायोचितता पर विचार कर रही थी।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि जिस तारीख को वे पदोन्नति के लिए पात्र हुए थे, रिक्तियां उपलब्ध थीं, लेकिन डीपीसी की बैठक न होने के कारण पदोन्नति को प्रभावी नहीं किया जा सका, जिसके कारण उन्हें वरिष्ठता का नुकसान हुआ, जिससे उनके भविष्य की प्रमोशन की संभावनाएं प्रभावित हुई।
याचिकाकर्ताओं ने 2009 में अवर मंडल सहायक के रूप में नौकरी पाई थी और 2014 तक 5 साल की निरंतर सेवा की थी, जिसके बदले में वे उच्च मंडल सहायक के पद पर पदोन्नति के लिए पात्र हो गए थे।
वर्ष 2012 से यूडीए के पद पर रिक्तियां मौजूद थीं, लेकिन पात्र कर्मचारियों की पदोन्नति पर विचार करने के लिए डीपीसी की बैठक नहीं हुई। उक्त तथ्य से विवश होकर रिट याचिकाकर्ताओं ने डीपीसी की बैठक का अनुरोध करते हुए प्रतिवादियों को कई अभ्यावेदन दिए।
रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चला कि डीपीसी केवल 2019 में बुलाई गई थी और याचिकाकर्ताओं को 2019 से ही पदोन्नत किया गया था। उसी से नाराज होकर याचिकाकर्ताओं ने 2014 से पूर्वव्यापी पदोन्नति की मांग की थी जब वे इस करियर में प्रमोशन के लिए पात्र हो गए थे।
प्रतिवादियों ने दलील दी कि डीपीसी के आयोजन में देरी वास्तविक और अपरिहार्य कारणों से हुई थी, और याचिकाकर्ताओं के अधिकारों को दबाने के लिए जानबूझकर देरी नहीं की गई थी।
अदालत ने फैसले में कहा कि पूर्वव्यापी प्रभाव से पदोन्नति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि ऐसा करना आवश्यक न हो। ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें पूर्वव्यापी पदोन्नति दी गई थी और न्यायालयों द्वारा अनुमोदित की गई है, लेकिन ऐसा उस विशेष मामले के आसपास की विशेष परिस्थितियों पर विचार करने के बाद किया गया गया है।
पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि याचिकाकर्ताओं ने कोई भी दावा नहीं किया है कि पहले तय डीपीसी या डीपीसी को रद्द कर दिया गया था या इसे आयोजित नहीं करने का कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा था, जिससे अदालत मामले में हस्तक्षेप कर सकती थी।
अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में उच्च पद पर पदोन्नति कार्यात्मक पदोन्नति का मामला नहीं है, बल्कि इसमें विधिवत गठित डीपीसी द्वारा चयन और सिफारिश की प्रक्रिया शामिल है।
किसी विशेष परिस्थितियों या नियमों की पहचान करने में असमर्थ जो याचिकाकर्ताओं को पूर्वव्यापी तारीख से पदोन्नति के लिए दावा करने का अधिकार प्रदान करते हैं, अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
स्टैंड को मजबूत करने के लिए अदालत ने यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य बनाम मनप्रीत सिंह पूनम व अन्य (2022) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया। याचिकाकर्ताओं के पूर्वव्यापी पदोन्नति के दावे के समर्थन में किसी किसी परिस्थिति या नियमों की पहचान न हो पाने के कारण कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: श्री एंड्रयू शाबोंग व अन्य बनाम मेघालय राज्य व अन्य।
साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (मेग) 1