दिल्ली दंगे: शाहरुख पठान को बंदूक मुहैया कराने के आरोपी को कोर्ट ने डिस्चार्ज किया
Shahadat
31 Jan 2023 11:39 AM IST
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के एक मामले में आरोपी शाहरुख पठान को बंदूक मुहैया कराने के आरोपी बाबू वसीम को आरोप मुक्त कर दिया। पठान ने कथित तौर पर इस हथियार का इस्तेमाल 2020 के दंगों के दौरान पुलिसकर्मी पर फायरिंग के लिए किया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने वसीम को आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत आरोप मुक्त कर दिया। हालांकि, उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 174ए के तहत आरोप तय किया गया है।
वसीम को पिछले साल 13 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि वसीम ने 6 दिसंबर, 2019 को पठान को पिस्तौल और राउंड मुहैया कराए, जिसका इस्तेमाल तब दंगों के दौरान “गोली चलाने और हेड कांस्टेबल पर हमला करने रे प्रयास” के लिए किया गया। वसीम पर आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत अपराध का आरोप लगाया गया था।
एफआईआर एक घटना से संबंधित है, जिसमें दंगों के दौरान पठान को पुलिसकर्मी की ओर बंदूक तानते हुए पकड़ा गया। उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं।
जाफराबाद पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 153A, 186, 188, 307, 353, 505 और आर्म्स एक्ट की धारा 27, 120 बी और धारा 34 के तहत एफआईार दर्ज की गई।
पुलिस के मुताबिक, 6 दिसंबर, 2019 की रात पठान ने वसीम को बार-बार फोन किया। ऐसा आरोप था कि दोनों अभियुक्तों के स्थान चार्ट से पता चला कि अंतिम कॉल के अंत में वे एक ही स्थान पर थे। आरोप यह भी है कि दोनों की आपस में मुलाकात हुई और वसीम ने पिस्तौल पठान को दे दी।
अभियोजन पक्ष ने दोनों अभियुक्तों के प्रकटीकरण बयान और दोनों के बीच लगातार कॉल पर भी भरोसा किया।
आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत वसीम को बरी करते हुए अदालत ने कहा कि खुलासा बयान अपने आप में कानून में स्वीकार्य नहीं हैं, यह कहते हुए कि रिकॉर्ड पर कोई गवाह नहीं है कि वसीम ने पठान को पिस्तौल प्रदान की या 6 दिसंबर, 2019 से पहले उसके पास थी।
पठान और वसीम के बीच हुई चार कॉल्स पर कोर्ट ने कहा कि इससे यह पता चलता है कि वे एक ही समय एक ही जगह पर थे या एक-दूसरे से मिले थे। अदालत ने कहा कि इस आरोप को साबित करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि वसीम के पास पिस्तौल थी या उसने पठान को सौंपी थी।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पुलिस द्वारा जारी आर्म्स एक्ट की धारा 39 के तहत स्वीकृति आदेश भी "रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री या आईओ द्वारा एकत्र किए गए सबूतों की उचित सराहना के बिना है।"
अदालत ने कहा,
“आरोपी बाबू वसीम के खिलाफ मामला अनिवार्य रूप से वास्तविक सामग्री/सबूत के बजाय अनुमानों और अनुमानों पर आधारित है। यह मानने का कोई आधार नहीं है कि आरोपी बाबू वसीम ने धारा 25 आर्म्स एक्ट के तहत अपराध किया है। तदनुसार उसे उक्त अपराध के लिए आरोप मुक्त किया जाता है।”
अदालत ने दिसंबर 2021 में विचाराधीन एफआईार में पठान और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 216 के तहत शाहरुख पठान को शरण देने वाले व्यक्ति को भी दोषी ठहराया। बाद उसेने स्वेच्छा से उसेके खिलाफ लगाए गए आरोप के लिए दोषी ठहराया गया।