दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश का मामला: हाईकोर्ट ने शिफा उर रहमान की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

3 Jun 2022 6:00 AM GMT

  • दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश का मामला: हाईकोर्ट ने शिफा उर रहमान की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिर्सिटी के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान द्वारा दायर अपील पर नोटिस जारी किया। इस अपील में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें दिल्ली दंगों के बड़े साजिश मामले (एफआईआर नंबर 59/2020) के संबंध में उसे जमानत देने से इनकार किया गया था।

    जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस अनीश दयाल की खंडपीठ ने जुलाई में मामले को जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध करते हुए अभियोजन पक्ष से जवाब मांगा, जो एफआईआर में अन्य सह-आरोपी व्यक्तियों की इसी तरह की लंबित अपीलों की सुनवाई कर रहे हैं।

    रहमान को 7 अप्रैल को स्थानीय अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। उसके खिलाफ एफआईआर में यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 सहित कड़े आरोप शामिल हैं। इसके साथ ही उस पर भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) के तहत उल्लिखित विभिन्न अपराधों का भी आरोप है।

    ट्रायल कोर्ट के समक्ष रहमान ने तर्क दिया था कि केवल प्रदर्शनकारी होना कोई अपराध नहीं है और प्रत्येक व्यक्ति को अपनी राय रखने का अधिकार है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि दिल्ली दंगों के बड़े साजिश मामले में यूएपीए के तहत उस पर मुकदमा चलाने की मंजूरी 'पूर्व निर्धारित' है और अधिकारियों ने ऐसा करते समय किसी के इशारे पर काम किया।

    उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जहां पुलिस ने आरोप लगाया कि जामिया मिलिया इस्लामिया (एएजेएमआई) के पूर्व छात्र रहमान ने प्रदर्शनकारियों को समर्थन प्रदान किया, एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारियों में से किसी को भी आरोपी नहीं बनाया गया है।

    जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि दंगों की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई, संपत्तियों को नष्ट किया गया, आवश्यक सेवाओं को बाधित किया गया। इसके अलावा, पेट्रोल बम, लाठी, पत्थर आदि का उपयोग किया गया, इसलिए अधिनियम की धारा 15(1 के तहत आवश्यक है) (ए)(i),(ii) और (iii) के तहत मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है।

    अभियोजन पक्ष ने कहा कि दंगों के दौरान कुल 53 लोग मारे गए, पहले चरण के दंगों में 142 लोग घायल हुए और दूसरे चरण में अन्य 608 घायल हुए।

    अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि 25 मस्जिदों के करीब रणनीतिक विरोध स्थलों को चुनते हुए 2020 के धरना-प्रदर्शन की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई। उन्होंने प्रस्तुत किया कि ये स्थल धार्मिक महत्व के स्थान हैं लेकिन कथित रूप से सांप्रदायिक विरोध को वैध रूप देने के लिए जानबूझकर इन्हें धर्मनिरपेक्ष नाम दिए गए।

    अभियोजन पक्ष ने 20 दिसंबर, 2019 की बैठक का उल्लेख किया। इस बैठक में उमर खालिद ने हर्ष मंदर, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट, स्वतंत्र नागरिक संगठन आदि के सदस्यों के साथ भाग लिया था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि इस बैठक ने विरोध के क्षेत्रों और रणनीतियों को तय करने में महत्वपूर्ण निभाई थी।

    यह भी तर्क दिया गया कि विरोध का मुद्दा सीएए या एनआरसी नहीं था बल्कि सरकार को शर्मिंदा करने और ऐसे कदम उठाने का था कि यह अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में उजागर हो जाए।

    अभियोजन पक्ष के तर्कों का मुख्य जोर यह था कि डीपीएसजी ग्रुप अत्यधिक संवेदनशील ग्रुप था, जिसमें हर छोटे संदेश पर निजी तौर पर विचार-विमर्श किया जाता था और फिर अन्य मेंबर्स को भेजा जाता था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि हर फैसला सोच-समझकर लिया गया था।

    अभियोजन पक्ष ने प्रस्तुत किया कि जबकि अभियोजन पक्ष का मामला यह नहीं है कि साजिश में सामने आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आरोपी बनाया जाना चाहिए और केवल ग्रुप पर चुप रहने से कोई आरोपी नहीं बनता है। हालांकि, यह जोड़ा गया कि मामले में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सबूत मिलने पर आपराधिक कार्रवाई करनी पड़ती है।

    इस पृष्ठभूमि में अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों को करने में 'चुप्पी की साजिश' थी, जिसके पीछे पूरी तरह से व्यवस्था को पंगु बना देने का विचार था।

    पिंजरा तोड़ सदस्यों और जेएनयू के छात्रों देवांगना कलिता और नताशा नरवाल, जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा और छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा के खिलाफ मुख्य आरोप पत्र दायर किया गया है।

    आरोप पत्र में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर और शिफा-उर-रहमान, निलंबित आप पार्षद ताहिर हुसैन, कार्यकर्ता खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान शामिल हैं।

    इसके बाद इस मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद और जेएनयू छात्र शरजील इमाम के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की गई है।

    केस टाइटल: शिफा उर रहमान बनाम राज्य

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