पूर्व नोटिस के बिना लखनऊ में अधिवक्ताओं के चैंबर तोड़ने का मामलाः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिहैबिलिटेशन स्कीम पर सरकार से मांगा जवाब

LiveLaw News Network

25 Nov 2020 5:46 PM IST

  • Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है, जिसमें उन वकीलों के पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन स्कीम) के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताया जाना है,जिनके चैंबर पिछले दिनों ही तोड़ दिए गए थे। कथित तौर पर आरोप है कि ऐसा करने से पहले वकीलों को नोटिस भी जारी नहीं किया गया था।

    यह निर्देश न्यायमूर्ति पंकज मितल और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने कई अधिवक्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिकाकर्ताओं के सदर तहसील, लखनऊ में स्थित चैंबर 16 नवंबर, 2020 को अचानक तोड़ दिए गए थे।

    यह आरोप लगाया गया है कि तहसील सदर के वकीलों को चैंबर बनाने और उन पर कब्जा करने की अनुमति दी गई थी। हालांकि, 16 नवंबर को उनको आश्चर्यचकित करते हुए सरकार ने 34 चैंबर को ध्वस्त कर दिया।

    याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उक्त कवायद बिना किसी नोटिस या उनको सुनवाई का कोई अवसर प्रदान किए बिना ही की गई थी। इसके अलावा, किसी भी सक्षम प्राधिकारी का कोई ऐसा आदेश वकीलों के सामने नहीं रखा गया,जिसमें इन चैंबर को तोड़ने का निर्देश दिया गया हो।

    न्यायालय ने कहा कि स्टैंडिंग काउंसिल भी इस बात को बताने की स्थिति में नहीं थे कि चैंबर क्यों ध्वस्त किए गए हैं और क्या विध्वंस की कवायद करने से पहले वकीलों को कोई नोटिस जारी किया गया या उनको अपना पक्ष रखने का अवसकर दिया गया था?

    इसके मद्देनजर, न्यायालय ने स्टैंडिंग काउंसिल को निर्देश दिया है कि वह दो सप्ताह के भीतर मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करे और एक जवाबी हलफनामा दायर करें।

    आदेश में कहा गया कि, ''वह विशेष रूप से जवाबी हलफनामे में बताए कि क्या सरकार द्वारा वकीलों के पुनर्वास के लिए कोई योजना तैयार की जा रही है और क्या सरकार वकीलों के चैंबर के लिए नया भवन बनाने और उन्हें तहसील सदर के वकीलों (जिनके इस परिसर में पहले से चैंबर मिले हुए हैं)को प्राथमिकता देते हुए आवंटित करने के लिए तैयार है?''

    इसके अलावा, अदालत ने कहा है कि प्रतिवादियों द्वारा कोई भी अन्य तोड़फोड़ (शेष 74 चैंबर के मामले में) तहसील सदर में ना की जाए।

    इस मामले में अब अगली सुनवाई 9 दिसंबर, 2020 को होगी।

    केस का शीर्षक-एडवोकेट आनंद कुमार शुक्ला व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य।

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