दिल्ली दंगा : मुस्तफबाद राहत शिविर को दुबारा शुरू करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

LiveLaw News Network

27 March 2020 9:26 AM GMT

  • दिल्ली दंगा : मुस्तफबाद राहत शिविर को दुबारा शुरू करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

    दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दिल्ली सरकार को मुस्तफ़ाबाद राहत शिविर को दुबारा शुरू करने का आदेश दिए जाने की माँग की गई है। इस शिविर को दिल्ली दंगे के बाद शुरू किया गया था।

    दिल्ली दंगे के पीड़ितों ने यह याचिका दायर की है और इसमें कहा है कि अदालत केंद्र और दिल्ली सरकार को इस शिविर को शीघ्र खोलने का आदेश दे और इसमें भोजन, पानी, स्वच्छता, सफ़ाई और सुरक्षा की व्यवस्था करे।

    हाईकोर्ट इससे पहले 20 और 23 मार्च को पीड़ितों की अपील पर ग़ौर किया ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण के समय में सरकार शिविर में स्वच्छता और सफ़ाई और ज़रूरी वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित कर सके।

    इसके बाद अदालत ने आदेश जारी कर कई क़दम उठाए जाने को कहा ताकि पीड़ितों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। अदालत ने शिविर में अग्निशामक, एंबुलेंस और मोबाइल शौचालय और वहाँ काउंसेलरों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने को कहा था।

    अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में तीन और ऐसे शिविर शुरू करने का आदेश भी पास किया था और दिल्ली सरकार ने इसे मान लिया लिया।

    याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार ने लोगों को इन शिविरों से चले जाने को बाध्य कर दिया और शिविर को मनमाने तरीक़े से बंद कर दिया।

    इंडियन एक्सप्रेस अख़बार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सरकार ने दावा किया कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री के लॉकडाउन की घोषणा के बाद इस शिविर को बंद कर दिया और पीड़ितों को सरकार ने कुछ पैसे और राशन देकर शिविर से चले जाने को कहा। पर पीड़ितों ने इस रिपोर्ट में कहा है कि शिविर को बंद करने की योजना पिछले एक सप्ताह से चल रही थी क्योंकि सरकार शिविर में खाद्य वस्तुओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की आपूर्ति नहीं कर पा रही थी।

    याचिका में आरोप लगाया गया है कि पूर्व नियोजित तरीक़े से शिविर को बंद किया गया और अदालत को गुमराह किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सरकारी वक़ील इस योजना के बारे में उस समय भी जानते थे जब वे अदालत में 20 और 23 मार्च को दलील दे रहे थे।

    याचिका में कहा गया है कि यह कहना कि शिविर में रह रहे लोग कुछ पैसे और राशन लेकर ख़ुद ही शिविर से चले गए, ग़लत है। दंगा पीड़ितों ने अदालत से आग्रह किया है कि वह सरकार को एनजीओ और मीडियाकर्मियों के कार्य में बाधा नहीं डालने का आदेश दे जो पीड़ितों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।

    दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पीड़ित याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि शिविर के पास स्वच्छता और सफ़ाई बनाए रखने के अदालत्त के आदेश के बावजूद वहाँ हर जगह कूड़ा फैला हुआ है और सफ़ाई नहीं की गई है। इन लोगों ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम से इसकी सफ़ाई कराने का आदेश दिए जाने की माँग की है।

    यह भी कहा गया है कि पीड़ित लोग अपने घर लौट गए हैं जहाँ तनाव अभी भी बना हुआ है और उन्हें लगातार भय के माहौल में जीना पड़ रहा है। वहाँ किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं है जबकि इसके आदेश दिए जा चुके हैं।

    याचिकाकर्ताओं ने इस वजह से सरकार को सार्वजनिक रूप से यह घोषित करने का आदेश देने को कहा है कि जो वापस आना चाहते हैं उनके लिए शिविर खुला हुआ है और वहाँ हर तरह की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाए।

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