संपत्ति विध्वंस मामले में अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर को राहत, हाईकोर्ट ने दिया व्यक्तिगत सुनवाई का निर्देश
Shahadat
22 Nov 2025 10:21 AM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार (20 नवंबर) को अब्दुल मजीद को उनकी याचिका पर सुनवाई का मौका दिया, जिसमें उन्होंने कैंटोनमेंट बोर्ड ऑफिस से उनके घर के कुछ हिस्सों से गैर-कानूनी कब्ज़ा हटाने के लिए जारी नोटिस को चुनौती दी थी।
बता दें, विवादित प्रॉपर्टी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर और अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी के पिता हम्माद अहमद का पुश्तैनी घर है।
ऐसा करते हुए जस्टिस प्रणय वर्मा की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका दिया जा सकता है, यह देखते हुए कि शुरुआती नोटिस लगभग 30 साल पहले जारी किए गए और उसके बाद अब विवादित नोटिस दिया गया।
कोर्ट ने कहा;
"जिस नोटिस पर सवाल उठाया गया, उसे देखने से ऐसा लगता है कि पिटीशनर को पहले भी नोटिस दिए गए, लेकिन वे साल 1996/1997 में थे, यानी लगभग 30 साल पहले और उसके बाद अब जिस नोटिस पर सवाल उठाया गया, वह जारी किया गया। अगर पिछले नोटिस जारी होने की तारीख से लगभग 30 साल बाद पिटीशनर के खिलाफ कोई कार्रवाई की जानी थी, तो उसे सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए था।"
याचिका के मुताबिक, यह घर लगभग 50 सालों तक मरहूम हम्माद अहमद के खास मालिकाना हक और कब्जे में रहा है। यह घर उस समय के कैंटोनमेंट ऑफिसर की सहमति और मंज़ूरी से बनाया गया था।
हालांकि, हम्माद अहमद की मौत के बाद उनके 13 परिवार के सदस्यों ने जवाद अहमद सिद्दीकी के पक्ष में एक रिलिंक्विशमेंट डीड बनाई। इसके बाद 2021 में हम्माद के बेटे जवाद अहमद सिद्दीकी ने प्यार और लगाव की वजह से अब्दुल मजीद के पक्ष में एक हिबानामा (मुस्लिम कानून के तहत प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के लिए एक गिफ्ट डीड) किया।
बाद में 19 नवंबर, 2025 को जवाद अहमद सिद्दीकी को घर के एक खास हिस्से से ज़्यादा कंस्ट्रक्शन हटाने का नोटिस मिला। पिटीशन में कहा गया कि पिटीशनर को घर के कथित गैर-कानूनी/ज़्यादा कंस्ट्रक्शन को हटाने के लिए सिर्फ़ तीन दिन दिए गए, और ऐसा न करने पर स्ट्रक्चर गिराने की धमकी दी गई।
पिटीशन में कहा गया कि 1996 में दो नोटिस जारी होने के बाद से 29 साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि ज़्यादा कंस्ट्रक्शन से न तो ट्रैफिक जाम हो रहा था और न ही सड़क पर कब्ज़ा हो रहा था, जैसा कि नोटिस में कहा गया।
पिटीशन में यह भी कहा गया कि हिबानामा करने के बाद कोई कंस्ट्रक्शन नहीं किया गया। इसलिए पिटीशन में नोटिस को रद्द करने की मांग की गई। इसके अलावा, इसमें अथॉरिटीज़ के खिलाफ़ निर्देश मांगे गए ताकि वह याचिकाकर्ता या इस घर में रहने वाले किसी भी दूसरे व्यक्ति के खिलाफ़ कोई भी एक्शन न ले सकें, जब तक कि एक एक्सपर्ट कमिटी सही माप न ले ले।
कोर्ट ने पिटीशन का निपटारा करते हुए निर्देश दिया,
"इस तरह मामले के मौजूद फैक्ट्स को देखते हुए यह निर्देश दिया जाता है कि पिटीशनर आज से 15 दिनों के अंदर रेस्पोंडेंट/सक्षम अथॉरिटी के सामने सभी ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स के साथ अपना जवाब फाइल करे। इसके बाद पिटीशनर को सुनवाई का पूरा मौका दिया जाएगा और उसके बाद मामले में एक तर्कपूर्ण और बोलने वाला ऑर्डर पास किया जाएगा। जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता और उसके बाद दस दिनों के समय तक अगर ऑर्डर पिटीशनर के खिलाफ़ है तो उसके खिलाफ़ कोई ज़बरदस्ती का एक्शन नहीं लिया जाएगा।"
Case Title: Abdul Majid v Union [WP-45707-2025]

